Lok Sabha Election 2024 चुनाव में खूब दौड़ रही लग्जरी गाड़ियां, ट्रेवल इंडस्ट्री को मिला बूम
हर उम्मीदवार अपने कुल चुनावी व्यय का लगभग 50 फीसदी सिर्फ वाहनों के किराये, इंधन और ड्राइवर पर खर्च कर रहे हैं. उम्मीदवारों को फॉर्च्यूनर, थार, हैरियर, स्कॉर्पियो, एक्सयूवी, टीयूवी आदि लग्जरी वाहनों के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं.
सुमित कुमार, पटना.
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 ने ट्रेवल इंडस्ट्री को बड़ा बूम दिया है. चुनाव की घोषणा के साथ ही बिहार में छोटे वाहनों से लेकर लग्जरी वाहनों की डिमांड इतनी बढ़ गयी है कि ट्रेवल एजेंसियां दूसरे राज्यों से व्यवस्था कर इसकी पूर्ति में लगी हैं. खास कर पहले दो चरणों में बिहार के लोकसभा क्षेत्रों में इस्तेमाल हुए अधिकतर महंगे वाहन झारखंड के विभिन्न जिलों से मंगाये गये थे. मालूम हो कि झारखंड में मतदान की प्रक्रिया चौथे चरण से शुरू हो रही है.
फॉर्च्यूनर, थार, स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियों की डिमांड ज्यादा
उम्मीदवारों के चुनावी व्यय रजिस्टर से मिली जानकारी के मुताबिक बड़ी पार्टियों का एक मजबूत उम्मीदवार अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में हर दिन 60 से 90 अनुमति प्राप्त गाड़ियां दौड़ा रहे हैं. मैजिक, टेंपू से लेकर फॉर्च्यूनर, थार, स्कॉर्पियो जैसी लक्जरी गाड़ियों की बड़ी डिमांड है. ये गाड़ियां संबंधित लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े इलाकों में चुनाव प्रचार में इस्तेमाल हो रही हैं. एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन 10 से 12 उम्मीदवार खड़े हैं. इस हिसाब से देखें तो हर लोकसभा क्षेत्र में प्रति दिन 700 से एक हजार वाहन चुनाव प्रचार में लगे हैं.
कई उम्मीदवार गाड़ियों पर 15 से 20 लाख रुपये कर रहे खर्च
इन वाहनों के लिए उम्मीदवारों को प्रति दिन प्रति वाहन किराया, ईंधन और चालक मिला कर ढाई से पांच हजार रुपये का खर्च है. ऐसे में नामांकन से लेकर मतदान तक करीब एक महीने चलने वाले चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवार को सिर्फ वाहन पर एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च करना पड़ रहा है. कई उम्मीदवारों ने चुनावी व्यय में सिर्फ वाहनों पर 15 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक का खर्च दिखाया है. मालूम हो कि हर उम्मीदवार अपने कुल चुनावी व्यय का लगभग 50 फीसदी सिर्फ वाहनों के किराये, इंधन और ड्राइवर पर खर्च कर रहे हैं. उम्मीदवारों को फॉर्च्यूनर, थार, हैरियर, स्कॉर्पियो, एक्सयूवी, टीयूवी आदि लग्जरी वाहनों के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. ये गाड़ियां चुनाव प्रबंधन कार्यालयों से लेकर बूथ मैनेजमेंट में जुटे पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को मुहैया करायी गयी हैं.
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