Lok Sabha Election 2024 : अमेठी में तो अभी एक ही सवाल, राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे या नहीं?

राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह हर कोई जानना चाहता है. आज इस तरह की खबर भी आ रही है कि वे एक मई को अमेठी से नामांकन कर सकते हैं, लेकिन अधिकारिक जानकारी नहीं है.

By कृष्ण प्रताप सिंह | April 25, 2024 12:02 PM
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Lok Sabha Election 2024 : देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार अमेठी लोकसभा सीट इस बार अभी सामान्य चुनावी गर्मी के लिए भी तरस रही है. कारण यह कि राहुल गांधी के यहां से लड़ने या न लड़ने का सवाल इतना बड़ा हो गया है कि उनके समर्थक हों या विरोधी, सबके सब इसके जवाब की तलाश अथवा इंतजार में ही थके जा रहे हैं. स्थानीय कांग्रेसी इसे अपने रणनीतिकारों की सफलता मान रहे और मजे लेते हुए कह रहे हैं कि हमारे लिए इससे बेहतर और क्या होगा कि प्रतिद्वंद्वी छायायुद्ध में ही पस्त हो जाये, जबकि पिछली बार मैदान मार चुकी भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी लगातार मैदान में डटी हुई हैं. लेकिन वे क्या करें, उनके निशाना बनाने के लिए कोई सामने ही नहीं है.

क्या वरुण गांधी स्मृति को अमेठी में देंगे टक्कर

कांग्रेस के इसी क्षेत्र के निवासी प्रदेश सह-समन्वयक विकास अग्रहरि को बरबस अपने पाले में खींच लाने की उनकी कवायद भी उन पर उलटी पड़ी है. अग्रहरि का कहना है कि स्मृति के आवास पर उन्हें उनकी इच्छा के विपरीत अंगवस्त्र पहनाकर भाजपा में शामिल करा लिया गया था और वे अभी भी कांग्रेस में ही हैं. बीच-बीच में फुलझड़ी की तरह यह ‘खबर भी आ जा रही है कि कांग्रेस की ओर से भाजपा सांसद वरुण गांधी स्मृति के मुकाबिल होंगे, जो पीलीभीत में अपना टिकट कटने से बाद से भाजपा से नाराज हैं और ‘साफ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं’ के हाल में हैं. कई हल्कों में जहां यह कहा जा रहा है कि 26 अप्रैल को अपनी वायनाड की सीट पर मतदान के बाद राहुल अमेठी का रुख करेंगे, वहीं यह भी याद दिलाया जा रहा है कि प्रियंका के पति राबर्ट वॉड्रा कह चुके हैं कि अमेठी चाहती है कि वे अपनी राजनीति का आगाज अमेठी से ही करें.

अमेठी को गांधी परिवार का गढ़ बताना बहुत सही नहीं

ऐसी चर्चाओं के बीच स्मृति की दर्पोक्तियां ‘कोई भी आये, हारेगा ही’ जैसे बयान तक जा पहुंचने में भी संकोच नहीं कर रहीं. खबर है कि वे 29 अप्रैल को गाजे-बाजे और शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन करने वाली है, जबकि स्थानीय पत्रकार अमेठी के ‘पल में तोला, पल में माशा’ वाले उस स्वभाव की चर्चा कर रहे हैं, जिसके चलते न उसे नाराज होकर किसी पार्टी या प्रत्याशी को शिकस्त खिलाते देर लगती है, न ही खुश होकर सिर पर बिठाते. इन पत्रकारों की मानें, तो अमेठी गांधी परिवार का वैसा गढ़ भी नहीं है, जैसा प्रचारित किया जाता है. गढ़ होती तो लोकदल के शरद यादव (1981), बसपा के कांशीराम, महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी (1989), बसपा के कांशीराम (1989) और आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास (2014) की ही तरह गांधी परिवार के राहुल (2019), उनके चाचा संजय गांधी (1977) और चाची मेनका गांधी (1984) को भी ‘करारी हार का उपहार’ नहीं देती. जहां तक हराने की बात है, हरा तो इसने 2014 में स्मृति इरानी को भी दिया ही था.

1977 में चुनाव हारे थे संजय गांधी

तफसील में जायें, तो अमेठी ने 1977 में इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को, जो ‘इमरजेंसी के युवराज’ कहलाते थे, बुरी तरह नकार दिया, तो केंद्र में जनता पार्टी सरकार का प्रयोग विफल होने के बाद 1980 में सिर आंखों पर बिठा लिया था. विमान दुर्घटना में उनके आकस्मिक निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में उसने उनके बड़े भाई राजीव गांधी को तो अभूतपूर्व ढंग से 81.18 प्रतिशत मत दिये थे, जबकि उनकी राह रोकने आये लोकदल के शरद यादव को महज 21,188 मत, जिसके चलते उनकी जमानत जब्त हो गयी थी. इंदिरा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि में हुए 1984 के आमचुनाव में गांधी परिवार में बढ़ती खुन्नस के बीच संजय की पत्नी मेनका संजय विचार मंच के बैनर पर राजीव गांधी के विरुद्ध आ खड़ी हुईं, तो अमेठी उनकी जमानत जब्त कराने से भी नहीं हिचकी थी.

अमेठी में असली और नकली गांधी की भी हुई है जंग

1989 में मुकाबले को फिर से ‘गांधी बनाम गांधी’ और ‘असली बनाम नकली गांधी’ बनाने के लिए विपक्ष ने महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी को राजीव के खिलाफ मैदान में उतारा, तो भी अमेठी अविचलित भाव से राजीव के साथ खड़ी रही. 1999 में सोनिया गांधी ने संजय सिंह को भारी अंतर से हराकर उनकी सही जगह बता दी. अनंतर, वे अपनी सास इंदिरा गांधी की रायबरेली सीट पर चली गयीं और अमेठी राहुल को सौंप गयीं, तो 2004 और 2009 के चुनाव वे बसपा प्रत्याशियों को हराकर जीते और भाजपा तीसरे नंबर पर खिंच जाती रही. 2014 में स्मृति ईरानी बसपा को धकेलकर दूसरे नंबर पर आ गयीं और आम आदमी पार्टी के कवि प्रत्याशी कुमार विश्वास को 25 हजार वोट और चौथा स्थान मिला. 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल को 55,120 मतों से हरा दिया.

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