समाज में शिक्षा का अलख जला रही विनिता मिंज
II दशमथ सोरेन II इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का यह कथन विनिता मिंज के लिए प्रेरणा का श्रोत है. वे जब कभी भी किसी परेशानी में होती है तो ये चंद पंक्तियां उसे आगे बढ़ते रहने के […]
II दशमथ सोरेन II
इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का यह कथन विनिता मिंज के लिए प्रेरणा का श्रोत है. वे जब कभी भी किसी परेशानी में होती है तो ये चंद पंक्तियां उसे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती हैं. उसने कभी भी कठिनाइयों को अपने पर हावी नहीं होने दिया. मन के अंदर के डर को भगाकर हमेशा जीत का ताज पहना. विनिता मिंज पुराना सीतारामडेरा में रहती है. उन्हें खुद के साथ-साथ समाज को भी सफलता के बुलंदियों पर देखना पसंद है. इसी सोच के साथ वह समाज के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती है. उनको आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करती है. इस तरह वह आदिवासी समाज में शिक्षा का अलख जलाने का काम कर रही है. विनिता मिंज गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज की छात्रा है.
गरीबी को कभी रोढ़ा नहीं बनने दिया
विनिता मिंज बताती हैं कि गरीबी की वजह से अध्ययन-अध्यापन करने में बहुत दिक्कतें हुई. लेकिन उसने गरीबी को कभी रोढ़ा बनने नहीं दिया. कॉलेज की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पुराना सीतारामडेरा स्थित सरना पुस्तकालय में केयर टेकर के रुप में काम करना शुरू किया. यह उरांव समाज द्वारा संचालित किया जाता है. पुरस्तकालय प्रांगण में ही प्रतिदिन शाम में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती है. वह बताती है बच्चों का पढ़ाना उनके लिए फायदेमंद ही साबित हो रहा है. उसका कई विषयों पर अभ्यास हो जाता है.
सामाजिक गतिविधियों में भी रहती है आगे
विनिता बताती है कि वह उरांव समाज द्वारा आयोजित सामाजिक गतिविधियों को हमेशा एक कदम आगे बढ़कर काम करती है. कल्चरल इवेंट हो या स्टेज को संचालन की जिम्मेवारी. वह हर काम को बखूबी मन लगाकर करती है. समाज की महिलाएं हमेशा किसी भी काम को लेकर संकोच करती हैं. वह उनके संकोच को दूर कर सामाजिक कार्यों में आगे आने के लिए प्रेरित करती हैं.
समाज के लिए बनीं प्रेरणा श्रोत
समाज के प्रति अलग सोच व कार्य के बदौलत विनिता मिंज ने समाज में अलग पहचान बनायी है. वह युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बन गयी है. समाज के बडे बुजुर्ग व बच्चे उनकी बातों को तरजीह देते हैं. इस तरह वह समाज में माता-पिता का नाम भी रोशन कर रही है. वे दो भाई-बहन हैं. बड़ी बेटी होने की वजह से परिवारिक दायित्वों का भी निवर्हन करती है. घर के कामों में सहयोग करने के साथ-साथ भाई का भी मार्गदर्शन करती है. उनके पिताजी सुकरा मिंज जेएनएसी में साफ-सफाई का काम करते है. माता भी दैनिक मजदूरी करती है.