पूर्व मिस इंडिया व बॉलीवुड एक्ट्रेस नफीसा अली सोढ़ी ने बहादुरी से कैंसर की जंग जीती है. काफी समय से उनका इलाज चल रहा था. कीमोथेरपी की वजह से नफीसा के बाल तो चले गये, लेकिन वह अपनी बिना बालों वाली तस्वीर से लोगों को मोटिवेट कर रही हैं. उन्होंने अपने दिल की बातें शेयर की हैं.
बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा नफीसा अली अब कैंसर से मुक्त हैं और वह अभिनय की दुनिया में लौटना चाहती हैं. पिछले साल नवंबर में सोशल मीडिया पर खुलासा किया था कि वह ओवेरियन कैंसर से पीड़ित हैं, जो थर्ड स्टेज में है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर हाल में कहा कि वह काम की तलाश में हैं और ऐसी भूमिकाओं को तरजीह देंगी, जो उनके तजुर्बे और वरिष्ठता के मुताबिक हों. नफीसा ने कहा- ‘अब मैं कैंसर मुक्त हो गयी हूं और सबके साथ यह साझा करना चाहती हूं कि मैंने कैंसर से लड़ कर उस पर जीत हासिल की. अब मैं जिंदगी जीना चाहती हूं. मैं इसका जश्न मनाना चाहती हूं. मैं कभी विग नहीं पहनूंगी’.
कैंसर पीड़ितों को करती हैं मोटीवेट
नफीसा कैंसर के इलाज के दौरान की तमाम मुश्किलों का जिक्र करते कहती हैं- ‘मेरा 6 बार कीमो हुआ और एक बड़ी सर्जरी. शुरू में मैं चल भी नहीं पाती थी. कीमो कैंसर सेल्स के साथ ही अच्छे सेल्स को भी खत्म कर देता है, लेकिन सब झेलना ही है.मैं देखती हूं कि लोग अपनी समस्याएं छिपाते हैं. मैंने सोचा कि मैं नहीं छिपाऊंगी, क्योंकि मेरी यात्रा किसी की मदद कर सकती है. मुझे दुनिया भर से कॉल आते हैं. जिनको कैंसर डायग्नोज हुआ है, वे मुझे फोन करते हैं.
सलमान की बनना चाहती हैं ‘नानी’
नफीसा आगे सलमान खान के साथ काम करने को इच्छुक हैं. उन्होंने 1979 में पटकथा लेखक और सलमान के पिता सलीम खान की ‘जुनून’ के साथ अभिनय शुरू किया था. उन्होंने कहा- ‘मैं सलमान की किसी फिल्म में दादी-नानी या बुजुर्ग महिला का किरदार निभाना पसंद करूंगी. जब मैंने ‘जुनून’ फिल्म की थी तब मेरी सलीम-जावेद से अच्छी दोस्ती थी. सलमान और सब छोटे थे. मैं उन्हें तैराकी सिखाती थी.’ नफीसा अली पिछली बार 2018 में आयी ‘साहेब, बीबी ऑर गैंगस्टर 3’ में दिखी थीं. वह ‘मेजर साहब’, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ और ‘यमला पगला दीवाना’ आदि फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं. वह 1976 में मिस इंडिया रहीं और अगले साल मिस इंटरनेशनल में सेकेंड रनर-अप रहीं.
मुझे जायरा में अपना बीता वक्त नजर आया
पिछले दिनों एक्ट्रेस जायरा वसीम ने अचानक फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला लिया. इस पर नफीसा अली ने भी अपना नजरिया रखा. नफीसा ने अपने दौर को याद करते पोस्ट में लिखा- ‘मुझे याद है जब मैंने काफी कम उम्र में फिल्म ‘जुनून (1978)’ में काम किया था और फिल्म सुपरहिट रही. तब मेरे पास कई ऑफर्स थे. लेकिन परिवार का साथ नहीं था. मैं बंबई में अकेले रहती थी. मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि हमारे परिवार की लड़कियां सिनेमा में काम नहीं करतीं. मैंने इस दबाव में काम छोड़ दिया था. मुझे जायरा में अपना बीता वक्त नजर आया. तब मैं भी उसी की तरह सोचने लग गयी थी. काम आपकी च्वाइस है. यह आपकी आजादी है. नौजवान को कई प्रेशर होते हैं, लेकिन आप क्लियर हैं कि आप क्या चाहते हैं, तो आपको उसे जरूर हासिल करना चाहिए’.