Lohardaga Lok Sabha Election Result 2024: लोहरदगा से सुखदेव भगत ने बीजेपी के समीर उरांव को हराया, 139138 वोटों से की जीत दर्ज
Lohardaga Lok Sabha Election Result 2024: लोहरदगा लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत ने जीत हासिल की है. इन्हें 483038 वोट मिले हैं. बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव को 343900 वोट मिले हैं. सुखदेव भगत ने 139138 वोटों से जीत दर्ज की है.
Lohardaga Lok Sabha Election Result 2024: लोहरदगा लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत ने जीत हासिल की है. इन्हें 483038 वोट मिले हैं. बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव को 343900 वोट मिले हैं. सुखदेव भगत ने 139138 वोटों से जीत दर्ज की है.
Lohardaga Lok Sabha के कई सांसद केंद्र में बने हैं मंत्री
झारखंड का लोहरदगा लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है, जहां कभी भी जीत हार का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा. अगर हम इसे कांटे की टक्कर वाली सीट कह दें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि वर्ष 2009 के बाद के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. इस सीट की खास बात ये भी है कि यहां अनुसूचित जनजाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यहां से जीत दर्ज करने वाले सांसद कई बार केंद्र में मंत्री भी बने हैं.
किसी भी एक पार्टी का नहीं रहा गढ़
लोहरदगा लोकसभा सीट की बात करें तो यह किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं रहा है. लेकिन 2009 से इस सीट पर बीजेपी के सुदर्शन भगत का कब्जा रहा है. हालांकि, भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर समीर उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया है. उनके सामने कांग्रेस के सुखदेव भगत हैं. हालांकि चमरा लिंडा के चुनाव लड़ने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. क्योंकि चमरा लिंडा का इस सीट पर खासा प्रभाव रहा है. खासकर आदिवासी मतदाताओं के बीच.
कौन हैं समीर उरांव, चमरा लिंडा और सुखदेव भगत
भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव की बात करें तो वह पूर्व में राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा वह पार्टी के अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. वह इससे पहले सिसई विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. जबकि सुखदेव भगत की बात करें तो वह लोदरगा विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर विधायक रह चुके हैं. हालांकि वह साल 2019 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर लोहरदगा विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें रामेश्वर उरांव से हार का सामना करना पड़ा. इसके कुछ ही दिन बाद उनका भाजपा से मुंह भंग हो गया और उन्होंने फिर से कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. जबकि चमरा लिंडा की बात करें तो वह विशुनपुर विधानसभा से लगातार चार बार के विधायक रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने साल 2004 से 2014 तक लोकसभा का भी चुनाव लड़ा. लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव में हर बार हार का सामना करना पड़ा.
1957 में पहली बार हुआ चुनाव
लोहरदगा लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ. तब इस सीट से झारखंड पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई थी. कांग्रेस ने इस सीट पर पहली बार 1967 में जीत दर्ज की. कार्तिक उरांव ने पहली बार कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की और मंत्री बनें. जबकि भाजपा का खाता यहां पर साल 1991 में खुला. ललित उरांव ने बीजेपी का यहां से खाता खोला. लेकिन साल 2009 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है.
कितनी है जनसंख्या
लोहरदगा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां की कुल जनसंख्या 19 लाख है. जहां सबसे अधिक संख्या ग्रामीण क्षेत्र की है. यहां की 94.44 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है. जबकि मात्र 6.06 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. इस सीट पर अनुसूचित जनजाति का दबदबा है. जहां 64.04 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है.
हार-जीत का अंतर कभी अधिक नहीं रहा
दिलचस्प बात ये भी है कि इस सीट पर हार जीत का अंतर कभी अधिक नहीं रहा. 2009 के बाद का आंकड़ा तो यही कहता है. साल 2009 में सुदर्शन भगत ने भाजपा की टिकट पर जीत हासिल किया. जबकि दूसरे स्थान पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे चमरा लिंडा थे. दोनों के बीच हार जीत का मार्जिन केवल 8,283 वोटों का था. 2014 लोकसभा चुनाव की भी यही कहानी थी. जहां सुदर्शन भगत और रामेश्वर उरांव के बीच वोटों का अंतर केवल 6489 का था. जबकि साल 2019 में सुदर्शन भगत और सुखदेव भगत के बीच जीत हार का अंतर केवल 10363 वोटों का था.
क्या है इस चुनाव का हाल
लोहरदगा लोकसभा से मौजूदा चुनाव की बात करें तो इस बार यहां से कुल 15 प्रत्याशी मैदान में थे. 62.60 फीसदी लोगों लोगों ने मतदान किया. इस बार कांग्रेस की तरफ से सुखदेव भगत मैदान में थे. भाजपा ने इस बार सुदर्शन भगत का टिकट काटकर समीर उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया. चमरा लिंडा ने अपनी पार्टी झामुमो से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा.