नसीरुद्दीन शाह सहित 600 कलाकारों ने किया BJP को सत्ता से बेदखल करने की अपील, जवाब में विवेक ओबेराय सहित 900 ने कहा- Vote for BJP

लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है और फिल्म व कला जगत भी इससे अछूता नहीं है. इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों ने जहां राजनीतिक पार्टी जॉइन कर ली है, तो कई कलाकार खुलेआम राजनीतिक पार्टियों के समर्थन अौर विरोध में उतर आये सपोर्ट कर रहे हैं. हाल ही में नसीरुद्दीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2019 5:53 PM

लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है और फिल्म व कला जगत भी इससे अछूता नहीं है. इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों ने जहां राजनीतिक पार्टी जॉइन कर ली है, तो कई कलाकार खुलेआम राजनीतिक पार्टियों के समर्थन अौर विरोध में उतर आये सपोर्ट कर रहे हैं. हाल ही में नसीरुद्दीन शाह सहित थियेटर और कला क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट न देने की अपील की थी, वहीं अब लगभग 900 कलाकारों ने लोगों से भाजपा को वोट करने की अपील की है.

अनुराधा पौडवाल, पंडित जसराज, विवेक ओबेरॉय, उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान, मालिनी अवस्थी, शंकर महादेवन, रीता गांगुली, कोइना मित्रासहित900 कलाकारों ने एक बयान जारी करके लोगों से भाजपा के लिए वोट देने की अपील की है और कहा है कि देश को ‘मजबूत सरकार’ चाहिए, ना कि ‘मजबूर सरकार’. कलाकारों ने लोगों से बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के वोट डालने की अपील की है.

बयान में कहा गया है, हमारा दृढ़ विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जारी रहना समय की जरूरत है. हमारे सामने जब आतंकवाद जैसी चुनौतियां हैं, ऐसे में हमें मजबूत सरकार चाहिए, मजबूर सरकार नहीं. इसलिए मौजूदा सरकार चलती रहनी चाहिए. संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि पिछले पांच साल में भारत में ऐसी सरकार रही जिसने भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन और विकासोन्मुखी प्रशासन दिया.

वहीं,लगभग हफ्तेभर पहले ही नसीरुद्दीन शाह, अमोल पालेकर, गिरीश कर्नाड और उषा गांगुली समेत रंगमंच की 600 से अधिक हस्तियों ने पत्र जारी कर लोगों से भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सत्ता से बेदखल करने को कहा था.

इन लोगों का कहना है कि आज देश की अवधारणा मुश्किल में है. आज गीत, नृत्य, हास्य खतरे में है. आज हमारा न्यारा संविधान खतरे में है. उन्होंने कहा कि सरकार ने उन संस्थाओं का गला घोंट दिया है जहां तर्क, बहस और असहमति का विकास होता है.

उन्होंने पत्र के जरिये लोगों से अपील की है, संविधान और हमारी सर्वधर्मभाव, धर्मनिरपेक्ष भावना का संरक्षण करें और कट्टरता, घृणा और निष्ठुरता को सत्ता से बाहर करें.

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