भोजपुरी इंडस्ट्री में हीरो के बराबर विलेन की भी लोकप्रियता है. भले पैसे के मामले में फर्क पड़ता है, मगर लोगों के बीच विलेन का भी क्रेज है. निर्माता-निर्देशक वैसा ही ट्रीटमेंट अब विलेन को भी देते हैं, जैसा हीरो को मिलता है. भोजपुरी सिनेमा के तीसरे दौर में आज विलेन के किरदार में कई अभिनेता सक्रिय हैं, मगर विलेन को मिलने वाली यह शोहरत सूतिहारा (सीतामढ़ी) के छोटन यानी अवधेश मिश्रा ने दिलायी. अवधेश मिश्रा ने भोजपुरी सिनेमा में एक विलेन के लिए जो लकीर खींची, वह आज तक सभी विलेन के लिए प्रेरणास्रोत है.
अवधेश मिश्रा ने वर्ष 2005 में ‘दूल्हा अइसन चाहीं’ से अपने भोजपुरी करियर की शुरुआत की, जिसमें वह पहली बार बतौर विलेन नजर आये. अवधेश से पूर्व सुशील सिंह भोजुपरी इंडस्ट्री में विलेन के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे. लगभग हर फिल्म में सुशील सिंह ही विलेन के रूप में नजर आते थे, क्योंकि तब इंडस्ट्री के पास कोई ढंग का विकल्प नहीं था. ऐसे ही समय में अवधेश मिश्रा आये और अपने अभिनय और डायलॉग डिलीवरी से दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा गये. इससे पूर्व निर्माता-निर्देशक विलेन को दोयम दर्जे का कलाकार समझकर उनकी कद्र नहीं करते थे. मगर अवधेश ने इस परंपरा को बदल डाला और विलेन के अस्तित्व को मुकम्मल पहचान और रुतबा दिलाया.
आज भी अवधेश मिश्रा की धमक विलेन के रूप में इंडस्ट्री में बरकरार है. ये ऐसे अभिनेता हैं, जो अपने बल पर फिल्में हिट करा सकते हैं और कई बार फिल्में इनकी वजह से चली भी हैं. इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब भी दूसरी किसी भी इंडस्ट्री में बिहारी विलेन की डिमांड होती है, तो लोग सबसे पहले अवधेश मिश्रा को ही साइन करते हैं. ये उनके लिए एकमात्र विकल्प के रूप में उभरे हैं.
भोजपुरिया बॉक्स ऑफिस पर स्थापित विलेन अवधेश मिश्रा और सुशील सिंह के अलावा संजय पांडेय, राजन मोदी, ब्रिजेश त्रिपाठी और राज प्रेमी जैसे अभिनेता भी विलेन के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. वहीं, इंडस्ट्री में विलेन की नयी खेप भी तैयार है, जो लोगों के बीच पसंद भी की जा रही है. देव सिंह, बालेश्वर सिंह, करण पांडेय और विकास सिंह वीरपन्न नयी खेप के विलेन हैं. लेकिन अवधेश मिश्रा ही आज भी भोजपुरी फिल्मों की सफलता की गारंटी माने जाते हैं.
(रिपोर्ट : रंजन सिन्हा)