हिंदी फिल्में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं और इसके दर्शक हर कोने में मौजूद है. हिंदी फिल्मों और गीतों के माध्यम से भी हिंदी भाषा पूरी दुनिया में प्रचारित होती है. केरल में भी हिंदी फिल्में और गाने बेहद लोकप्रिय हैं जहां की मातृभाषा मलयालम है. केरल के मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज कालीकट के इतिहास के प्रोफेसर वशिष्ठ भी हिंदी भाषा और हिंदी में बनी फिल्मों के मुरीद हैं. अब उन्होंने हिंदी सिनेमा की माइलस्टोन फिल्म ‘आराधना’ से जुड़ी यादगार तसवीरों को एक कैलेंडर का रूप दिया है.
राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर जैसे दिग्गजों से सजी इस फिल्म ने कई पुरस्कार जीते थे. साथ ही ‘रूप तेरा मस्ताना, ‘मेरे सपनों की रानी’ ‘कोरा कागज था यह मन मेरा’ और ‘गुनागुना रहे हैं भंवरे’ जैसे गानों का जादू आज तक कायम है.
प्रो. वशिष्ठ उन्होंने अपने छात्र ऐश्वर्या के साथ मिलकर फिल्म ‘आराधना’ को श्रद्धांजलि देने के रूप में इस कैलेंडर को बनाया है. इस कैंलेडर को उन्होंने ”50 Years of Aradhana’ का नाम दिया है. इस कैलेंडर के माध्यम से वे लोगों तक एक संदेश पहुंचाना चाहते हैं- ‘राष्ट्रीय एकता के लिए हिंदी ‘.
गौरतलब है कि किशोर कुमार को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार इसी फिल्म के गाने ‘रुप तेरा मस्ताना’ के लिए मिला था. इस गाने को मूलरूप से एस डी बर्मन ने एक बंगाली गाने के लिए कंपोज किया था. इसके बाद किशोर कुमार के एक सुझाव पर इस गीत को इस्तेमाल किया गया.
प्रो, वशिष्ठ ने हिंदी फिल्मों के प्रति इस जुड़ाव को सहेजने के लिए उन्होंने हिंदी फिल्मों की एक लाइब्रेरी भी बनाई है. इस लाइब्रेरी में हिंदी फिल्मों और इसके कलाकारों (अभिनेता और अभिनेत्री) की 60 किताबें मौजूद है. प्रोफेसर वशिष्ठ के अनुसार, यह लाइब्रेरी लोगों को हिंदी सिनेमा के विकास के बारे में जानने में मदद करेगी. इस गैलरी का एक मकसद बॉलीवुड में प्रवेश भी है.
प्रोफेसर वशिष्ठ की लाइब्रेरी हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों की जीवन से जुड़ी कई किताबें मौजूद है. इस लाइब्रेरी में देव आनंद, मधुबाला, नरगिस, मीना कुमारी, राजेश खन्ना, स्मिता पाटिल, शशि कपूर, रेखा और ऋषि कपूर के अलावा कई महान कलाकारों के जीवन से जुड़े कई पहलू आप इस लाइब्रेरी में मौजूद किताबों से जान पायेंगे.