”कड़वी हवा” का यह कलाकार 1500 रुपये लेकर पहुंचा था मुंबई, ढाबे में भी किया काम, पाया यह मुकाम
मुंबई : आज सफल कलाकारों में गिने जाने वाले संजय मिश्रा को यहां तक पहुंचने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ा. पैसों की कमी, अच्छी भूमिकाएं नहीं मिलना से लेकर आत्मावलोकन तक. एक दौर आया जब वह सबकुछ छोड़-छाड़ कर ऋषिकेश चले गये लेकिन अंतत: फिल्मी दुनिया में लौट आये. मिश्रा ने 23 […]
मुंबई : आज सफल कलाकारों में गिने जाने वाले संजय मिश्रा को यहां तक पहुंचने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ा. पैसों की कमी, अच्छी भूमिकाएं नहीं मिलना से लेकर आत्मावलोकन तक. एक दौर आया जब वह सबकुछ छोड़-छाड़ कर ऋषिकेश चले गये लेकिन अंतत: फिल्मी दुनिया में लौट आये.
मिश्रा ने 23 वर्ष के अपने करियर में व्यावसायिक से लेकर कला सिनेमा भी किया. गोलमाल, ऑल दी बेस्ट, मसान, कड़वी हवा और आंखों देखी जैसी फिल्में कर चुके अभिनेता को खुशी होती है जब लोग कहते हैं कि उन्हें कम आंका गया.
मिश्रा बताते हैं, जब मैं मुंबई आया था तब सोचा था कि मुझे एक साल के भीतर काम मिल जायेगा. अगर नहीं मिलता तो मुझे पता था कि धैर्य रखना होगा. मैं हमेशा से अभिनेता बनना चाहता था, हीरो नहीं.
अभिनेता वह वक्त याद करते हैं जब वह दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई पूरी करके वह मुंबई आये थे, तब उनके पास काम भी नहीं था. अभिनेता बनने की ख्वाहिश आंखों में बसाये और पिता से महज 1,500 रुपये लेकर वह सपनों के शहर पहुंच गये.
एनएसडी से डिग्री होने के बावजूद उन्हें कोई काम नहीं मिला, इसलिए उन्होंने फोटोग्राफी करनी शुरू कर दी. फिर उन्हें फिल्मों में मामूली भूमिकाएं मिलने लगीं, जिसके लिए उन्हें 1,000 रुपये मिलते थे.
वह याद करते हैं, मैं और मेरा एक दोस्त एक बार दारा सिंह के पास गये. उन्होंने मुझे देखा और कहा, कुछ खाया पिया करो, ऐसे कैसे अभिनेता बनोगे? अभिनेता को धरम पाजी जैसा होना चाहिए.
फिर 1995 में उन्हें टेलीविजन शो ‘सॉरी मेरी लॉरी’ मिला. धीरे-धीरे फिल्में मिलने लगीं. लेकिन उनके जीवन में कठिनाइयों भरा एक दौर आया. फिर वह कुछ दिन के लिए ऋषिकेश चले गये.
वहां एक ढाबे में काम करना शुरू किया. वहां लोगों ने उन्हें पहचानना शुरू किया, उनकी मां ने भी दबाव बनाया. अंतत: वह लौट आये. फिलहाल वह अनिल कपूर-माधुरी दीक्षित की ‘टोटल धमाल’ की शूटिंग कर रहे हैं.