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FIFA World Cup दमदार कोच : जो बदलेंगे टीम की तकदीर

हर सफलता के लिए एक बेहतर गुरु की जरूरत होती है. जितना अच्छा मार्गदर्शक होगा, सफलता मिलनी उतनी ही सरल हो जाती है. ब्राजील ने पिछले विश्व कप में हार के बाद अपना कोच बदल दिया था, लेकिन पिछले चैंपियन जर्मनी और फ्रांस को पुराने कोच पर ही भरोसा है. इस बार ब्राजील के टीटे, […]

हर सफलता के लिए एक बेहतर गुरु की जरूरत होती है. जितना अच्छा मार्गदर्शक होगा, सफलता मिलनी उतनी ही सरल हो जाती है. ब्राजील ने पिछले विश्व कप में हार के बाद अपना कोच बदल दिया था, लेकिन पिछले चैंपियन जर्मनी और फ्रांस को पुराने कोच पर ही भरोसा है. इस बार ब्राजील के टीटे, अर्जेटीना के जॉर्ज सांपोली, जर्मनी के जोआकिम, पुर्तगाल के फर्नांडो सांतोस की 14 जून से शुरू हो रहे फीफा विश्व कप के दौरान भूमिका अहम होने जा रही है.

ब्राजील : एडेनॉर लियोनार्डो बाची उर्फ टीटे
घुटने की चोट के कारण 27 वर्ष की उम्र में ही बतौर खिलाड़ी फुटबॉल को अलविदा कहनेवाले ब्राजील के कोच एडेनॉर लियोनार्डो के पास क्लब कोचिंग का लंबा अनुभव है. 1990 से कोच की भूमिका निभा रहे हैं. विश्व कप के बाद 2016 में ब्राजील टीम से जुड़े थे और विश्व कप क्वालिफाइंग मैच में अपनी प्रतिभा साबित की. नेमार जैसे स्टार खिलाड़ी टीम से जुड़ा है और लियोनार्डो के लिए टीम को संवारना काफी चुनौती भरा है, लेकिन जिस तरह से 19 में से 15 मैचों में उन्होंने अपनी टीम को जीत दिलाया है, उससे इस बार इनकी कोचिंग में ब्राजील को विश्व कप का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है. हालांकि कई सीनियर खिलाड़ियों के चोट लगने से इनकी चुनौती बढ़ जायेगी. पिछले अभ्यास मैच में नेमार ने गोल किया, लेकिन पूरी तरह से फिट नजर नहीं आये थे.
2016 में ब्राजील टीम से जुड़े थे. विश्व कप क्वालिफाइंग मैच में रिकॉर्ड 100 फीसदी रहा.
स्पेन : जुलेन लोपटेगी
2014 विश्व कप के दौरान टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद स्पेन ने कोच बदल दिया था और 2016 में जुलेन लोपटेगी को जिम्मेवारी सौंपी थी. स्पेन टीम के सदस्य रह चुके जुलेन अपने जमाने के अच्छे गोलकीपर थे. उन्होंने कोचिंग की शुरुआत जूनियर टीम से की और सफलता के बाद सीनियर टीम की बागडोर संभाली है. जुलेन ने 2003 में अंडर-17 और इसके बाद अंडर-19 टीम को यूरोपीयन खिताब दिलाया था.
2016 से सीनियर टीम को कोचिंग दे रहे हैं. कोच बनने के बाद स्पेन 18 मैच खेल चुका है. 13 में जीत मिली है.
फ्रांस : दिदिएर डेसचैंप्स
कई बड़े क्लबों के कोच की भूमिका निभानेवाले फ्रांस के दिदिएर डेसचैंप्स तकनीकी रूप से काफी दक्ष हैं और वर्षों से खिताब जीत नहीं सके फ्रांस को चैंपियन बनाने का माद्दा रखते हैं. फ्रांस की राष्ट्रीय टीम से खेल चुके हैं. इनके पास अनुभव है. 2012 से कोचिंग दे रहे हैं. 2014 विश्व कप के दौरान भी टीम के साथ थे. फ्रांस के लिए 100 से ज्यादा मुकाबले खेलनेवाले डेसचैंप्स 2016 में यूरो कप के फाइनल में फ्रांस को पहुंचाने में भूमिका निभायी थी. जीत का प्रतिशत भी अच्छा है और 74 में से 46 मैच में फ्रांस की टीम जीती है.
2012 से फ्रांस के कोच हैं और इनके पास पिछले विश्व कप का अनुभव भी है. जब से कोच बने, फ्रांस 46 मैच जीता है.
जर्मन: जोकिम लो 12 वर्ष से टीम से जुड़े हैं
जोकिम लो की गणना विश्व के सबसे बड़े कोचों में की जाती है. 2014 में इनकी ही कोचिंग में जर्मनी ने अर्जेंटीना को रौंद कर विश्व खिताब जीता था. इनकी निगरानी में एक बार फिर से जर्मनी सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है. अगर वह सफल हुए, तो इटली के कोच पोजो की रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. 1934 और 1938 में पोजो की कोचिंग में इटली ने दो विश्व खिताब जीते थे. इसके बाद कोई इस सफलता को दोहरा नहीं सका है. 2004 में सहायक कोच के तौर पर टीम के साथ जुड़े थे और 2006 में इन्हें मुख्य कोच बनाया गया. 12 वर्ष के दौरान जर्मनी को विश्व खिताब के अलावा 2017 में कन्फेडरेशन कप का खिताब दिला चुके हैं. जर्मनी ने 160 मैचों में से 106 में जीत दर्ज की है और सिर्फ 24 मैचों में हार मिली है.
2004 से जर्मनी टीम को कोचिंग दे रहे हैं. विश्व कप में सबसे अनुभवी कोच हैं. टीम को एक खिताब भी दिला चुके हैं.
अर्जेंटीना: जॉर्ज सांपोली
लियोनेल मैसी जैसे स्टार खिलाड़ियों से भरी अर्जेंटीना टीम को कोचिंग देना जॉर्ज सांपोली के लिए काफी चुनौती होगी. सांपोली काफी अनुभवी कोच हैं और आक्रामक शैली का खेल पसंद करते हैं. विश्व कप 2014 और यूरो कप में अर्जेंटीना के खिताब से चूकने के बाद उन्होंने 2017 में राष्ट्रीय टीम की कोचिंग की जिम्मेवारी संभाली थी. उन्होंने इसके लिए सेविया क्लब को छोड़ दिया था. सांपोली चिली के साथ 2012 से लेकर 2016 तक कोच की भूमिका निभा चुके हैं. उस दौरान 2015 में चिली ने उनकी देखरेख में कोपा अमेरिका कप का खिताब जीता था.
फर्नांडो सांतोस (पुर्तगाल)
फर्नांडो सांतोस की कोचिंग में दो वर्ष पहले पुर्तगाल की टीम ने यूरो कप खिताब जीता था. माना जा रहा है कि विश्व कप में भी अपना दबदबा बरकरार रखने में सफल रहेंगे. 2014 में सांतोस को पुर्तगाल टीम का कोच बनाया गया था. इसके पहले वह ग्रीस के कोच थे. पुर्तगाल के साथ विश्व के स्टार खिलाड़ी रोनाल्डो जुड़े हैं और सांतोस के काम को आसान बना सकते हैं. कोचिंग के दौरान 48 मुकाबलों में से 32 में पुर्तगाल को जीतते देखनेवाले सांतोस ने विश्व कप क्वालीफाइंग के 10 में से नौ मुकाबले जीते थे. वह पुर्तगाल के बिग-थ्री क्लबों का प्रबंधन देख चुके हैं.

गेरेथ साउथगेट (इंग्लैंड)

इंग्लैंड ने 1966 में अंतिम बार विश्व खिताब जीता था. इसके बाद टीम को कभी सफलता नहीं मिली. गेरेथ साउथगेट के आने से टीम की उम्मीद बढ़ी है. साउथगेट के पास इंग्लैंड की जूनियर टीम को कोचिंग देने का अनुभव है. इस बार सीनियर टीम में कई जूनियर खिलाड़ी हैं, जो इनकी राह को आसान कर सकते हैं. हालांकि 2016 से राष्ट्रीय टीम की कोचिंग की भूमिका निभा रहे हैं और रिकॉर्ड 50-50 रहा है. इनकी कोचिंग में इंग्लैंड ने 16 मैच खेले हैं और 8 मैचों में जीत दर्ज की है. साउथगेट 4-4-2 के कांबिनेशन में टीम को खिलाना पसंद करते हैं.

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