संताल परगना में आज थमेगा चुनावी शोर, महीने भर से सभी दलों के प्रत्याशी और नेता खूब बहा रहे पसीना
संताल परगना में गुरुवार को चुनावी प्रचार थम जाएगा. महीने भर से सभी दलों के प्रत्याशी और नेता खूब पसीना बहा रहे हैं. पहले चरण में सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा और पलामू में चुनाव निपटा.
रांची : झारखंड में अंतिम चरण में संताल परगना की तीन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. दुमका, गोड्डा और राजमहल में आज शाम पांच बजे चुनावी शोर थम जायेगा. आज शाम से नेताओं के लिए कुछ दिन सुकून भरे होंगे. झारखंड में पहले चरण का चुनाव 13 मई को हुआ था. लगभग महीने भर से प्रत्याशियों और पार्टियों के नेता पसीना बहा रहे हैं. हर चरण में एनडीए और इंडिया गठबंधन में आर-पार की लड़ाई है. प्रत्याशियों से लेकर पार्टी के आला नेताओं तक शहर-कस्बे से लेकर खेत-खलिहान तक भागे.
हर दल के सैकड़ों कार्यकर्ता अलग-अलग संसदीय सीट पर कैंप करते रहे. लोकसभा, विधानसभा से लेकर प्रखंडवार जवाबदेही मिली थी. पूरे चुनाव कैंपेन में पार्टियों और उनके प्रत्याशियों ने हर दरवाजा खटखटाया. पहले चरण में सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा और पलामू में चुनाव निपटा. दूसरे चरण में चतरा, कोडरमा, हजारीबाग में चुनाव हुए. वहीं 25 मई को चार सीटें पर गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर और रांची में चुनाव हुआ.
पहले चरण से लेकर अंतिम यानी चौथे चरण तक चुनाव में कैंपेन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार में पहुंचे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी से लेकर विधायक और पार्टी पदाधिकारी इन सीटों पर जीत के लिए दर्जनों सभाएं की.
इधर, इंडिया गठबंधन की ओर से राहुल गांधी, झामुमो की कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर और सत्ता पक्ष के मंत्रियों और विधायकों ने मोर्चा संभाला. कई सीटों के प्रत्यशियों के लिए झामुमो की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन और मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने साझा अभियान चलाया. कोल्हान और संताल परगना के झामुमो ने अपनी पूरी ताकत झोंकी. इसके साथ गांडेय से विधानसभा से उपचुनाव लड़ रही कल्पना ने वहां कई दिनों तक कैंप किया. 31 मई को संताल परगना में चुनाव अभियान के खत्म होते ही नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तीन दिनों तक थोड़ी फुर्सत मिलने वाली है. चार जून के बाद राजनीतिक खेमा नफा-नुकसान का हिसाब लगायेगा.