Lok Sabha Elections 2024: मिल बंदी, हड़ताल, हिंसा व अपराध की चपेट में रहा है पश्चिम बंगाल का बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र

Lok Sabha Elections 2024: पश्चिम बंगाल का बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र मिल बंदी, हड़ताल, हिंसा व अपराध की चपेट में रहा है. राजनीतिक महत्व के कारण इसे हॉट सीट माना जाता है.

By Guru Swarup Mishra | May 18, 2024 6:47 PM

Lok Sabha Elections 2024: बैरकपुर, मनोरंजन सिंह-देश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान चल रहा है. आगामी एक जून को अंतिम चरण का भी मतदान संपन्न हो जायेगा. एक जून को सातवें चरण की वोटिंग के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व का समापन भी हो जायेगा. इस बीच सामने 20 मई को पांचवें चरण के मतदान के तहत पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे स्थित हावड़ा, हुगली और उत्तर 24 परगना जिले की कुल मिला कर सात सीटों पर मतदान होना है. उत्तर 24 परगना का बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र, जो अपने आप में एक औद्योगिक क्षेत्र भी है, अन्य सीटों से थोड़ा अलग है. दरअसल, जब से यह सीट अस्तित्व में है, इसे हॉट सीट ही माना जाता है. इसके राजनीतिक महत्व के चलते.

टीएमसी व बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा बनी ये सीट
इस बार भी बैरकपुर लोकसभा सीट राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल और केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा, दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है. रस्साकशी ऐसी कि आये दिन बैरकपुर की फिजा तनाव से भरी महसूस होती है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुई हिंसा का दौर तो पूरी तरह आज तक थमा नहीं है. इस बार भी चुनाव जीतने के लिए जैसी राजीतिक प्रतिस्पर्धा दिख रही है, अधिकतर लोगों का मानना है कि जीत-हार किसी की हो, अगर प्रशासन के रुख में कोई बड़ा सकारात्मक बदलाव नहीं हुआ, तो हिंसा का दौर आगे भी जारी रह ही सकता है. इसके अतिरिक्त राजनीतिक दबाव, तनाव, हिंसा और हस्तक्षेप का एक बड़ा प्रभाव बैरकपुर शिल्पांचल के कल-कारखानों पर भी दिखता ही रहता है. यहां बड़ी संख्या में मौजूद जूट मिलें आये दिन बंद होती और खुलती रहती हैं. यहां के उद्योग धंधे में जूट मिलों की हिस्सेदारी बड़ी है. और इन मिलों के कामगारों की समस्या यहां की सबसे बड़ी समस्याओं में शुमार है. हाल में बैरकपुर में एक चुनावी सभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बंगाल में बैरकपुर की धरती इतिहास रचने वाली व आजादी में अहम भूमिका निभाने के लिए जानी जाती है. लगे हाथ उन्होंने बैरकपुर को जूट इंडस्ट्री का हब बताते हुए कहा था कि गंगा मैया के आशीर्वाद से खेती के साथ-साथ यहां उद्योग धंधे भी कभी फल-फूल रहे थे. पर, आज हालात बदल गये हैं. यहां का जूट उद्योग बेहाल है. मजदूरों की सुध लेनेवाला कोई नहीं है.

जिधर देखो जूट मिलें और चटकल मजदूर
कोलकाता महानगर से करीब 25 किलो मीटर दूर बैरकपुर शिल्पांचल स्थित है. यहां जूट मिलें बड़ी संख्या में हैं. केवल इस लोकसभा क्षेत्र में ही 17 मिलें खड़ी हैं. स्वाभाविक है कि चटकल (जूट) मजदूरों की तादाद भी अधिक होगी ही. बैरकपुर लोकसभा केंद्र अंतर्गत आमडांगा, बीजपुर, नैहाटी, भाटपाड़ा, जगदल, नोआपाड़ा और बैरकपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल है. साथ ही शिल्पांचल क्षेत्र में ही बैरकपुर, भाटपाड़ा, हालीशहर, कमरहट्टी, नैहाटी, नार्थ बैरकपुर, कांचरापाड़ा, टीटागढ़, नोआपाड़ा और गारुलिया नगरपालिका क्षेत्र भी शामिल हैं. इस क्षेत्र की करीब 35 प्रतिशत आबादी मध्यम वर्ग नागरिकों और श्रमिकों की है. खास यह है कि इस शिल्पांचल में रहने वाले मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों की स्थिति देश के अन्य हिस्सों से अलग नहीं है.

बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास
इस सीट के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि यहां हमेशा ही श्रमिक संगठनों और श्रमिक नेताओं ने यहां के चुनाव को प्रभावित किया है. आमतौर पर यहां से मजदूर हितैषी नेता ही चुनाव जीतते रहे हैं. 1951 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी. बाद में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी यहां अगले पांच सालों तक काबिज रही. 1962 से 1976 तक माकपा ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद कभी कांग्रेस, तो कभी माकपा के पाले में यह सीट आती-जाती रही. 1989 तक यह सिलसिला चलता रहा. इसके पश्चात एक बार फिर से यह सीट लंबे समय के लिए माकपा के कब्जे में चली गयी. उसके नेता तड़ित वरण तोपदार ने 2009 तक लोकसभा में बैरकपुर का प्रतिनिधित्व किया. 2009 में लंबे समय बाद यह सीट माकपा के हाथ से फिसली और अगले 10 सालों तक तृणमूण कांग्रेस के कब्जे में रही. पर, 2019 में तृणमूल विजयी हैट्रिक नहीं लगा सकी. तब तृणमूल से निकल कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व तृणमूल विधायक अर्जुन सिंह ने बाजी पलट दी और इस तरह अभी तक भाजपा का इस सीट पर कब्जा बना हुआ है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बैरकपुर के दो प्रमुख उम्मीदवार हैं भाजपा के अर्जुन सिंह और तृणमूल कांग्रेस के पार्थ भौमिक. माना जा रहा है कि इन्हीं दोनों में आमने-सामने की लड़ाई हो रही है

तृणमूल-भाजपा में आते-जाते रहे हैं अर्जुन सिंह
बैरकपुर से 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने जाने से पहले अर्जुन सिंह बैरकपुर शिल्पांचल में ही स्थित भाटपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के विधायक थे. पार्टी में उनकी पकड़ भी ठीकठाक थी. लेकिन, 2019 के चुनाव में बैरकपुर लोकसभा सीट से तृणमूल का टिकट नहीं मिलना उन्हें पसंद नहीं आया. नाराज होकर वह भाजपा में चले गये और अपनी नयी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर लोकसभा का चुनाव जीत भी लिया. पर, 2022 में कतिपय राजनीतिक कारणों से उन्होंने फिर से पाला बदल लिया. वह एक बार फिर से तृणमूल में शामिल हो गये. इस बीच जब 2024 के लिए लोकसभा का टिकट देने का मामला सामने आया, तृणमूल कांग्रेस ने अर्जुन सिंह को नजरंदाज कर उनके आंचलिक प्रतिद्वंद्वी तथा राज्य के मंत्री पार्थ भौमिक को बैरकपुर का टिकट सौंप दिया. इस बात को फिर से अर्जुन सिंह पचा नहीं सके. उन्होंने पार्टी से बगावत कर एक बार फिर से भाजपा का झंडा थाम लिया. इसका उन्हें लाभ भी मिला. भाजपा छोड़ कर तृणमूल में जाने के पश्चात पुन: वापसी करने के बावजूद पार्टी ने उन्हें ही बैरकपुर का टिकट दे दिया. अब वह तृणमूल उम्मीदवार पार्थ भौमिक के खिलाफ बैरकपुर के चुनावी मैदान में एक बार फिर से ताल ठोक रहे हैं.

पार्थ भौमिक पहली बार लड़ रहे संसदीय चुनाव
उत्तर 24 परगना के जिले की भौगोलिक सीमा में स्थित बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत जो विधानसभा सीटें आती हैं, उनमें नैहाटी भी एक है. इस बार राज्य में सत्तारूढ़ और केंद्र में विपक्षी खेमे की तरफ से खुद को सत्ता का मजबूत दावेदार बता रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विधायक पार्थ भौमिक बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार हैं. नैहाटी से ही तीन बार वह विधानसभा सदस्य चुने जा चुके हैं. वह पश्चिम बंगाल विधान सभा परिषद के सचिव हैं, जिन्हें उप सचेतक के रूप में भी जाना जाता है. वह तृणमूल के दमदम-बैरकपुर संगठनात्मक जिले के अध्यक्ष भी हैं. वह पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं. वह नाट्य कलाकार के तौर पर जाने जाते हैं. श्री भौमिक बांग्ला वेबसीरिज में भी काम कर चुके हैं.

मुद्दे : गंदगी, पेयजल, जूट मिलों का बार-बार बंद होना
वैसे तो बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत स्थानीय निकायों से जुड़ी कई समस्याएं हैं, जो चुनाव के दौरान राजनेताओं द्वारा उठायी जाती हैं, इन्हें दूर करने के लिए नेताओं की तरफ से आश्वासन दिया जाता है. मिल-मजदूरों का इलाका होने के चलते गंदगी और निकासी जैसी समस्या गंभीर हैं. पेयजल की कमी भी एक प्रमुख समस्या है. बैरकपुर शिल्पांचल में जूट मिलों के खुलने और बंद होने के अतिरिक्त और भी कई प्रकार की संबंधित समस्याएं आये दिन सामने आती रहती हैं. पर, ये समस्याएं ऐसी हैं मानो अमृतपान कर बैरकपुर में पधारी हों. जाने का नाम ही नहीं लेतीं. आज तक इनकी चर्चा ही हो रही है, निराकरण नहीं. इसका एक प्रमुख कारण राजनीति है. केंद्र की नितियों पर निर्भर रहने वाली जूट मिलें यहां कई दूसरी वजहों से राज्य सरकार के प्रभाव में रहती हैं. केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारें होना यहां के लिए आम बात है. चंद वर्षों को छोड़ दें, तो बाकी समय दिल्ली और कोलकाता की सरकारें अलग-अलग रूप-रंग की ही रही हैं. इससे बैरकपुर शिल्पांचल की जूट मिलें और अन्य उद्योग-धंधे भी प्रभावित होते रहते हैं. यहां की कौन सी मिल कब बंद हो जाये, कोई नहीं जानता. और एक बार एक मिल बंद हुई तो फिर कई हजार लोग जॉबलेसनेस के शिकार हो जाते हैं.

प्रत्याशियों में चल रही जुबानी जंग, लग रहे आरोप-प्रत्यारोप
बैरकपुर के भाजपा प्रत्याशी अर्जुन सिंह उत्तर 24 परगना स्थित संदेशखाली की घटना को लेकर लगातार नैहाटी के पूर्व विधायक व बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र से उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी तृणमूल प्रत्याशी पार्थ भौमिक पर हमले बोल रहे हैं. वह संदेशखाली से खुली ट्रेन के नैहाटी पहुंचने की चर्चा करते हुए व्यंग्य वाण छोड़ रहे हैं. अधिकतर मामले में उनके निशाने पर पार्थ भौमिक ही रहते हैं. वह श्री भौमिक को संदेशखाली के सबसे बदनाम व्यक्ति शेख शाहजहां गॉडफादर बताते हैं. दसरी तरफ पार्थ भौमिक भी अपने चुनाव प्रचार के क्रम में जुबानी जंग से पीछे नहीं हट रहे. पार्थ भौमिक कहते हैं कि वह बैरकपुर में शांति चाहते है गैंगस्टर नहीं. वह चुनाव जीत कर बैरकपुर को अपराधमुक्त करने की बात करते हुए आरोपों के तीर अर्जुन सिंह पर बरसाते हैं. यहां तक कि तृणमूल की तरफ से आये दिन अर्जुन सिंह को पल्टीमार नेता बताते हुए उन पर हमले बोले जा रहे हैं.

तृणमूल उम्मीदवार के वादे
तृणमूल प्रत्याशी पार्थ भौमिक कहते हैं कि जनता अगर उन्हें मौका देती है, तो वह नैहाटी के बड़ो मां के मंदिर की तरह ही श्यामनगर मुलाजोड़ कालीबाड़ी, आमडांगा कालीबाड़ी को विकासित कर पर्यटन का बढ़ावा देंगे. जूट मिलों की समस्याओं को दूर करने के लिए संसद में आवाज उठायेंगे. साथ ही युवाओं के हित में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क स्टडी सेंटर खोलेंगे. कल्याणी तक मेट्रो परिसेवा, बैरकपुर एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ शिल्प उद्यान (इंडस्ट्रियल पार्क) का भी निर्माण करवायेंगे. बैरकपुर में गंगा नदी के किनारे पर्यटन केंद्रों के निर्माण की भी योजना वह लोगों के बीच गिना रहे हैं. बैरकपुर से गुंडागर्दी खत्म कर शांति और सौहार्द स्थापित करने की बात भी लगातार उनकी जुबान पर ही रहती है.

भाजपा प्रत्याशी के चुनावी वादे
बैरकपुर के भाजपा प्रत्याशी अर्जुन सिंह ने कहा कि बैरकपुर से जूट इंडस्ट्री खत्म हो चुका है. अपने दौरे के क्रम में प्रधानमंत्री जी ने खुद भी यह बात कही है. इससे स्पष्ट है कि मोदी जी की निगाह बैरकपुर की स्थिति पर पड़ी है. ऐसे में आनेवाले दिनों में इसे फिर से यहां के कल-कारखानों को पुनर्जीवित किया जायेगा, इसमें शक की कोई गुंजाईश नहीं है. मोदी जी की गारंटी है, तो लोगों काे उन पर विश्वास भी है. यहां जूट उद्योग और कल-कारखाने को बढ़ावा दिया जायेगा. आनेवाले दिनों में डबल इंजन की सरकार होने पर तेजी से विकास होगा. सत्तारूढ़ दल के संरक्षण में रंगदारी और गुंडागर्दी लगातार जारी है. इसे हर हाल में समाप्त कर दिया जायेगा. मजदूरों, युवाओं और महिलाओं के हित में काम करना है.

कोई टोटो पर सवार, तो कोई पैदल पहुंच रहा घर-घर
चुनाव प्रचार के लिए भाजपा और तृणमूल, दोनों ही दलों के प्रत्याशी सामान्य तरीकों का ही उपयोग कर रहे हैं. तृणमूल प्रत्याशी को चुनावी प्रचार में कभी टोटो पर तो कभी कीर्तन मंडली में शामिल होकर प्रचार करते देखा जा रहा है, तो अर्जुन सिंह डोर टू डोर प्रचार पर बल दे रहे हैं. श्री सिंह लोगों की समस्याओं का सुनने के साथ ही उसे सुलझाने का भी आश्वासन दे रहे हैं. इसके अलावा उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान धर्मस्थलों का दर्शन-दौरा करते भी देखा जा रहा है. पोशाक के मामले में दोनों ही प्रत्याशी नेताओं के प्रचलित पहनावे का अनुसरण करने वाले हैं. दोनों ही आमतौर पर खादी और सूती के ट्राउजर तथा हाफ शर्ट में दिखते हैं. हालांकि सिर्फ चुनाव के लिए ही नहीं, ये दोनों ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी ऐसे ही ड्रेस में हरदम नजर आते हैं.

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