भाजपा द्वारा सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) लोकसभा क्षेत्र से मेनका गांधी का टिकट कंफर्म कर देने के बाद कहा जा रहा है कि उन्होंने आधी लड़ाई जीत ली है. कारण एक तो यह कि क्षेत्र के ज्यादातर मतदाताओं को उनसे कोई बड़ी शिकायत नहीं दिख रही. दूसरे, विपक्ष उनके समक्ष 2019 जैसी चुनौती नहीं पेश कर पाया है. भले ही अंदरखाने चर्चा है कि सपा से नाराज अपना दल (कमेरावादी) की नेता कृष्णा पटेल बसपा के समर्थन से उनके मुकाबले ताल ठोंकने वाली हैं. कृष्णा पटेल उत्तर प्रदेश के गत विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य को हराने वाली विधायक पल्लवी पटेल की मां हैं.
लेकिन मेनका के समर्थक अभी कृष्णा पटेल को लेकर नहीं, पीलीभीत से उनके बेटे वरुण गांधी का टिकट काट दिये जाने को लेकर चिंतित हैं. इतने कि मेनका के ‘आधी लड़ाई जीत लेने’ की आधी खुशी भी नहीं मना पा रहे. इस बीच सोशल मीडिया पर मेनका के भी नाराज होने की खबरें हैं, जिन्हें इससे भी बल मिल रहा है कि उन्होंने अपना सुल्तानपुर आना एक अप्रैल तक के लिए टाल दिया है.
जब प्रियंका बोलीं, ‘चाची के खिलाफ नहीं’
गत लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी कांग्रेस प्रत्याशी डॉ संजय सिंह के समर्थन में रोड शो करने सुल्तानपुर आयीं, तो मंच से बोली थीं कि अपनी चाची के नहीं, भाजपा के खिलाफ वोट मांगने आयी हैं. हालांकि डॉ सजय सिंह को महज 41,681 वोट मिले थे. 2014 में उनकी पत्नी अमिता गोदी को मिले 41,983 वोटों से भी कम-और वे तीसरे स्थान पर रह गये थे.
बसपा की जमीन
इस बार भी 2014 जैसे तिकोने मुकाबले की ही संभावना है. सपा-कांग्रेस गठबंधन से जो भीम निषाद मेनका के सामने हैं, क्षेत्र के डेढ़ लाख निषाद वोटरों की भाजपा से कथित नाराजगी भुनाने के लिए सपा उन्हें आंबेडकर नगर से लायी है और उन्हें पैराशूट प्रत्याशी कहा जा रहा है.