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कारकाट में किसका दिखेगा दम? उपेंद्र कुशवाहा, पवन सिंह या राजाराम सिंह

Karakat Lok sabha Chunav Result: कारकाट लोकसभा क्षेत्र का मुकाबला इस बार तीन प्रतीक्षियों के बीच है. यहां एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा, महागठबंधन से राजाराम और निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह. यह एक ऐसी सीट रही जहां भाजपा के कई स्टार प्रचारकों की सभा हुई साथ ही कई भोजपुरी कलाकारों ने भी प्रचार का समां बांधा.

Karakat Lok sabha Election Result: इस लोकसभा चुनाव में काराकाट लोकसभा क्षेत्र पूरे देश में हॉट सीट के तौर पर जाना गया. यहां से भाकपा माले के पूर्व विधायक राजाराम सिंह महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा एनडीए गठबंधन से. भोजपुरी के स्टार कलाकार पवन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर इस सीट को हॉट बना दिया. यहां 18 लाख 69 हजार 488 मतदाताओं से सुसज्जित इस क्षेत्र में 53.44 प्रतिशत मतदान हुए. यानी कि लगभग 10 लाख मतदाताओं ने मतदान किया.

पवन सिंह ने एनडीए और महागठबंधन दोनों को दी टेंशन

धान का कटोरा कहे जाने वाले कारकाट का चुनावी मुकाबला उस वक्त रोचक हुआ जब आसनसोल से भाजपा का टिकट ठुकरा कर भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने कारकाट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया. इस क्षेत्र में युवाओं के बीच पवन सिंह की काफी लोकप्रियता है. यहां राजपूत मतदाताओं की संख्या भी काफी है और पवन सिंह भी राजपूत जाति से आते हैं. इसके अलावा पवन सिंह ने भोजपुरी स्टारों की यहां कई सभाएं भी करा दी. इन सभी वजह से यहां एनडीए और महागठबंधन दोनों के प्रत्याशियों की टेंशन बढ़ गई.

सभी उम्मीदवारों ने झोंकी पूरी ताकत

कारकाट में अपने प्रत्याशी को चुनाव जिताने के लिए सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी. यहां निर्दलीय पवन सिंह के पक्ष में भी प्रचार-प्रसार कर समां बंधा. भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव, अनुपमा यादव, अरविंद अकेला उर्फ कलू, गुंजन सिंह जैसे कलाकारों ने पवन सिंह के लिए सभाएं की. जबकि उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में भाजपा के स्टार प्रचारकों ने ताकत झोंकी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चिराग पासवान, सम्राट चौधरी समेत कई मंत्रियों ने सभा की. वहीं, राजाराम सिंह के भी पक्ष में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और माले के दीपंकर भट्टाचार्या ने चुनावी सभा की.

जातीय समीकरण में फंसा है पूरा खेल

स्थानीय राजनीति में जाति का काफी असर रहा है. यहां उपेंद्र कुशवाहा को कुशवाहा के साथ-साथ वैश्य, पासवान, अति पिछड़ा, भूमिहार, ब्राह्मण, चंद्रवंशी और मोदीजी के साइलेंट वोटर का भरोसा है, जबकि राजाराम सिंह को यादव, मुस्लिम, कुशवाहा के साथ-साथ महागठबंधन के कैडर वोट का भरोसा है. पवन सिंह ने जातीय समीकरण को ध्वस्त करने की तमाम कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिशों को पंख नहीं लगा. राजपूत उनके साथ रहे. जहां तक मुस्लिम समाज की बात की जाये, तो वोट बंटता हुआ दिख रहा है. मुस्लिम समाज का वोट एआइएमएएम के प्रत्याशी के साथ-साथ पवन सिंह और राजाराम सिंह के बीच बंटता हुआ दिखा है.

असल मुद्दों पर नहीं हुई बात

काराकाट लोकसभा क्षेत्र में रोहतास के तीन यानी डेहरी, काराकाट और नोखा, जबकि औरंगाबाद के तीन नवीनगर, ओबरा और गोह विधानसभा क्षेत्र को समाहित किया गया. यहां जाति के शोर में जो क्षेत्र के असल मुद्दे थे वो उभर कर सामने नहीं आ पाए. यहां का जो सबसे बड़ा मुद्दा डालमियानागर का रेल कारखाना था.

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