मुंगेर लोकसभा: लगातार तीसरी बार ललन सिंह का किसी बाहुबली की पत्नी से होगा मुकाबला, जानें कौन कब जीता
मुंगेर लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आया. जिसके बाद यहां अब तक तीन बार चुनाव हो चुका है. जिसमें से दो बार ललन सिंह चुनाव जीते हैं.
राणा गौरी शंकर, मुंगेर. बिहार की हॉट सीट में से एक मुंगेर लोकसभा सीट पर इस बार निवर्तमान सांसद सह जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता से होगा. पिछले तीन लोकसभा चुनाव से लगातार ललन सिंह के मुकाबले में बाहुबलियों की पत्नी चुनाव मैदान में उतर रही हैं.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राज्य के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी से पराजित भी होना पड़ा था. लेकिन वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को भारी मतों से हराया था. इस बार राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है और अनंत सिंह व उनकी पत्नी नीलम देवी अब ललन सिंह के साथ हैं. मुंगेर संसदीय क्षेत्र का चुनाव चौथे चरण में 13 मई को होना है. इसके लिए 18 अप्रैल को अधिसूचना जारी होगी.
मुंगेर लोकसभा से से पहली बार ललन सिंह बने सांसद
मुंगेर संसदीय क्षेत्र में नये परिसीमन के बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने मुंगेर संसदीय क्षेत्र को अपना राजनीतिक ठिकाना बनाया. वे यहां से पहली बार सांसद बने थे. उसके बाद से अब तक हुए तीनों संसदीय चुनाव में ललन सिंह मुंगेर सीट पर पूरी मजबूती के साथ लड़े. दो बार अपनी जीत भी दर्ज करा चुके हैं. खास बात यह है कि ललन सिंह को जीत तभी मिली, जब वे एनडीए के उम्मीदवार रहे.
2014 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए ने राज्य के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया, तो ललन सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा था.
2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह एनडीए के उम्मीदवार बने और उनका मुकाबला अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी से हुआ था. नीलम देवी कांग्रेस के टिकट पर महागठबंधन की उम्मीदवार थीं और उस चुनाव में ललन सिंह ने उन्हें 1,67,937 मतों से पराजित किया था.
नये राजनीतिक समीकरण के तहत अब अनंत सिंह व उनकी पत्नी नीलम देवी ललन सिंह के साथ हैं और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करेंगे. दूसरी ओर पूर्व सांसद वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह इस चुनाव में चुप्पी साधे हुए हैं.
नये परिसीमन के बाद बदला जातीय समीकरण
वर्ष 2008 में हुए नये परिसीमन के बाद मुंगेर संसदीय क्षेत्र का स्वरूप पूरी तरह बदल गया. नये परिसीमन में जमुई लोक सभा का गठन किया गया और मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र जहां जमुई लोकसभा में शामिल हो गया, वहीं हवेली खड़गपुर विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही खत्म हो गया. जबकि हवेली खड़गपुर ही वह विधानसभा क्षेत्र था, जहां से पहली बार चुनाव जीतकर बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
नये परिसीमन में मुंगेर संसदीय क्षेत्र में लखीसराय जिले के लखीसराय व सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के साथ ही पटना जिले के बाढ़ व मोकामा को भी शामिल किया गया. ऐसे में इस क्षेत्र में जातीय समीकरण भी बदल गया है. इस क्षेत्र में जहां सर्वाधिक भूमिहार मतदाता शामिल हो गये हैं, वहीं अतिपिछड़ा का भी बड़ा वोट बैंक जुड़ गया है. नये परिसीमन के बाद इस सीट से लगातार भूमिहार समाज के ही सांसद रहे हैं.
एक नजर में: कब किसे कितने वोट मिले
वर्ष | नाम | दल | मत |
---|---|---|---|
2009 | ललन सिंह (जीते ) | जदयू | 3,74,317 |
2009 | राम बदन राय (हारे) | राजद | 1,84,956 |
2014 | वीणा देवी (जीती) | लोजपा | 3,52,911 |
2014 | ललन सिंह (हारे) | जदयू | 2,43,827 |
2019 | ललन सिंह (जीते) | जदयू | 528,762 |
2019 | नीलम देवी (हारी) | कांग्रेस | 3,60,825 |
Also Read : NDA के गढ़ में ‘इंडिया’ की घेराबंदी, काराकाट लोकसभा की सभी 6 विधानसभा सीटें महागठबंधन के कब्जे में