Lok Sabha Election Result 2024: उत्तर में भाजपा हो रही कमजोर, दक्षिण में भी नहीं मिल रहा वोटरों का साथ

Lok Sabha Election Result 2024: बंगाल की राजनीति की समझ रखने वालों की राय में यहां की अर्थव्यवस्था और समाज व्यवस्था के लिहाज से लक्खी भंडार योजना इस चुनाव में भी बहुत महत्वपूर्ण असर छोड़ रही है.

By Vikash Kumar Upadhyay | June 4, 2024 9:10 PM

Lok Sabha Election Result 2024: पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों पर अभी मतगणना जारी है. कहीं का भी फाइनल रिजल्ट अभी नहीं आ सका है. पर, अभी तक की मतगणना के आधार पर वोटों के अंतर से स्पष्ट लग रहा है कि उत्तर बंगाल में, जहां भाजपा खुद को बहुत मजबूत मानती रही है, इस बार उसे झटके लग रहे हैं. दूसरी तरफ माना जा रहा था कि दक्षिण बंगाल में भाजपा इस बार पिछले दफा की तुलना में बेहतर कर सकती है, तो वह भी नहीं हो सका है. बंगाल का पश्चिमी हिस्सा, जो पश्चिमी राढ़ बंगाल है, वहां भी तृणमूल अपनी ताकत बढ़ायी है, ऐसा दिखने लगा है. कुल मिला कर दो बजे तक जो मतगणना संपन्न हो चुकी है, उसके आधार पर अभी तृणमूल पिछले चुनाव की तुलना में नौ अधिक सीटों पर आगे दिख रही है. अर्थात कुल 31 सीटें ऐसी हैं, जहां तृणमूल के उम्मीदवार भाजपा या अन्य दलों के प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकल गये हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, महिलाओं के लिए ममता बनर्जी की लक्खी भंडार योजना ने मतदाताओं पर प्रभाव छोड़ा है. इसका असर इवीएम पर भी पड़ा है. ममता बनर्जी की यह योजना बाकी दलों के अन्य वादों पर भारी पड़ी है.

केंद्र में मंत्री रहे निशीथ प्रामाणिक उत्तर बंगाल में कूचबिहार की अपनी ही पुरानी सीट पर पीछे हो गये हैं. बालुरघाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और वहां के सीटिंग सांसद सुकांत मजुमदार भी पीछे ही चल रहे हैं. रायगंज की पिछली बार की जीती हुई सीट भी साथ देती नहीं दिख रही है. पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को मिले वोट संकेत कर रहे हैं कि वह दुबली-पतली हुई है. बांकुड़ा में केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार अपनी मौजूदा सीट पर ही पीछे चल रहे हैं. यहां तृणमूल कांग्रेस के अरूप चक्रवर्ती ने दो बजे तक की मतगणना में उन्हें धकिया रखा है. पुरुलिया सीट पर भी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को बुरी तरह पीछा कर रखा है.

बंगाल की राजनीति की समझ रखने वालों की राय में यहां की अर्थव्यवस्था और समाज व्यवस्था के लिहाज से लक्खी भंडार योजना इस चुनाव में भी बहुत महत्वपूर्ण असर छोड़ रही है. इनका मानना है कि लक्खी भंडार ने महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण किया है और इससे सिर्फ एक महिला को नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार को फर्क पड़ता है. लक्खी भंडार अगर किसी महिला को मिल रहा है, तो उससे उसका पति भी खुश है और बेटे-बेटी भी. बंगाल के लोग नौकरी पसंद होते हैं, यह भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. दरअसल, लोगों के बीच यह बात घर कर गयी है कि मोदी सरकार नौकरियां देने के मामले में असंवेदनशील है. यह चर्चा का विषय रहा है. साथ ही सोशल सिक्योरिटी के नाम पर भी आम लोगों में मोदी सरकार के प्रति कोई आकर्षण नहीं है. लोग मानते हैं कि उम्रदराज नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का मसला अहम है. माना जा रहा है कि रोजगार या कहें नौकरी और सामाजिक सुरक्षा, इन दोनों ही मोर्चों पर भाजपा से नाराज हो रहा वर्ग तृणमूल की तरफ झुका है. बहरहाल अभी अंतिम तौर पर चुनाव परिणाम आने को बाकी हैं. पर, दृश्य मोटे तौर पर साफ है. भाजपा के पुराने वोटरों के एक बड़े वर्ग ने अपना रुख बदल कर तृणमूल के साथ खड़ा होने को शायद बेहतर और सुरक्षित माना है.

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