एग्जिट पोल क्या है, कैसे किया जाता है विश्लेषण?

Exit Poll: एग्जिट पोल के विश्लेषण को जानने से पहले इसके शब्दों की बारीकियों को समझना बेहद जरूरी है. एग्जिट पोल अंग्रेजी के दो शब्द एग्जिट और पोल से मिलकर बना है. एग्जिट का अर्थ बाहर निकलना होता है और पोल का अर्थ मतदान होता है.

By KumarVishwat Sen | June 1, 2024 12:59 PM

Exit Polls: 18वीं लोकसभा के गठन के लिए कराए जा रहे चुनाव के दौरान शनिवार 1 जून 2024 को आखिरी सातवें चरण का मतदान कराया जा रहा है. मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही शाम को तमाम एजेंसियों की ओर से एग्जिट पोल भी जारी कर दिए जाएंगे, जिसमें राजनीतिक दलों की जीत-हार का अनुमान पेश किया जाएगा. कई बार एग्जिट पोल में लगाया गया अनुमान सटीक हो जाता है, तो कई बार चुनाव के नतीजे उसके विपरीत भी आ जाते हैं. इस बीच, हर किसी के मन एक सवाल यह पैदा होता है कि आखिर यह एग्जिट पोल क्या है और इसका विश्लेषण कैसे किया जाता है, जिसके आधार पर जीत-हार का दावा किया जाता है? आइए, इसके बारे में जानते हैं.

एग्जिट पोल क्या होता है?

एग्जिट पोल मुख्य तौर पर एक चुनावी सर्वे है, जो मतदान के दौरान किया जाता है. एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के कर्मचारी मतदान केंद्रों के पास खड़े होते हैं. जब कोई मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके मतदान केंद्र से बाहर निकलता है, तब एजेंसियों के कर्मचारी उससे सवाल करते हैं कि उन्होंने किसी दल या प्रत्याशी के पक्ष में अपना मत दिया है. मतदाताओं की ओर से दिए गए जवाब के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है और फिर इसका सीट, प्रत्याशी या फिर राजनीतिक दलों के आधार पर औसत मूल्यांकन किया जाता है. इसी औसत मूल्यांकन के आधार पर चुनावी रुझान या जीत-हार का अनुमान लगाया जाता है.

कैसे हुई एग्जिट पोल की शुरुआत?

मतदान के दौरान एग्जिट पोल कराने की परंपरा केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में चुनाव के दौरान एग्जिट पोल कराए जाते हैं. कई देश तो ऐसे भी हैं, जहां पर चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही एग्जिट पोल करा लिया जाता है. अमेरिका से लेकर एशिया और अफ्रीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के कई महाद्वीपों के देशों में एग्जिट पोल कराए जाते हैं. वहीं, अगर एग्जिट पोल की शुरुआत की बात करें, तो इसका जन्मदाता अमेरिका है. दुनिया भर में सबसे पहले अमेरिका ने साल 1936 में अपना चुनावी एग्जिट पोल कराया था. उस समय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने न्यूयॉर्क में चुनावी सर्वेक्षण किया था. इस एग्जिट पोल में मताधिकार का प्रयोग करके मतदान केंद्रों से निकलने वाले मतदाताओं से सवाल पूछा गया था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को अपना मत दिया है.

आखिर चरण के मतदान के बाद क्यों जारी होता है एग्जिट पोल?

भारत में एग्जिट पोल चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही जारी नहीं किया जा सकता. इसीलिए, इसे जारी करने के लिए अंतिम चरण के मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के आधे घंटे बाद जारी करने का नियम बनाया गया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126 ए के तहत अंतिम चरण का मतदान खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी नहीं किया जा सकता. इस नियम का उल्लंघन करने पर दो साल कारावास की सजा या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है.

भारत में एग्जिट पोल जारी करने के लिए कब बनी थी गाइडलाइंस?

देश में एग्जिट पोल जारी करने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने साल 1988 में पहली बार दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसके 12 साल बाद वर्ष 2010 में छह राष्ट्रीय और 18 क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बाद धारा 126 ए के तहत मतदान के दौरान सिर्फ एग्जिट पोल जारी करने पर रोक लगाई गई थी. हालांकि, निर्वाचन आयोग की मंशा थी कि ओपिनियन और एग्जिट पोल दोनों पर रोक लगाया जाना चाहिए. निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश में यह बताया गया है कि ओपिनियन और एग्जिट पोल जारी करने के समय सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियों के नाम, सर्वे में शामिल मतदाताओं की संख्या और मतदाताओं से पूछे गए सवालों का खुलासा करना आवश्यक है.

भारत में पहली बार जारी किया गया था एग्जिट पोल?

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिलने के बाद साल 1957 में जब दूसरा आम चुनाव कराया गया था, तब इसी चुनाव में देश का पहला एग्जिट पोल जारी किया गया था. इस चुनावी सर्वेक्षण को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के नेतृत्व में पूरा किया गया था. हालांकि, इसे पूरी तरह से एग्जिट पोल नहीं माना जाता है. इसके बाद साल 1980 में डॉ प्रणय रॉय ने अपना एग्जिट पोल कराया था, जिसे देश का पहले एग्जिट पोल कहा जाता है.

1996 का एग्जिट पोल क्यों माना जाता है सबसे अहम?

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 1996 का लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल के सबसे अहम था. यह वही दौर था, जब इस साल का एग्जिट पोल सरकारी चैनल दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था. यह पहला ऐसा मौका था, जब कोई चुनावी सर्वेक्षण का नतीजा दूरदर्शन के किसी चैनल पर प्रसारित किया गया हो. इस सर्वेक्षण को सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने तैयार किया था. उस चुनाव में सीएसडीएस ने अपने एग्जिट पोल में खंडित जनादेश का अनुमान लगाया था और चुनावी नतीजे भी उसी के अनुरूप आए.

एग्जिट पोल में कैसे किया जाता है विश्लेषण?

एग्जिट पोल के विश्लेषण को जानने से पहले इसके शब्दों की बारीकियों को समझना बेहद जरूरी है. एग्जिट पोल अंग्रेजी के दो शब्द एग्जिट और पोल से मिलकर बना है. एग्जिट का अर्थ बाहर निकलना होता है और पोल का अर्थ मतदान होता है. अब एग्जिट पोल का मूल अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति मतदान करके मतदान केंद्र से बाहर निकल रहा है, उससे उसकी राय जानना है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत दिया है. कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिनके आधार पर उसने अपने जनप्रतिनिधि का चयन किया है. मतदाताओं की इन्हीं राय को जानने के लिए चुनावी सर्वेक्षण कराने वाली एजेंसियां मतदान के दिन अपने कर्मचारियों को मतदान केंद्र के बाहर तैनात कर देती हैं. ये कर्मचारी किसी एक मतदान केंद्र पर 10 से 20 या फिर 50 मतदाताओं से उनकी राय जानते हैं. इसके बाद मतदाताओं की राय के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. कर्मचारियों की रिपोर्ट के आधार पर सर्वेक्षण कराने वाली एजेंसी औसत मूल्यांकन करती है और फिर इसी के आधार पर वह अपना औसत मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करती है, जिसे सही मायने में एग्जिट पोल कहा जाता है.

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