महिला अधिकारों के सम्मान के बारे में लड़कों को शुरू से सिखाया जाना चाहिए : सुजॉय मुखर्जी

नयी दिल्ली: फिल्म निर्देशक सुजॉय मुखर्जी का मानना है कि लड़कों को बचपन से यह सिखाना चाहिए कि महिला अधिकारों का सम्मान कैसे करें. मुखर्जी पहली बार ‘अब मुझे उड़ना है : लेट मी सोर हाई’ नामक एक लघु फिल्म कर रहे हैं. यह फिल्म सुनील कपूर की एक कहानी पर आधारित है, जिसे उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2018 9:37 PM
नयी दिल्ली: फिल्म निर्देशक सुजॉय मुखर्जी का मानना है कि लड़कों को बचपन से यह सिखाना चाहिए कि महिला अधिकारों का सम्मान कैसे करें.
मुखर्जी पहली बार ‘अब मुझे उड़ना है : लेट मी सोर हाई’ नामक एक लघु फिल्म कर रहे हैं. यह फिल्म सुनील कपूर की एक कहानी पर आधारित है, जिसे उनकी हाल में जारी किताब ‘द पीकॉक फेदर’ से लिया गया है.
2012 में निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटना से व्यथित होकर कपूर ने यह कहानी लिखी. फिल्म की कहानी 18 साल की एक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने साथ हुई छेड़खानी के बाद सदमे में चली जाती है लेकिन आखिरकार वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए हिम्मत जुटाती है.
मुखर्जी ने कहा, छेड़खानी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. दुनिया में 80 प्रतिशत महिलाओं से छेड़छाड़ होती है. अधिकतर खुलकर इस बारे में बात करती हैं.
उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि पुरुष बचपन से ही इसे समझें. लड़के जब बड़े हो रहे होते हैं तब उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान कैसे करें. अगर कोई महिला ‘ना’ कहती है तो आप मुड़कर वापस उसके पास नहीं जा सकते हैं और ना उस पर दबाव बना सकते हैं.
फिल्मकार ने जनमानस के बीच जागरूकता बढ़ाने में ‘मी टू’ अभियान के योगदान को श्रेय दिया. मुखर्जी की अगली परियोजनाओं में एक फीचर फिल्म शामिल है.
यह उनके पिता जॉय मुखर्जी की फिल्म ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ (1962) की रीमेक है. वह ‘गुटका गैंग’ नामक एक वेब सीरिज भी बना रहे हैं. यह वेब सीरिज भी कपूर की इसी नाम की कहानी पर आधारित है.

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