Tripura Election Exit Polls Results 2023: पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो गया है. इनमें मेघालय और नगालैंड में सोमवार यानि 27 फरवरी को वोटिंग हुई, जबकि त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान हुआ था. तीनों राज्यों के चुनावी नतीजे एक साथ 2 मार्च को आएंगे. उससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं. एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे है कि त्रिपुरा में एक बार बीजेपी की सरकार बनने की पूरी संभावना है.
इंडिया टुडे माय एक्सिस के एग्जिट पोल में त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 36 से 45 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को 6 से 11 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. जबकि, टिपरा मोथा पार्टी को 9 से 16 सीटों का अनुमान है. साथ ही लेफ्ट प्लस को 6-11 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, अन्य के खाते में शून्य सीटें जाती दिख रही हैं. जी न्यूज-Matrize एग्जिट पोल ने भी त्रिपुरा में 29-36 सीटों के साथ बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी की है. वहीं, टाइम्स नाउ ईटीजी के एग्जिट पोल के अनुसार, त्रिपुरा में बीजेपी को 21-27 सीटें मिलने का अनुमान है. लेफ्ट के खाते में 18-24 सीटें जाती नजर आ रही हैं.
एग्जिट पोल के मुताबिक, त्रिपुरा में बीजेपी को सबसे ज्यादा 45 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. लेफ्ट और कांग्रेस के पास 32 फीसदी वोट जाने का अनुमान है. टिपरा मोथा प्लस को 20 प्रतिशत वोट मिलते नजर आ रहे हैं. जबकि, अन्य को 3 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के सर्वे के दौरान 6128 लोगों से बातचीत की गई है. जिसमें 27 प्रतिशत लोगों ने माणिक साहा को अपनी पसंद बनाया है. सर्वे के मुताबिक, त्रिपुरा की जनता ने माणिक साहा पर फिर विश्वास जताया है. इसके अलावा, बीजेपी से कोई भी चेहरा होता तो भी जनता 14 प्रतिशत तक वोट दे रही है. वहीं, जितेंद्र चौधरी के चेहरे पर भी राज्य की जनता ने वोट किया है. उनके चेहरे पर 14 प्रतिशत लोगों ने वोट किया. इसके अलावा, तीसरे चहरे के रूप में प्रद्योत माणिक सामने आए हैं, जिनके लिए 11 प्रतिशत जनता ने वोट किया.
त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को संपन्न हुए चुनाव में लगभग 88 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. त्रिपुरा में 2018 में एक बड़ा बदलाव देखा गया था, जब बीजेपी ने 60 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें जीतकर वामपंथी शासन का अंत किया था. हालांकि, इस साल पार्टी को प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाले टिपरा मोथा से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है, जिसे आदिवासियों का समर्थन प्राप्त है. इस चुनाव में पहली बार लेफ्ट और कांग्रेस भी एक साथ नजर आए हैं.