Rajasthan Chunav 2023 : इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. कांग्रेस में खींचतान की खबर के बीच राजस्थान CM अशोक गहलोत का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि हमारी पार्टी में कोई बहस का विषय रहता ही नहीं है, हम सब मिलकर चुनाव लड़ते हैं, जीतते हैं फिर हाईकमान जो फैसला लेती है वो हमें मंजूर होता है. हमारी पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे.
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले सीएम गहलोत और प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग तेज होती नजर आयी है. सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच शीत युद्ध चल रहा है. कई अवसर पर दोनों नेता एक दूसरे पर वार करते नजर आ चुके हैं. एक रैली के दौरान सचिन पायलट कहते नजर आ चुके हैं कि 32 सलाखों के पीछे बिना हड्डी की जो जीभ है उसे संतुलित करना बहुत जरूरी होता है. मुंह से निकली हुई बात कभी वापिस नहीं आती. राजनीति में मैंने मेरे स्वर्गीय पिताजी से बहुत कुछ सीखा है और राजनीति के अखाड़े में बड़े-बड़ों को पटखनी देते हुए देखा है.
सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच जारी खींचतान को लेकर पिछले दिनों वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर का बयान भी सामने आया. उन्होंने कहा है कि हर राजनीतिक पार्टी में थोड़ी बहुत गुटबाजी होती है. नेताओं को व्यापक फलक पर देखने के साथ ही सामूहिक लक्ष्यों पर ध्यान देना चाहिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी सत्ता संघर्ष के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर की यह टिप्पणी आयी है जिसके कई मायने लगाये जा रहे हैं. शशि थरूर ने कहा कि क्या भारत में कोई ऐसी अखंड राजनीतिक पार्टी है? क्या भाजपा : भारतीय जनता पार्टी : के भीतर वैचारिक मतभेद नहीं हैं? एक लोकतंत्र में, दो लोगों के भिन्न भिन्न विचार हो सकते हैं, लेकिन यदि आपकी विचारधारा एक है और समान हित के लिए आप लड़ रहे हैं तो पार्टी जो कहती है, वही होता है.
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आपको बता दें कि कई बार सचिन पायलट और अशोक गहलोत आमने सामने आ चुके हैं जिससे कांग्रेस की चिंता बढ़ गयी है. यदि आपको याद हो तो राजस्थान में शीर्ष पद की आकांक्षा लिये पायलट ने पिछले चुनाव में पूरा जोर कांग्रेस को जिताने के लिए लगा दिया था. इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें डिप्टी सीएम के लिए मना लिया था. इसके बाद सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच रिश्तों में खटास पैदा हो गयी और सूबे में सरकार गिरने तक की नौबत आ गयी. इसके बाद किसी तरह स्थिति को संभाला गया था.