भारत को कमजोर बनाने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था पर दिया गैरजिम्मेदाराना बयान, निर्मला सीतारमण ने कहा
सीतारमण ने कहा, मैं मनमोहन सिंह का बहुत सम्मान करती हूं. मुझे आपसे यह आशा नहीं थी. उन्होंने यह जानना चाहा कि वह कहीं पंजाब विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज अर्थव्यवस्था को लेकर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की उसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाबी हमला किया और कहा कि उन्हें भारत को सबसे कमजोर बनाने और देश में भीषण महंगाई के लिए याद किया जाता है.
मनमोहन सिंह से ऐसी उम्मीद नहीं थी : सीतारमण
सीतारमण ने कहा, मैं मनमोहन सिंह का बहुत सम्मान करती हूं. मुझे आपसे यह आशा नहीं थी. उन्होंने यह जानना चाहा कि वह कहीं पंजाब विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं. केंद्रीयय मंत्री ने पूर्व एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण द्वारा देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को चलाने के लिए ‘हिमालय में बसने वाले योगी’ की सलाह लेने के बारे में हाल में हुए खुलासों का भी संदर्भ दिया और कहा कि सत्ता में रहते हुए सिंह को लंबे समय तक पता भी नहीं था कि चीजें कैसे चल रही हैं. सीतारमण ने मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आंकड़ों की भी तुलना की.
मनमोहन सिंह ने भाजपा सरकार पर किये तीखे हमले
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए आज कहा कि भारतीय जनता पार्टी पिछले सात साल से अधिक समय से सत्ता में है, लेकिन लोगों की समस्याओं के लिए वह अब भी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहरा रही है. सिंह ने किसान आंदोलन, विदेश नीति, महंगाई और बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का राष्ट्रवाद ‘फर्जी’ है और ब्रितानी नीति ‘‘फूट डालो और राज करो” पर आधारित है.
केंद्र सरकार की अदूरदर्शी नीतियों ने अर्थव्यवस्था का हाल बिगाड़ा
सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अब मौजूदा सरकार को यह समझ में आ गया होगा कि नेताओं को जबरदस्ती गले लगाने से, उनके साथ झूला झूलने से या बिना बुलाए बिरयानी खाने से देशों के संबंध नहीं सुधरते हैं. सिंह ने कहा, आज, स्थिति बहुत चिंताजनक है. कोरोना वायरस महामारी के बीच, केंद्र सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण एक ओर लोग गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती मुद्रास्फीति और बेरोजगारी से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर पिछले साढ़े सात साल से सत्ता में काबिज मौजूदा सरकार अपनी गलतियां स्वीकार करने और उनमें सुधार करने के बजाय, लोगों की समस्याओं के लिए अब भी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहरा रही है.