तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री व डीएमके (DMK) चीफ एम करुणानिधि (M Karunanidhi) का 94 साल की उम्र में बुधवार को चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया. 94 वर्षीय नेता ने 11 दिन तक बीमारी से लड़ने के बाद मंगलवार शाम छह बजकर दस मिनट पर अंतिम सांस ली. करुणानिधि को अंतिम विदाई देने के लिए आज सुबह से ही राजाजी हॉल में बड़ी संख्या में लोगों की कतारें लग गईं हैं. करुणानिधि राजनिति में कदम रखने से पहले तमिल फिल्म इंडस्ट्री में एक स्क्रिप्ट राइटर के रूप में जाने जाते थे.
एम करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को नागपट्टिनम के तिरुक्कुभलइ में दक्षिणमूर्ति के रूप में हुआ था. उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में एक स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी.
उन्हें समाज सुधार और बुद्धिवादी आदर्शों को बढ़ावा देनेवाली कहानियां लिखने के लिए जाना जाता था. करुणानिधि ने 20 वर्ष की उम्र में ज्यूपिटर पिक्चर्स के लिए पटकथा लेखक के तौर पर कार्य करना शुरू किया था. उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘राजकुमारी’ से खासा लोकप्रियता हासिल की थी. एक पटकथा लेखक के तौर पर यहीं से उन्हें जाना जाने लगा.
तमिल सिनेमा के विकास में एम. करुणानिधि का एक खास योगदान रहा. करुणानिधि ने लगभग 75 पटकथाएं लिखीं. जिनमें ‘राजकुमारी’, ‘अभिमन्यू’, ‘मरुद नाट्टू इलवरसी’, ‘मनामगन’, ‘मंदिरी कुमारी’ और देवकी’ समेत कई चर्चित फिल्में हैं. फिल्म ‘पनाम’ और ‘थंगारथरम’ से करुणानिधि ने विधवा, छुआछूत और जमींदारी प्रथा के विरोध में आवाज बुलंद की.
उन्होंने दर्शकों को दो मंझे हुए सुपरस्टार ‘शिवाजी गणेशन’ और ‘एसएस राजेंद्रन’ भी दिये. बताया जाता है कि करुणानिधि ने ‘द्रविण’ राजनीतिक विचारों को अपनी फिल्म ‘पराशक्ति’ के जरिये आम तमिल जनता तक पहुंचाया. यह फिल्म तमिलनाडु के सिनेमा के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई. इस फिल्म का प्रकृति लोगों का उकसाने वाली था. इसे देखते हुए कांग्रेस ने फिल्म को बैन करने की मांग की थी. राजनीतिक विवादों के चलते रिलीज के कुछ दिन बाद ही फिल्म ‘पराशक्ति’ को बैन कर दिया गया था. बाद में ये फिल्म 1952 में रिलीज की गई. यह फिल्म द्रविण राजनीति ब्राह्मणवाद के खिलाफ खड़ी हुई थी.
फिल्मों की पटकथा के अलावा करुणानिधि ने कवितायें, निबंध, उपन्यास, जीवनी और गाने आदि की भी रचना की. वह एक कुशल लेखक थे और शानदार वक्ता भी थे.