लोकसभा 2019 : काम न आया शीला दीक्षित का अनुभव, मनोज तिवारी को मिला जनता का प्यार
नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में उत्तर-पूर्व दिल्ली की सीट से एक बार फिर मनोज तिवारी जीत के नजदीक पहुंच गये हैं और मतदाताओं ने इस सीट पर अनुभवी नेता एवं तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को नकारने का फैसला लगभग सुना दिया है. तिवारी इस सीट से 3.59 लाख मतों के अंतर से […]
नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में उत्तर-पूर्व दिल्ली की सीट से एक बार फिर मनोज तिवारी जीत के नजदीक पहुंच गये हैं और मतदाताओं ने इस सीट पर अनुभवी नेता एवं तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को नकारने का फैसला लगभग सुना दिया है. तिवारी इस सीट से 3.59 लाख मतों के अंतर से बढ़त बनाये हुए हैं. 2014 में भी उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट से भोजपुरी गायक-अभिनेता तिवारी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें पूर्वांचली और मुस्लिम मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला.
पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार तिवारी ने आम आदमी पार्टी (आप) के आनंद कुमार को 1,44,084 मतों से हराया था पार्टी में तिवारी का कद भी जहां बढ़ता गया वहीं इस बार उनका प्रदर्शन पहले से कहीं बेहतर है क्योंकि वह बड़े अंतर से जीत की ओर बढ़ रहे हैं.
इस सीट से उनका मुकाबला दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित से है. तिवारी ने दीक्षित के साथ मुकाबले को देश में ‘‘बेहद रोचक’ बताया था. हालांकि मतों की गिनती में कांग्रेस नेता उनके आस-पास भी नजर नहीं आ रही हैं. तिवारी के नेतृत्व में भाजपा की दिल्ली इकाई ने कई ऊंचाइयां छुईं. इनमें 2017 के नगर निगम चुनाव में जीत दर्ज करने से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के विरूद्ध पार्टी की लड़ाई शामिल है.
2014 की तुलना में 2019 के आम चुनाव में पार्टी के मत प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है. 2014 में पार्टी का 46.4 मत प्रतिशत था,जबकि तिवारी के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी ने अपना जनाधार मजबूत किया और इस बार उसका मत प्रतिशत 56.6 प्रतिशत रहा जो विधानसभा चुनावों के लिये शुभसंकेत है.
अपने संगीत और भोजपुरी भाषा से उन्होंने पूर्वांचली मतदाताओं को जहां लुभाया वहीं दिल्ली को ‘‘सर्वश्रेष्ठ’ राजधानी बनाने का वादा भी किया. तिवारी ने कहा कि वह (भाजपा) जीत के लिये आश्वस्त थे लेकिन उन्हें इतने बड़े ‘‘अंतर’ से जीत की उन्हें उम्मीद नहीं थी.