राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इससे पहले राजनीति तेज है. खासकर सबकी नजर कांग्रेस पर बनी हुई है जहां प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच शीत युद्ध चल रहा है. इस बीच कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने जलदाय मंत्री महेश जोशी द्वारा मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दिये जाने की एक वजह 25 सितंबर की घटना के लिए उनके खिलाफ ‘कार्रवाई’ का हिस्सा बताया. वहीं, जोशी ने इशारों में ही सचिन पायलट खेमे पर निशाना साधते हुए कहा कि अब इंतजार है कि ‘‘सरकार व पार्टी को कमजोर’’ करने वालों पर कब कार्रवाई होती है.
क्या महेश जोशी का इस्तीफा 25 सितंबर की घटना को लेकर कार्रवाई का हिस्सा है? यह पूछे जाने पर रंधावा ने शनिवार को कहा कि यह कार्रवाई का भी और जो दो पद हैं उनका भी है.. दोनों हैं. यहां चर्चा कर दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से जोशी का इस्तीफा शुक्रवार को स्वीकार किया. आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, जोशी ने मुख्य सचेतक पद से अपना इस्तीफा बजट सत्र शुरू होने से पहले ही दे दिया था जिसे गहलोत ने शुक्रवार को स्वीकार किया. जोशी जलदाय मंत्री भी हैं.
महेश जोशी ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि कि उन्हें खुशी है कि रंधावा ने उनके इस्तीफे को ‘कार्रवाई’ का हिस्सा माना है. साथ ही उन्होंने इशारों में पायलट खेमे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उठा दी. उन्होंने कहा कि वह पहले ही चाह रहे थे उन्हें एक पद से मुक्ति दी जाए. जोशी ने कहा कि मेरा इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वीकार किया और रंधावा जी ने इसे कार्रवाई का हिस्सा माना… मुझे खुशी इस बात की है कि कार्रवाई भी हो गयी और मेरी इच्छा भी पूरी हो गयी.
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इसके साथ ही जोशी ने कहा कि और मुझे इंतजार है कि जिन लोगों के नाम, जिन लोगों के खिलाफ शिकायतें रहीं हैं, पार्टी को कमजोर करने की…पार्टी के खिलाफ, सरकार के खिलाफ काम करने की…मुझे ही नहीं बाकी सब को भी इंतजार रहेगा कि उन पर क्या कार्रवाई होती है. वह कार्रवाई हो और सब कार्यकर्ताओं में बराबरी का संदेश जाए. जोशी ने कहा कि उन पर इस्तीफे का कोई दबाव नहीं था.
गौरतलब है कि पायलट व उनके समर्थक कुछ विधायकों ने 2020 में मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए थे जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. हालांकि, आलाकमान के हस्तक्षेप से मामला सुलझा था. वहीं, पिछले साल 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक पार्टी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन की मौजूदगी में गहलोत के निवास पर होनी थी. गहलोत खेमे के विधायक प्रस्तावित बैठक में शामिल नहीं हुए और उन्होंने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एक समानांतर बैठक की थी. ये विधायक बाद में विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी के आवास पर गये और गहलोत (जो उस समय कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में थे) के स्थान पर पायलट को नये मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने के किसी भी कदम के खिलाफ अपने इस्तीफे सौंपे.
कांग्रेस ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए विधानसभा में महेश जोशी, शांति धारीवाल और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया. पायलट लगातार इस मामले में कार्रवाई की मांग उठाते रहे हैं. उधर, रंधावा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मंत्री हरीश चौधरी की शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री निवास में गहलोत के साथ मुलाकात हुई. गहलोत शनिवार को प्रतापगढ़ के दौरे पर रहे.
भाषा इनपुट के साथ