Jaane Bhi Do Yaaro : आम आदमी के करीब लेकिन व्यावसायिक सफलता से दूर रहे Kundan Shah

बॉलीवुड को कल्ट क्लासिक फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ देनेवाले फिल्म निर्देशक कुंदन शाह अब हमारे बीच नहीं हैं. शनिवार तड़के मुंबई स्थित आवास पर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. वह 69 साल के थे. पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) से निर्देशन की बारीकियां सीखनेवाले कुंदन शाह की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2017 6:20 PM

बॉलीवुड को कल्ट क्लासिक फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ देनेवाले फिल्म निर्देशक कुंदन शाह अब हमारे बीच नहीं हैं. शनिवार तड़के मुंबई स्थित आवास पर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. वह 69 साल के थे.

पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) से निर्देशन की बारीकियां सीखनेवाले कुंदन शाह की लोकप्रिय फिल्‍मों सबसे पहला नाम आता है वर्ष 1983 में आयी फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ का.

देश की तत्कालीन व्यवस्थाऔर जर्रे-जर्रे में मौजूद भ्रष्टाचार की पोल खाेलतीयह फिल्म दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों द्वारा भी सराही गयी थी. यह कुंदन शाह की पहली फिल्म थी और इसके लिए शाह को उनका पहला और एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.

इसके अलावा, उन्‍होंने शाहरुख खान के साथ ‘कभी हां कभी ना’ और प्रीति जिंटा,सैफ अली खान के साथ ‘क्‍या कहना’ जैसी शानदार फिल्‍में बनायी.

कुंदन शाह फिल्मों के साथ-साथटेलीविजनपर भी सक्रिय रहे. उनके टीवी शो ‘नुक्‍कड़’ और ‘वागले की दुनिया’ में आम आदमी केंद्र में रहा.इन सीरियल्स केकिरदार लोगों को इतने अपने लगते थे, कि उनमें वे खुद को ढूंढने लग जाते थे. इन सीरियल्स के दृश्य 25-30 साल बाद आज भी लोगों के जेहन में ताजे हैं.

आज भले ही ‘जाने भी दो यारों’ को भारतीय फिल्मों के इतिहास में सबसे लोकप्रिय व्यंग्यात्मक फिल्म के तौर पर जाना जाता है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह फिल्म जब रिलीज हुई थी, तब सिनेमा हॉल्स की टिकट खिड़की पर यह कुछ खास कमाल नहीं दिखा पायी थी. कुल मिला कर कहें, तो कुंदन शाह ने फिल्में और टीवी सीरियल आम आदमी के इर्द-गिर्द बनायी, लेकिन व्यावसायिक सफलता उनसे दूर ही रही.

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