Ram Mohan Naidu: सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री, तीन बार के सांसद, जानिए कौन हैं राम मोहन नायडू
Ram Mohan Naidu: तेलुगू देशम पार्टी के नेता राम नायडू सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बने हैं. महज 36 साल की उम्र में वो तीसरी बार सांसद बने हैं. विरासत में मिली राजनीति को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है.
Ram Mohan Naidu: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मंत्री पद की शपथ लेने वाले टीडीपी नेता राम मोहन नायडू भी शामिल है. तेलुगू देशम पार्टी (TDP) नेता राम मोहन नायडू आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. नायडू ने अपने प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस के तिलक पेराडा को भारी अंतर से हराकर तीसरी बार सांसद बने हैं. टीडीपी के तीसरे बार के सांसद राम मोहन नायडू ने महज 36 साल की उम्र में मोदी सरकार की तीसरी पारी में मंत्री पद की शपथ ली है. वो अबतक के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बने हैं.
तीसरी बार बने हैं सांसद
राम मोहन नायडू को राजनीति विरासत में मिली है. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीडीपी नेता येरन नायडू के बेटे हैं. साल 2012 उन्होंने पॉलिटिक्स जॉइन की थी. आंध्र प्रदेश की श्रीकाकुलम लोकसभा सीट से वो तीसरी बार सांसद बने हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस के तिलक पेराडा को 3 से ज्यादा वोटों से मात दी है.
पिता की मौत के बाद संभाली विरासत
साल 2012 में कार हादसे में राम मोहन नायडू के पिता का निधन हो गया था. पिता की मौत के बाद वो सक्रिय राजनीति में आए और 2014 में महज 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने. उन्होंने श्रीकाकुलम से चुनाव जीता. वो 16वीं लोकसभा में दूसरे सबसे कम उम्र के सांसद बने थे.
राम मोहन नायडू ने अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है
नायडू काफी पढ़े लिखे सांसद हैं. उन्होंने अमेरिका से पढ़ाई की है. यूएस के प्रूडे यूनिवर्सिटी से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने अपनी स्कूली तालिम दिल्ली के डीपीएस स्कूल आरके पुरम से की है. राजनीति में आने से पहले वो सिंगापुर में रहकर काम कर रहे थे, लेकिन पिता की मौत के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा.
संसद रत्न पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित
राम मोहन नायडू को 2020 में संसद रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. आम लोगों और अपने वोटरों से उनका कितना करीबी रिश्ता है यह इसी से जाहिर हो जाता है कि उन्होंने 18वीं लोकसभा चुनाव में अपनी सीट से तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है.