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केएल सहगल को भी न्यूकमर गायक मुकेश ने अपने गायन से कर दिया था कन्फ्यूज

मुंबई : आज यानी 22 जुलाई को हिंदी फिल्मों के महान गायक मुकेश का जन्मदिन है. 22 जुलाई 1923 को जन्मे मुकेश अपने समय के तीन सर्वाधिक लोकप्रिय गायकों में एक थे. इस सूची में उनके अलावा दो अन्य नाम – किशोर कुमार और मोहम्मद रफी का था. युवा मुकेश अपने रिश्ते की एक बहन […]

मुंबई : आज यानी 22 जुलाई को हिंदी फिल्मों के महान गायक मुकेश का जन्मदिन है. 22 जुलाई 1923 को जन्मे मुकेश अपने समय के तीन सर्वाधिक लोकप्रिय गायकों में एक थे. इस सूची में उनके अलावा दो अन्य नाम – किशोर कुमार और मोहम्मद रफी का था. युवा मुकेश अपने रिश्ते की एक बहन की शादी में गाना गा रहे थे, जिसे सुन कर फिल्मकार व एक्टर मोतीलाल ने उन्हें मुंबई बुलाया और फिल्मों में मौका दिलवाया.

मुकेश के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे अपने शुरुआती दिनों में गायक केएल सहगल से प्रभावित थे. वे अपने गायन में उनकी काॅपी किया करते थे. 1945 में जब उन्हें फिल्म पहली नजर में प्ले बैक सिंगर के रूप में गाने का मौका मिला तो उन्होंने गाना जलता है तो जलने दे गाया. इस गाने ने उन्हें पहली बार पहचान दी. हालांकि इसके पहले उन्होंने कुछ फिल्मों में एक्टिंग व गायन साथ-साथ किया था. कहते हैं कि बाद में जब केएल सहगल ने यह गाना सुना तो उनका कहना था कि उन्हें याद नहीं आता कि उन्होंने यह गाना कब गाया. तब सहगल को बताया गया कि यह गाना उन्होंने ने नहीं बल्कि एक नये गायक मुकेश ने गाया है.

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यानी मुकेश की यह प्रतिभा का ही कमाल था कि उनके गाने ने उस जमाने के मशहूर गायक केएल सहगल को भी कन्फ्यूज कर दिया. हालांकि बाद के दिनों में संगीतकार नौशाद ने मुकेश को तराशा. उन्होंने उन्हें केएल सहगल की कॉपी करने से छोड़ने में मदद की और उनकी अपनी एक खास शैली विकसित करवायी. 1948 में रिलीज हुई फिल्म मेला में नौशाद ने मुकेश से एक नयी शैली में गाना गवाया, जो बाद में उनका स्टाइल बन गया.

मुकेश की यह शैली अपने जमाने को शो-मैन राजकपूर को इतनी भायी कि राजकपूर की लगभग हर फिल्म में मुकेश ने गाना गाया. मुकेश व राजकपूर की दोस्ती भी मशहूर हुई. इसी कारण 27 अगस्त 1976 में मुकेश के निधन के बाद राजकपूर ने कहा कि उनके निधन से उनकी आवाज खो गयी.

मुकेश का जन्म दिल्ली के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. जोरावर चंद माथुर और चंद्राणी माथुर के घर जन्मे मुकेश दस भाई-बहनों में छठे नंबर पर थे. उन्होंने सरला त्रिवेदी रायचंद से विवाह किया था. सरला त्रिवेदी बेहद धनी पिता की बेटी थीं और उस दौर में गायकी में बहुत कमाई नहीं थी, इसलिए उनके पिता दोनों के रिश्तों के विरोधी थे.

मुकेश कुमार का व्यक्तित्व बेहर आकर्षक था और उन्हें कुछ फिल्मों में अभिनय करने का भी मौका मिला. उन्होंने 1943 में अदब अर्ज, 1953 में आह व माशूक व 1956 अनुराग फिल्मों में अभिनय किया. आज भले मुकेश हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज को हमारे पास है और रहेगी.


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