मुंबई : अभिनेत्री शबाना आजमी ने 44 साल पहले निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ से अभिनेता गिरीश कर्नाड के साथ अपने फिल्मी सफर की शुरुआत को याद करते हुए कहा कि वह (कर्नाड) सच्चे अर्थों में बुद्धिजीवी थे. उनके जीवन को सिर्फ एक बयान में नहीं समेटा जा सकता. आजमी ने शनिवार को कर्नाड के साथ अपने संबंधों के बारे में बात की.
लंबी बीमारी के बाद कर्नाड (81 वर्ष) का 10 जून को बेंगलुरु में निधन हो गया था. अभिनेत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में अभिनेता के बारे में बात की, जिसका शीर्षक उन्होंने ‘अलविदा मेरे दोस्त’ लिखा. उन्होंने कहा कि अभिनेता के बारे में पहली बार उन्होंने बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के दौरान सुना था. कर्नाड इस फिल्म के संपादन में निर्देशक का सहयोग कर रहे थे.
आजमी ने लिखा, बहुत ही कम लोगों को इस बारे में जानकारी होगी कि श्याम बेनेगल ने पहले जो ‘अंकुर’ बनाई थी, वह बहुत ही पेचीदा फिल्म थी. श्याम ने इसके संपादन के लिए गिरीश की मदद ली. यहीं मैंने गिरीश का नाम सुना था.
अभिनेत्री ने एफटीआईआई के निदेशक के रूप में कर्नाड को याद करते हुए लिखा कि अभिनेता ने उस समय छात्रों की हड़ताल को बेहतर तरीके से संभाला. इस हड़ताल का नेतृत्व अभिनेता नसीरूद्दीन शाह कर रहे थे.
उन्होंने लिखा, यह कठिनाइयों भरा कार्यकाल था क्योंकि छात्र हड़ताल पर थे और कड़ा प्रतिरोध जता रहे थे. लेकिन गिरीश ने बेहद परिपक्वता और संवेदनशीलता के साथ इस स्थिति को संभाला.
किंवदंती है कि नसीरूद्दीन शाह इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे और दोनों के बीच तीखी बहस भी हुई. अभिनेत्री ने लिखा है कि कर्नाड और शाह के बीच इतना सब होने के बाद भी कर्नाड ने बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ के लिए शाह के नाम की सिफारिश की. फिल्मों में यह शाह को मिला पहला मौका था.
अगर कर्नाड की जगह कोई और होता तो वह शाह से बदला लेने की सोचता. अभिनेत्री ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि कर्नाड अपने आपको अभिनेता के रूप में देखने की इच्छा नहीं रखते थे और उन्हें इसका डर रहता था कि इस वजह से एक नाटक लेखक के रूप में उनकी छवि को धक्का लगेगा.
उन्होंने कहा कि अंतिम बार उन्होंने 2016 में फिल्म ‘चॉक ऐंड डस्टर’ में अभिनेता के साथ काम किया. आजमी ने लिखा कि वह अंतिम बार कर्नाड से बेंगलुरू में मिली थीं. अस्वस्थ होने के बावजूद वह विश्वास से भरे हुए और एक नागरिक के तौर पर प्रतिबद्ध थे.
अभिनेत्री ने कहा, निडर होना और बिना लाग-लपेट के बोलना, अभिव्यक्ति की आजादी के लिए उनकी प्रतिबद्धता ही उन्हें परिभाषित करती है. हम ई-मेल और कुछ मौके पर फोन कॉल के जरिये संपर्क में थे.