II उर्मिला कोरी II
अपनी पहली ही फिल्म ‘मसान’ के लिए कई अवार्ड जीत चुके अभिनेता विक्की कौशल इन दिनों अपनी नयी फिल्म ‘राजी’ को लेकर सुर्खियों में हैं. जासूसी पर आधारित इस फिल्म की कहानी हरिंदर सिक्का की किताब ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित है. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
– मेघना गुलजार के साथ काम करना कैसा रहा?
मैं इस फिल्म में दो वंडरफुल वुमन के साथ काम कर रहा हूं. मेघना गुलजार और आलिया भट्ट. दोनों के साथ का अनुभव बेहतरीन रहा. मेघना के साथ लंबे समय से काम करना चाहता था. उनके साथ काम करते हुए लगता ही नहीं कि वह निर्देशित कर रही हैं. ऐसा लगता है जैसे वह हमारा ख्याल रख रही हैं. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि वह हमें पैंपर करती हैं. दरअसल उन्हें अपना काम बहुत प्यारा है.
वह कभी भी आसान विषय नहीं चुनती. उस विषय को उन्हें पूरी तरह से जीना पड़ता है. पूरी डिटेलिंग का खाका उनके जेहन में होता है. वह बहुत रिसर्च करती हैं. आर्ट ऐसा होना चाहिए, कॉस्टयूम वैसा होना चाहिए. एक्टर के साथ बैठ कर समझाती हैं कि उनके बोलने का लहजा कैसा होना चाहिए. हां, वह हर एक्टर को उसके किरदार को अपनी तरह से समझने और परफॉर्म करने को हमेशा कहती हैं.
– इस फिल्म में आपने एक पाकिस्तानी सैनिक की भूमिका निभाई है. इसके बारे में कुछ बताएं.
मुझे अपनी भाषा पर काम करना पड़ा. उर्दू सीखनी पड़ी. इसमें मेघना ने बहुत मदद की. चूंकि वह गुलजार की बेटी हैं, तो जाहिर है कि उर्दू में उन्हें महारत हासिल है. मैं तो हर दिन सेट पर उनके सामने बैठ जाता था, अपने संवादों को लेकर उनसे सीखता. वैसे आमतौर पर अगर कोई पाकिस्तानी कैरेक्टर है, तो हमारी फिल्मों में हद से ज्यादा उर्दू का प्रयोग किया जाता है. इस फिल्म में हमें यह नहीं करना था. सबकुछ नेचुरल तरीके से करना था. जहां तक आर्मी ऑफिसर के किरदार की बात है, तो मुझे नहीं लगता कि हर आर्मी ऑफिसर एक जैसा होता है.
जब हर आदमी एक जैसा नहीं होता है, तो एक जैसी बॉडी लैग्वेंज क्यों हो. उदाहरण के तौर पर पिता के किरदार की बात करूं तो इसके लिए कोई परफेक्ट बॉडी लैग्वेंज नहीं होता, तो आर्मी ऑफिसर का क्यों. हर इंसान अलग होता है, तो उसकी बॉडी लैग्वेंज क्यों एक जैसी होगी. बस आर्मी ट्रेनिंग की वजह से सभी आर्मी ऑफिसर्स की स्पाइन सीधी होती है.
– आलिया के साथ स्क्रीन शेयर करना कैसा रहा?
आलिया का फैन रहा हूं. वह बहुत ही बेहतरीन एक्ट्रेस हैं. वह इतनी स्पॉटेनियस हैं, इतनी ऑर्गेनिक हैं कि कभी लगता ही नहीं कि वह एक्टिंग कर रही हैं. इस फिल्म की शूटिंग के बाद मैं उनका और फैन हो गया हूं, क्योंकि वह बहुत बड़ी स्टार हैं. पूरा देश उनको बहुत प्यार करता है, लेकिन स्टारडम की बातें उनके दिमाग में दूर-दूर तक नहीं है. वह एक जमीन से जुड़ी इंसान हैं.
– आलिया ने आपकी कोई फिल्म देखी है?
आलिया ने मेरी फिल्म ‘मसान’ देखी है. जब मैं पहली बार फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में आलिया का परफॉर्मेंस देख कर उनसे मिला था, तो एकदम से फिदा हो गया. अगली बार एक गेट टू गेदर में उनसे मिलना हुआ.
मैंने उनसे कहा ‘हाय मैं विक्की कौशल हूं. आपने ‘उड़ता पंजाब’ में कमाल का परफॉर्मेंस दिया है.’ आलिया का जवाब था- और ‘मसान’ में तुम्हारा परफॉर्मेंस काबिलेतारीफ. मैं थोड़ा अवाक रह गया कि वह मुझे जानती हैं. उस वक्त फिल्म ‘राजी’ की चर्चा तक नहीं थी. यह फिल्म उनके कैरियर के लिए भी चुनौतीपूर्ण है.
– अब तक के प्रोमो से यह फिल्म पूरी तरह से आलिया भट्ट पर आधारित वुमन सेंट्रिक फिल्म लग रही है?
मेरे लिए यह कहानी पुरुष या महिला प्रधान नहीं. मैं मानता हूं कि कोई शेफ अगर एक डिश बनाता है, मैं उसमें नमक का काम करता हूं. इसमें नमक को उतना ही होना चाहिए, जितना जरूरी होता है. मेरा काम बस इतना है कि उस डिश को स्वादिष्ट बनाऊं. सबका अपना-अपना काम होता है, जिससे कोई फिल्म अच्छी बनती है. मुझे लगता है कि इस पर फोकस होना चाहिए. दूसरी और कोई बात पर नहीं, जो आपका काम खराब कर दे.
– फिल्म ‘मसान’ के लिए आपको काफी सराहा गया. कई अवार्ड भी मिले, लेकिन उसके बाद आप बहुत लो फेज हो गये थे. ऐसा क्यों?
मैं उसे लो फेज नहीं कहूंगा, क्योंकि उस दौरान मैं राजकुमार हीरानी, मेघना गुलजार और करण जौहर के साथ उनकी फिल्मों में काम कर रहा था. इस वजह से मेरी कोई फिल्म नहीं आयी.
अब ‘राजी’, संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ और ‘मनमर्जियां’ रिलीज होनेवाली हैं. मैं खुद को लकी मानता हूं कि कैरियर के शुरुआत में इतने बड़े बैनर्स की फिल्मों का हिस्सा बन. मैं और मेहनत करूंगा, ताकि आगे भी इन बैनर्स का हिस्सा बनूं.
– आपके पिता श्याम कौशल बड़े स्टंट मास्टर हैं, पर आपकी जर्नी एक आउटसाइडर की तरह ही रही?
यह सच है, लेकिन मैं सेट पर ज्यादा नहीं जाता था. ‘फिजा’ के वक्त गया था, क्योंकि रितिक को सामने से देखना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था. दूसरी बार ‘अशोका’ की शूटिंग के वक्त गया था. उसके एक सीन में पापा ने एक्टिंग की थी. मुझे पापा को एक्टिंग करते हुए देखना था. मेरे पापा बहुत ही ईमानदार हैं. उन्होंने मुझे पहले ही कह दिया था कि उनकी जर्नी और उनका संघर्ष है.
उसी तरह मेरा रहेगा. उनका काम एक्टिंग से बिल्कुल अलग है, इसलिए वह मेरी कोई मदद नहीं कर पायेंगे. हां, वह निर्देशक से मुझे मिलवा देंगे और निर्देशक खुशी-खुशी मेरे साथ एक कप कॉफी भी पी लेगा, लेकिन फिल्म मुझे मेरे टैलेंट पर ही मिलेगी, क्योंकि फिल्म बनाने में बहुत पैसे लगते हैं और कोई ऐसे ही आप पर पैसे नहीं लगायेगा.
– आपकी पसंदीदा जासूसी फिल्में कौन-सी रही हैं?
मुझे बॉन्ड सीरीज की सभी फिल्में बहुत पसंद हैं.