Lok Sabha Election 2024 : महाराष्ट्र में कौन मारेगा बाजी, किसके उम्मीदवार में है दम, जानें पूरा समीकरण

मूल पार्टियों में टूट के बाद यह चुनाव शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए करो या मरो की जंग की तरह है. पुराना प्रदर्शन दुहराने में नाकाम रहने के बाद पवार और ठाकरे भारतीय राजनीति में इतिहास बन सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2024 9:29 PM
an image

बीते दो चुनावों में भारतीय राजनीति की नयी पटकथा लिखने वाला पश्चिम भारत इस बार भी चर्चा में है. दो केंद्रशासित और तीन राज्यों का 78 लोकसभा सीटों वाला यह क्षेत्र कई सवालों का जवाब देगा. सीटों की राजनीतिक ताकत की दृष्टि से नहीं, बल्कि हिंदुत्व और विरासत पर असली दावेदार के सवालों को लेकर. ऐसे जवाब जो सियासत में नयी इबारत गढ़ेगा. असली-नकली शिवसेना-एनसीपी पर मुहर के साथ ही करीब तीन दशक से अभेद्य भाजपा के गुजरात किले की नयी व्याख्या भी करेगा.

पश्चिम में उदय और अस्त की जंग

लोकसभा की 78 सीटों वाले पश्चिमी भारत के पांच राज्यों के नतीजे देश की भावी राजनीति की नयी दिशा और दशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. पश्चिमी भारत हिंदुत्व के असली अलंबरदार का पता ठिकाना देगा. नतीजे बतायेंगे कि महाराष्ट्र में असली शिवसेना उद्धव ठाकरे की है, या एकनाथ शिंदे की? असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार की है, या उनके भतीजे अजित पवार की? इसी राज्य के नतीजे तय करेंगे कि देश में हिंदुत्व और धर्मनिरपेक्षता का मिलान संभव है या नहीं? नतीजे यह भी बतायेंगे कि हिंदुत्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला और हिंदुत्व के गढ़ में कांग्रेस और उसकी अगुआई में विपक्षी दलों के गठबंधन का वाकई कोई भविष्य है या नहीं?

महाराष्ट्र : तय होगा पवार व उद्धव का कद

बीते दस साल में भारतीय राजनीति के सबसे बड़े बदलाव का सूत्रधार महाराष्ट्र है. लोकसभा के बीते दो चुनावों में भाजपा-शिवसेना की जोड़ी ने कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को कहीं का नहीं छोड़ा है. इन दो चुनावों में राजग ने राज्य की 48 में से 42 सीटों पर कब्जा कर केंद्रीय राजनीति में हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने के साथ नये सियासी समीकरण बनाये थे. हालांकि बीते चुनाव के बाद मूल शिवेसना के पाला बदलने और एनसीपी के दो हिस्सों में बंट जाने से सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गयी है. पहली बार विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) और सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के बीच सीधी टक्कर होगी.

असली-नकली पर जनादेश

दरअसल राज्य में भाजपा से किनारा करने पर पहले शिवसेना और विरासत के सवाल पर एनसीपी दो फाड़ हो गयी. मूल शिवसेना के एनसीपी, कांग्रेस के साथ सरकार बनाने पर एकनाथ शिंदे ने अलग लाइन ली और कई विधायकों-सांसदों को अपने साथ जोड़कर भाजपा की सरकार का रास्ता साफ किया. इसके बाद विरासत के सवाल पर अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर नयी सरकार में डिप्टी सीएम बन गये. अब नतीजे बतायेंगे कि मूल शिवसेना और मूल एनसीपी आखिर किसकी है? पवार और ठाकरे की सियासी पकड़ की पैमाइश उनके राजनीतिक कद का भी निर्धारण करेगा.

करो या मरो की जंग

मूल पार्टियों में टूट के बाद यह चुनाव शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए करो या मरो की जंग की तरह है. पुराना प्रदर्शन दुहराने में नाकाम रहने के बाद पवार और ठाकरे भारतीय राजनीति में इतिहास बन सकते हैं. इसके उलट इनका बेहतर प्रदर्शन भाजपा को करारा झटका दे सकता है. भाजपा की रणनीति शिंदे और अजित के बहाने हिंदुत्व और ग्रामीण महाराष्ट्र का निर्विवाद सबसे बड़ा खिलाड़ी बनने की है. भाजपा उद्धव की बाला साहब ठाकरे की विरासत पर ग्रहण लगाने के लिए उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के भी संपर्क में है.

महाराष्ट्र में 48 सीटें

2019

पार्टी सीट मत प्रतिशत

भाजपा 23 27.84

शिवसेना 18 23.50

कांग्रेस 01 16.41

एनसीपी 04 15.44

2014

भाजपा 23 26

शिवसेना 18 21

कांग्रेस 02 18

एनसीपी 04 15.20

गुजरात : कांग्रेस-आप साथ आये, तो बढ़ा असंतोष

गुजरात में बीते दो चुनावों में सभी 26 सीटों पर कब्जा कर भाजपा ने विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस के फिर से मजबूत होने की संभावनाओं पर पानी फेरा है. भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस ने इस बार आप के साथ समझौता किया है. हालांकि इस समझौते के बाद पार्टी में असंतोष के सुर बेहद मजबूत हुए हैं. कई नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. बीते चार माह की बात करें, तो चार विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं. इनके अलावा एक पूर्व विधायक और राज्यसभा सांसद भी पार्टी से अलग हो चुके हैं. मोढवाडिया ने इसलिए इस्तीफा दिया था, क्योंकि कांग्रेस ने राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया था.

गुजरात : कुल सीटें 26

2019

पार्टी सीट मत प्रतिशत

भाजपा 26 62.21

कांग्रेस 00 32.11

2014

भाजपा 26 59.1

कांग्रेस 00 32.90

तीन राज्यों से भी मिलेंगे संकेत

गुजरात के अलावा पश्चिम भारत में गोवा और दो केंद्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली के साथ दमन और दीव है. इन तीन राज्यों की सियासी ताकत चार सीटों की है. इनमें सियासी दृष्टि से दो सीटों वाला राज्य गोवा अहम है, जहां बीते चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट मिली थी. दादरा एवं नगर हवली की इकलौती सीट से निर्दलीय तो दमन और दीव क इकलौती सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी.

गोवा : 2 सीटें

2019

पार्टी सीट मत प्रतिशत

कांग्रेस 01 43

भाजपा 01 51

2014

कांग्रेस 00 41

भाजपा 02 44

Exit mobile version