मुंबई : अदाकारा भूमि पेडनेकर का मानना है कि बॉलीवुड में उनका सफर शुरू से ही अलग रहा है क्योंकि आम एवं सामान्य किरदार उनको उत्साहित नहीं करते हैं.
‘दम लगा के हईशा’ में एक अधिक वजन वाली पत्नी की भूमिका निभाने वाली भूमि ने ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ और ‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी फिल्मों में लीक से हट कर अपने किरदारों से लोगों का दिल जीता. भूमि ने अपनी पिछली फिल्म ‘सोनचिड़िया’ में एक सामंतवादी स्त्री की भूमिका निभायी थी और अपनी आने वाली फिल्म ‘सांड की आंख’ में वह बुजुर्ग ‘शार्पशूटर’ चंद्रो तोमर की भूमिका में नजर आयेंगी.
भूमि ने एक साक्षात्कार में कहा, इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है. अपने आपको 70 साल की महिला के किरदार में देखना आसान नहीं होता. ‘सांड की आंख’ जैसी फिल्म करना एकएक्टर का सपना होता है. इसमें कॉमेडी है लेकिन इसे करना आसान नहीं है. मैं फिल्म ‘बाला’ में एक गहरे रंग वाली महिला की भूमिका निभा रही हूं, मेरा किरदार उन सामाजिक पूर्वाग्रहों पर सवाल उठाता है, जो अब भी भारत में रंग को लेकर प्रचलित है.
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि एक अभिनेता के तौर पर, पर्दे पर भूमि जैसा ना महसूस करना एक अलग ही संतुष्टि देता है. मैं गर्व के साथ यह कह सकती हूं कि दोनों बेहद अलग हैं, वे एक जैसे इंसान नहीं है. मुझे यह तथ्य पसंद है कि मैं अपने काम से खुद को चुनौती दे सकती हूं. मैं लोगों की सोच बदल सकती हूं. मैं कोई आम चीज नहीं कर रही हूं.
अदाकारा ने कहा कि कई लोगों ने उन्हें लीक से हटकर किरदार निभाने के लिए चेताया भी. उन्होंने कहा, एक अभिनेता के तौर पर लोग मेरी पसंद पर सवाल उठाते हैं. कई लोगों ने मुझसे पूछा कि मैं ‘सांड की आंख’ क्यों कर रही हूं, क्यों मैं 70 वर्षीय महिला का किरदार निभा रही हूं और क्यों मैं जमीन से जुड़ी या ग्रामीण पृष्ठभूमि की फिल्म कर रही हूं. मैं फिल्म को जमीन से जुड़ी या ग्रामीण या मैं फिल्म में कैसी दिखूंगी ऐसे नहीं देखती. मैं फिल्म की कहानी देखती हूं. बड़े पर्दे पर लोग कहानी, मेरा किरदार देखते हैं और भूमि को नहीं.
भूमि की ‘सांड की आंख’ के अलावा ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’, ‘बाला’ और ‘पति, पत्नी और वो’ भी इस साल रिलीज होने वाली है.