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युवाओं पर इन दिनों टैटू का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है. युवा फैशन के इतने दीवाने हैं कि कोई भी नयी चीज आजमाने से पीछे नहीं हटते, फिर चाहे बात ट्रेंडी ब्रेसलेट, टोपी, ईयररिंग या फिर जीभ, आईब्रो व नाभि में पियरसिंग की हो. इन दिनों युवा टैटू में अपनी रूचि ज्यादा दिखा रहे […]
युवाओं पर इन दिनों टैटू का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है. युवा फैशन के इतने दीवाने हैं कि कोई भी नयी चीज आजमाने से पीछे नहीं हटते, फिर चाहे बात ट्रेंडी ब्रेसलेट, टोपी, ईयररिंग या फिर जीभ, आईब्रो व नाभि में पियरसिंग की हो.
इन दिनों युवा टैटू में अपनी रूचि ज्यादा दिखा रहे हैं. आधुनिकता का रूप धारण किये आज के टैटू का चलन बहुत पुराना है. अगर टैटू के इतिहास की बात करें तो आदिवासी समुदाय खास तौर पर अपने शरीर में विशेष निशान बनवाते थे, जो उनके कबीले का प्रतीक होता था. आदिकाल से यूरोप और एशिया में टैटू बनाने का चलन रहा है. इसकी शुरूआत क्यों हुई इस बारे में स्पष्टतः कुछ कहना मुश्किल है,माना जाता है कि टैटू का उपयोग इलाज के लिये भी किया जाता था जिसे मेडिकल टैटू कहते थे. 1898 में डेनियल फॉक्वेट ने टैटू पर एक लेख लिखा जा जिसमें यह बात सामने आयी.
धीरे- धीरे टैटू ऋंगार और प्रेम प्रदर्शन का माध्यम बनता चला गया. महिलाएं हाथों में ब्रेसलेट और चुड़ियां, पैरों में पायल की जगह, तरह- तरह की डिजाइन का गोदना करवाने लगी. प्रेमी- प्रेमिका अपने साथी का नाम लिखवाने लगे. आज भी झारखंड में महिलाओं के शरीर में पांरपरिक गोदना आसानी से देखे जा सकते है. गोदना में टैटू तक का सफ़र तय करने के दौरान काफी परिवर्तन आ चुके हैं. 70 के दशक में टैटू का इस्तेमाल लोग विरोध प्रदर्शन के लिये भी करते थे. लेकिन 90 के दशक के बाद यह फैशन के तौर चल पड़ा.
इन दिनों बॉडी टैटू का क्रेज युवाओं में बढ-चढकर देखने को मिल रहा है. मेट्रो सिटी से होता हुआ टैटू का क्रेज अब छोटे शहरों में भी दिखने लगा है. यही कारण है कि शहर में कई टैटू आर्टस्टि इन दिनों काम कर रहे हैं. रांची में कई जगहों मे टैटू बनाने का काम होता है जैसे- पंचवटी प्लाजा, स्प्रिंग सीटी ( फन सिनेमा) के सामने मेहंदी और टैटू बनाने वाले बैठा करते हैं. रोस्पा टावर के सामने स्थित यूनिक पार्लर में कई तरह के रंग-बिरंगे टैटू बनाये जा रहे हैं.
महंगी है प्रोफेशनल ट्रेनिंग
कई टैटू ऑटिस्ट काम कर रहे हैं. रांची के य़ूनिक पार्लर मे टैटू आर्टिस्ट का काम कर रहे हैं एमडी कलाम अंसारी( कलाम रॉक्स). कलाम रॉक्स मुंबई, कोलकाता व चेन्नई जैसे बड़े शहरों में टैटू का काम कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली लेकिन कोलकाता में उन्होंने कई टैटू आर्टस्टि के साथ काम किया और उनसे सीखा है. कलाम बताते हैं कि प्रोफेशनल ट्रेनिंग काफी महंगी होती है. कलाम अब तक लगभग नौ सौ टैटू बनवा चुके हैं. टैटू का ट्रिगर 5 हजार से लेकर 1 लाख तक काआता है. इसके उपकरण महंगे होते हैं. सबसे महंगा टैटू उन्होंने 18000 रुपये का बनाया है, जिसमें उन्होंने शरीर पर शिवा की तस्वीर बनायी थी.
टैटू का कितना है क्रेज
बॉलीवुड और क्रिकेटर स्टारों ने टैटू को स्टाइल स्टेटमेंट बना दिया है. रितिक, संजय दत्त, सैफ, दीपिका, करीना जैसे कई कलाकारों ने टैटू करवाये हैं,तो क्रिकटरों में विराट कोहली, शिखर धवन और मिशेल जॉनसन में टैटू का क्रेज नजर आता है. टैटू बनवाने का क्रेज न सिर्फ लड़कों बल्कि लड़कियों में भीनजर आता है. लड़कियां बड़े- बड़े टैटू से लेकर तिल बनवाने के लिए भी यहां आती हैं. लडके गर्दन, बांह और सीने पर टैटू बनवाते हैं. टैटू का क्रेज दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. कॉलेज गोिइंग लड़के -लड़कियों में इसका ज्यादा क्रेज है. प्रेमी- प्रेमिका के नाम पर टैटू बनवाने का भी क्रेज युवाओं में है. कई जोड़े एक जैसे टैटू भी बनवाते हैं. कलाम कहते हैं धीरे- धीरे इसका व्यापार बढ़ता जा रहा है और अभी और बढ़ेगा.
कितना महंगा पड़ेगा टैटू बनावाना
टैटू दो तरह के होते हैं, एक टैटू जो आपके साथ जीवन भर रहेगा और दूसरा वह जो लगभग सप्ताह बाद हट जायेगा. अगर आप परमानेंट टैटू बनवाना चाहते हैं, तो पहले ये सोचिए की कलर बनवाना है या ब्लैक एंड व्हाइट. अगर आप कलर टैटू बनवाना चाहते हैं तो आपको 800 रुपया प्रति स्क्वायर इंच और ब्लैक एंड व्हाइट के लिए 600 रुपये प्रति स्क्वायर इंच खर्च करना होगा. अगर आप अस्थायी टैटू बनावान चाहते हैं तो 500 रुपया प्रति डिजाइन कलर के लिए और 200 रुपये प्रति डिजाइन ब्लैक एंड व्हाइट के लिए देना होगा.
पार्लर में अपने बेटे के नाम का टैटू बनवा रहे अनिल कहते हैं कि मैं विराट कोहली से प्रभावित हूं. मैंने बिल्कुल वैसा ही टैटू बनवाया है जैसा विराट के हाथ में है. अब मैं अपने बेटे का नाम लिखवा रहा हूं. हालांकि टैटू बनवाने में दर्द होता है लेकिन बनने के बाद अच्छा दिखता है.
मुकुंद बताते हैं कि बाजार में बहुत पहले गोदना गुदवाया था. पहले तो टैटू का चलन नहीं था लेकिन मेरा मन था कि मैं अपने शरीर पर कोई ऐसी चीज बनवा लूं, जो किसी के पास ना हो. मैंने एक टैटू बनवाया है जिसमें शिव का त्रिशूल और ओम लिखा है. गर्दन में टैटू बनवा चुके मनोज कहते हैं कि मैं बचपन से ही अलग दिखना चाहता था. बचपन से ही गोदना का शौक था और अब टैटू का है. मैंने गर्दन में टैटू बनावाया है और आईब्रो में पीयरसिंग भी करवाई है.
टैटू के साथ- साथ अब पियरसिंग का बाजार भी सजने लगा है हालांकि इसने झारखंड में अबतक पूरी तरह कदम नहीं रखा है लेकिन युवा इस ओर भी अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पियरसिंग का बाजार अभी छोटा है झारखंड में युवा अभी ईयरपियसिंग और आईब्रोपियरसिंग तक सीमित है. लेकिन विदेशो से होता हुआ यह ट्रेड भी अब हावी होने लगा है जिसमें लोग जीभ, नाक के अलावा अपने पसंद के जगहों पर पियरसिंग बनवा रहे हैं.
अगर इस रिपोर्ट को पढ़कर टैटू के प्रति आपका क्रेज और बढ गया है, तो देर मत करिए, रांची में कई टैटू ऑटिस्ट आपके इंतजार में है आप जैसा डिजाइन चाहे बनवा सकते हैं आखिर स्टाइल से अब युवा समझौता कहां करने वाले हैं.