लोकसभा चुनाव 2024: बीजेपी ने 4 व सपा ने 1 कलाकार को बनाया है प्रत्याशी, राजनीतिक विश्लेषक से जानिए टिकट देने की वजह

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में राजनीतिक दल फिल्मी सितारों को टिकट देते हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर राजेश मिश्र ने इन्हें टिकट देने की वजह बतायी.

By Agency | March 11, 2024 7:02 AM
an image

Lok Sabha Elections 2024: भोजपुरी गायक एवं अभिनेता पवन सिंह के पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने से मना करने के बाद यह चर्चा तेज हो गयी है कि आखिर राजनीतिक दल सिनेमा जगत के कलाकारों को उम्मीदवार क्यों बनाते हैं. प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर राजेश मिश्र का कहना है कि राजनीतिक दल संकट के दौरान या फिर अपनी सीट बढ़ाने के लिए सिनेमा जगत के कलाकारों का सहारा लेते हैं. आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अभी तक चार मौजूदा सांसदों हेमा मालिनी (मथुरा), स्मृति ईरानी (अमेठी), रवि किशन (गोरखपुर) और दिनेश लाल यादव निरहुआ (आजमगढ़) को फिर से उम्मीदवार बनाया है.

सपा ने इन्हें दिया टिकट
सपा ने हास्य धारावाहिक ‘लापतागंज’ की अभिनेत्री काजल निषाद को गोरखपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, एक अन्य राजनीतिक टिप्पणीकार ने दावा किया कि मथुरा में हेमा मालिनी को उनके ‘ग्लैमर’ के साथ उनके पति धर्मेंद्र की जाति (जाट) के मतदाताओं की अच्छी संख्या के नाते भाजपा ने मौका दिया. वहीं, गोरखपुर में भाजपा ने रवि किशन शुक्ला को ब्राह्मण बिरादरी के साधने के लिए उम्मीदवार बनाया है. आजमगढ़ लोकसभा सीट से दिनेश लाल यादव को इसलिए मौका मिला कि वहां यादव बिरादरी के मतदाताओं की संख्या काफी है. दिल्ली में बिहार के लोगों की अच्छी तादाद की वजह से मनोज तिवारी फिर से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. इसी तरह, सपा ने काजल निषाद को मल्लाह, माझी और केवट बिरादरी को साधने के लिए उम्मीदवार बनाया.

1984 में अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था
साल 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इलाहाबाद संसदीय सीट पर यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ अभिनेता अमिताभ बच्चन को उतारा था और वह जीत गये. उस चुनाव में बच्चन को दो लाख 97 हजार से ज्यादा मत मिले, जबकि बहुगुणा को एक लाख 10 हजार से भी कम मतों से संतोष करना पड़ा था.

2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया
वर्ष 2014 में अमेठी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुकाबले स्मृति ईरानी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया. हालांकि, राहुल ने ईरानी को पराजित कर दिया. वर्ष 2019 में ईरानी ने गांधी को चुनाव में हरा कर कांग्रेस के अमेठी किले पर कब्जा जमा लिया. एक बार फिर अमेठी से ईरानी चुनावी मैदान में हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी और आदित्यनाथ के खिलाफ नहीं चला था जादू
साल 1996 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ सपा ने लखनऊ से अभिनेता राज बब्बर को मैदान में उतारा था. वहीं, 2009 में गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गायक मनोज तिवारी चुनाव मैदान में थे, लेकिन ये दोनों कलाकार कोई करिश्मा नहीं कर सके. हालांकि, 2014 और 2019 में मनोज तिवारी दिल्ली में भाजपा से जीत गये और तीसरी बार पार्टी के फिर से उम्मीदवार हैं. वहीं, राज बब्बर भी 1999 और 2004 में आगरा में सपा से और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर फिरोजाबाद से चुनाव जीते.

राजनाथ सिंह से हार गयी थीं शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ संसदीय सीट से भाजपा के राजनाथ सिंह के खिलाफ सपा ने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी व पूर्व अभिनेत्री पूनम सिन्हा को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन पूनम सिन्हा तीन लाख 44 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से पराजित हो गयीं. आजमगढ़ में 2019 के चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने भाजपा उम्मीदवार व भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ पराजित हो गये.

अभिनेत्री नफीसा नहीं दिखा सकीं करिश्मा
वर्ष 2009 में लखनऊ में भाजपा नेता लालजी टंडन के खिलाफ सपा ने अभिनेत्री नफीसा अली को मौका दिया, लेकिन टंडन के मुकाबले वह चौथे स्थान पर रहीं. रामपुर से अभिनेत्री जयाप्रदा दो बार विजयी रहीं, लेकिन उन्हें आजम खान के मुकाबले पराजय का सामना करना पड़ा. इसके पहले 2004 और 2009 में वह रामपुर से सपा के चुनाव चिह्न पर संसद सदस्य निर्वाचित हुई थीं.

Exit mobile version