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रुला गये ”डॉ हाथी”, सासाराम में पले-बढ़े थे

मुंबई : लोकप्रिय धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा ‘ में डॉ हंसराज हाथी का किरदार निभाने वाले कवि कुमार आजाद का सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. शो के निर्माता असित कुमार मोदी ने कहा कि आजाद ने मीरा रोड वोकहार्ड अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्होंने सुबह फोन किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 7:40 AM
मुंबई : लोकप्रिय धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा ‘ में डॉ हंसराज हाथी का किरदार निभाने वाले कवि कुमार आजाद का सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. शो के निर्माता असित कुमार मोदी ने कहा कि आजाद ने मीरा रोड वोकहार्ड अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्होंने सुबह फोन किया कि तबीयत ठीक नहीं है. शूटिंग के लिए नहीं आ पायेंगे.
सासाराम में पले-बढ़े थे डॉ हंसराज हाथी
सासाराम कार्यालय : कवि कुमार आजाद उर्फ डॉ हंसराज हाथी के भरत आजाद (वादवानी) सासाराम के गौरक्षणी मुहल्ले के सियांवक हाउस में किराये पर रहा करते थे. देश के बंटवारे के समय यह परिवार सिंध से आकर दिल्ली में बसा था. बाद में 1985-90 के दरम्यान दिल्ली से यहां आया था.
यहां वादवानी परिवार ने ईंट-पत्थर का कारोबार शुरू किया था. पीडब्ल्यूडी की ठेकेदारी में भी इस परिवार का इंटरेस्ट था. इसकी देखरेख डॉ हाथी के पिता भरत वादवानी (जिन्होंने बाद में अपना नाम भरत आजाद कर लिया) और उनके बड़े भाई हरि वादवानी किया करते थे.
इसी वादवानी परिवार में बड़े भाई रवि कुमार आजाद, छोटी बहन पम्मी व अन्य चचेरे भाई-बहनों के साथ कवि नामक एक बच्चा भी रहता था. बचपन में ही कवि को मोटापे की बीमारी हो गयी थी. वैसे, बीमारी से शारीरिक दिक्कत तो बढ़ी थी, पर कवि के व्यक्तित्व पर इसका ज्यादा असर नहीं था.
वह एक बेहद खुशमिजाज व हंसमुख किशोर के रूप में बढ़ता रहा और आगे चल कर यही कवि तारक मेहता का उल्टा चश्मा वाला डॉ हंसराज हाथी बन गया. पड़ोस में रहनेवाले प्रकाश कुमार सिन्हा ने बताया कि 1990 के दशक में कवि मुंबई चला गया. अपने अंदर पल-बढ़ रहे कलाकार के लिए अवसर की तलाश में. इस बीच 2013 में मुंबई शिफ्ट होने से पहले कवि का परिवार गौरक्षणी मुहल्ले से घर बदल कर सासाराम में ही राजपूत कॉलोनी में चला गया था.
कवि के चाचा गुरुदास वादवानी आसनसोल में रहते हैं. वे बताते हैं, ‘मुंबई जाने पर कवि का किस्मत चमका था. ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में काम मिलने के बाद उसके सामने फिर कभी पीछे मुड़ कर देखने जैसी स्थिति नहीं थी. वह मुंबई के मीरा रोड व मुलुंड में अपना व्यवसाय भी आगे बढ़ा ले गया था. अपने पूरे परिवार के साथ वहीं रहने भी लगा था.

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