-जयपुर से वीरेंद्र आर्य-
Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में पहले चरण की 12 सीटों पर शुक्रवार को मतदान होगा. इनमें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, श्रीगंगानर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनूं, सीकर अलवर, भरतपुर, दौसा और करौली-धौलपुर सीटों पर प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा. नागौर में कांग्रेस-आरएलपी और सीकर सीट पर कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ है. वहीं, प्रदेश में नागौर, सीकर के साथ दौसा, झुंझुनूं और चूरू भी हॉट सीट बने हुए हैं. राजस्थान के चुनावी माहौल में राम मंदिर, धारा 370, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने व तीसरे टर्म में भारत को दुनिया की तीसरी इकानोमी बनाने जैसे राष्ट्रीय मुद्दों और जातिगत समीकरणों के आगे स्थानीय मुद्दे गुम हो गए हैं.
नागौर और सीकर – बड़ा वोट बैंक बना भाजपा के लिए टेंशन
नागौर और सीकर सीट पर कांग्रेस गठबंधन के कारण एक बड़ा वोट बैंक भाजपा के लिए टेंशन बन गया है. नागौर सीट पर भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के साथ बार-बार चुनाव हारने के कारण एक सहानुभूति की लहर दिख रही है. मिर्धा पहले कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव हारीं और पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव हारी थीं. मिर्धा के सामने आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल हैं. इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आरएलपी से गठबंधन किया हुआ था और बेनीवाल जीते थे. किसान आंदलन के समय वे एनडीए से अलग हो गए थे. इस बार उनके लिए कांग्रेस ने सीट खाली की और हनुमान को समर्थन दिया है. दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. इधर, सीकर में भाजपा प्रत्याशी और तीसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़ रहे सुमेधानन्द सरस्वती के सामने कांग्रेस-सीपीआई गठबंधन प्रत्याशी अमराराम हैं. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इसी क्षेत्र से हैं. कांग्रेस ने सीपीएम के लिए ये सीट छोड़ी है. इसे लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया है, इससे कांग्रेस का एक धड़ा नाराज है. दोनों प्रत्याशी जाट समाज से हैं. खास बात यह है कि अमराराम पिछले 6 लोकसभा चुनाव हारे हैं. इस बार कांग्रेस का साथ मिलने से उन्हें जीत की उम्मीद है.
बगावत के कारण चूरू बनी हॉट सीट
सांसद राहुल कस्वां का टिकट कटने के बाद वे बगावत कर कांग्रेस से टिकट लेकर यहां प्रत्याशी बने. उनके सामने भाजपा ने नया चेहरा पैरा ऑलंपियन देवेंद्र झाझड़िया को उतारा है. लेकिन इस क्षेत्र में जाट-राजपूतों के बीच राजनीतिक अदावत रहती है. यहां भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव हार गए थे. तब उन्होंने कस्वां पर हरवाने के आरोप जड़े थे. अब कस्वां उन पर भाजपा से टिकट कटवाने के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में फिर से इस चुनाव में जाट-राजपूत वोट बैंकों का ध्रुवीकरण हो रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि दोनों प्रत्याशी जाट समाज से हैं और जो ज्यादा वोट अपने समाज से ले जाएगा, उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी.
गहलोत के मंत्री रहे ओला ने बनाया मुकाबला रोचक
झुंझुनूं लोकसभा भी उन सीटों में शामिल है, जहां कांग्रेस और भाजपा में अच्छी टक्कर दिखाई दे रही है. भाजपा से शुभकरण चौधरी और कांग्रेस से विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री रहे बृजेंद्र ओला मैदान में हैं. बृजेंद्र के पिता शीशराम ओला इसी सीट से 1996 से 2009 तक लगातार सांसद रहे थे. पिता के फोलोअर्स का भी उन्हें फायदा मिलने की उम्मीद है.
मोदी के मंत्री पर सभी की निगाहें
अलवर सीट से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव खड़े हैं, जो मोदी के नजदीकी माने जाते हैं. इस कारण यहां बीजेपी के छोटे बड़े नेता कार्यकर्ता एकजुट होकर भूपेंद्र के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. यादव के सामने कांग्रेस ने विधायक ललित यादव को उतारा है. बसपा ने यहां मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है, जो भाजपा के फेवर की बात है.
नए चेहरों वाली जयपुर शहर और ग्रामीण सीटें
जयपुर शहर सीट पर बीजेपी ने दिग्गज नेता रहे भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को और कांग्रेस ने गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रतापसिंह खाचरियावास को उम्मीदवार बनाया है. जयपुर ग्रामीण से भाजपा ने पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह को, तो कांग्रेस ने सचिन पायलट समर्थक युवा नेता अनिल चोपड़ा को उम्मीदवार बनाया है. दोनों सीटों पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी हैं और इस कारण भाजपा के प्रत्याशियों को फायदा मिलने की उम्मीद है.
जातीय समीकरणों के कारट अच्छी टक्कर
कांग्रेस ने दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने बस्सी से पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा को मैदान में उतारा है. उम्मीदवार के हिसाब से मुरारीलाल मीणा को मजबूत माना जा रहा है. कन्हैया लाल मीणा एक क्षेत्र में ही सीमित रहे है, इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.
जाट आरक्षण मुद्दे वाली भरतपुर सीट
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले वाले लोकसभा क्षेत्र भरतपुर में जाट आरक्षण का मुद्दा छाया हुआ है. करीब 5 लाख वोटर इस जाति से हैं. ओबीसी में शामिल करने को लेकर जाटों में बीजेपी के प्रति नाराजगी है. इसका असर वोट बैंक पर भी पड़ सकता है. कांग्रेस कैंडिडेट संजना इसी समाज से हैं और उनके सामने भाजपा से प्रत्याशी रामस्वरूप कोली हैं.इधर, करौली-धौलपुर सीट करौली सीट पर सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर भाजपा ने इंदु देवी को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव भी दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं. लेकिन इंदुदेवी का प्रधान रह चुकी हैं और लोगों से सीधा जुड़ाव उन्हें फायदा पहुंचा रहा है. सीमावर्ती इलाके होने के कारण बीकानेर और श्रीगंगापुर सीट पर सीमा सुरक्षा अहम मुद्दा है. ये मुद्दा भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है. बीकानेर से बीजेपी ने मौजूदा कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को और कांग्रेस ने गहलोत सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल को उतारा है. श्रीगंगानगर सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदलकर अनूपगढ़ नगर परिषद की सभापति रहीं प्रियंका बैलान को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है.
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