युवाओं की विचार प्रक्रिया को बदलने की मुहीम है ‘मर्द’ : फरहान अख्तर
मुंबई : अभियान ‘मर्द’ एक ऐसी पहल है, जो एक ऐसे समाज की हमारी चिंता को संबोधित करती है. जहां पुरुष और महिलाएं दोनों सुरक्षित हो. जैसे हम पुरुषों को रात में बाहर जाने या फिल्म देखने की स्वतंत्रता है, उसी तरह की आजादी लड़कियों के लिए भी होनी चाहिए. ‘मर्द’ की शुरुआत के पीछे […]
मुंबई : अभियान ‘मर्द’ एक ऐसी पहल है, जो एक ऐसे समाज की हमारी चिंता को संबोधित करती है. जहां पुरुष और महिलाएं दोनों सुरक्षित हो. जैसे हम पुरुषों को रात में बाहर जाने या फिल्म देखने की स्वतंत्रता है, उसी तरह की आजादी लड़कियों के लिए भी होनी चाहिए. ‘मर्द’ की शुरुआत के पीछे का मुख्य उद्देश्य पुरुष, विशेष रूप से युवाओं की विचार प्रक्रिया को बदलना था. ऐसा कहना है बॉलीवुड के चर्चित राइटर, डायरेक्टर व प्रोड्यूसर फरहान अख्तर का. उन्होंने यह बातें मुंबई में सोमवार को कही.
दिल्ली के निर्भया घटना के बाद 2013 में उन्होंने इस अभियान की शुुरुआत की थी. तब काफी अधिक भावनात्मक प्रतिक्रिया हुईं थी.
फरहान ने कहा कि तब मुझे यह महसूस हुआ कि इस तरह की हर घटना के बाद मेरे और मेरे दोस्त के भीतर जो गुस्सा पनपता था, वो हमारे कमरे तक ही सिमट कर रह जाता था. मुझे लगा कि अगर मैंने इस गुस्से और चिंता को आगे नहीं बढ़ाया तो फिर सब बेकार है. इसलिए हमने इस अभियान ‘मर्द’ को शुरू किया. अब इसके चार साल हो गये, जिस पर लोगों के रूझान काफी अच्छे हैं. इस मुहिम से कॉलेजों के छात्र भी जुड़े हैं.
सोशल मीडिया पर शुरू हुए इस अभियान पर चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब फरहान ने कहा कि फिल्म उद्योग की प्रकृति अलग है. इसके बावजूद अगर कोई इस तरह की हिंसा या उत्पीड़न का शिकार होता है तो उसे सामने आ कर, खुल कर बोलना चाहिए. मैं उनमें से हूं, जिसकी ऐसी आवाज सुनने में दिलचस्पी है. हालांकि, मैं ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं जानता, जिसके साथ ऐसा हुआ. उन्होंने कहाकि यह पहली बार है जब फिरोज़ अब्बास खान, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया और मैं एक साथ आए हैं.
फरहान ने कहा कि पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा शुरू किया गया शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ पहले से ही ऐसे दर्शकों तक पहुंच गया है औरउनके संदेश जनता तक पहुंच गये हैं.