गुलजार यानी एक बेहद संजीदा इंसान, शायर, कवि और गीतकार. लेकिन इनकी यह पहचान आज है, वास्तव में गुलजार के जीवन का सफर एक कार मैकेनिक के रूप में शुरू हुआ था.गुलजार के गीतों में इतनी विविधता है कि कोई भी आश्चर्यचकित हो सकता है. उन्होंने मेरा गोरा अंग ले ले, हमने देखी है इन आंखों में महकती खुशबू लिखा, तो कजरारे-कजरारे और बीड़ी जलाये ले भी उन्होंने लिखा. तुझसे नाराज नहीं जिंदगी जैसे संजीदा गीत लिखे तो जंगल-जंगल बात चली है भी लिखा. सफेद कुर्ता पायजामा और टेनिस के शौकीन बहुत ही नरमदिल इंसान हैं हम सबके बेहद अजीज गुलजार साहब.
गुलजार का जन्म अविभाजित भारत के झेलम जिले में 18 अगस्त 1934 में हुआ था. उनका असली नाम संपूरण सिंह कालरा है, लेकिन वे अपने पेन नेम ‘गुलजार’ से ही ज्यादा पहचाने गये. गुलजार को बचपन से ही लिखने -पढ़ने का शौक था. वे गैराज में मैकनिक का काम करते थे और शायरी, नज्म, कविताएं लिखते थे.
गुलजार का कहना है कि मैं साहित्यिक पृष्ठभूमि से था और फिल्मों में लिखना नहीं चाहता, लेकिन गीतकार शैलेंद्र और विमल दा ने मुझे प्रोत्साहित किया और मैं फिल्मों में लिखने लगा. गुलजार के प्रिय गीतकारों में शैलेंद्र शामिल हैं, उनका कहना है कि फिल्मी दुनिया में उन्हें शैलेंद्र और विमल राय जैसे लोगों का साथ मिला, जो फिल्मों में साहित्यिक लोग थे और यह मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहा.
गुलजार का कहना है कि मैंने फिल्मों में कभी भी बेतुके गीत नहीं लिखे, मैंने जो भी लिखा वह स्क्रिप्ट का हिस्सा रहे, चाहे आप बात चाहें ‘मेरा गोरा अंग लै ले’ कि करें या ‘बीड़ी जलाय ले कि’.
गुलजार का कहना है कि वे कई विषयों पर लिखते रहे, लेकिन वास्तव में उनके लेखन में पार्टीशन का दर्द उभरता है. उनका कहना है कि मैं इस दर्द से इस कदर रुबरू था कि नींद में भी डर जाता था, इसलिए मैं किसी भी मंच से इस बारे में लिखता रहा हूं और हमेशा लिखना चाहता हूं.
गुलजार की रचना में रोमांस भी भरपूर दिखता है. लेकिन उनपर यह आरोप है कि वे विरह में तड़पते लोगों को सहारा नहीं देते बल्कि उन्हें रुलाते हैं. इस आरोप पर गुलजार का कहना है कि मैं रुलाता नहीं, रोता हूं. मेरी शायरी में जो दर्द है वह मेरे अपने हैं. मेरी बेबसी है, मैं कुछ कर नहीं पाता.
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गुलजार की बॉलीवुड में इंट्री विमल राय की फिल्म ‘बंदिनी’ से हुई थी. शुरुआत में गुलजार ने उर्दू और पंजाबी में लिखना शुरू किया था. गुलजार ने अभिनेत्री राखी से विवाह किया था, लेकिन वे ज्यादा दिनों तक साथ नहीं रह पाये. इन दोनों की एक बेटी है मेघना गुलजार, जिसके लिए गुलजार ने कई गीत और कहानियां लिखीं हैं. मेघना का कहना है कि उनके पापा बहुत ही नरम दिल और नेक इंसान हैं और वे अपनी बेटी को बोस्की कहकर बुलाते हैं, जिसका अर्थ होता है नरम.