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आलोचना होने पर कोई भी सत्ता प्रतिष्ठान खुश नहीं होता : जावेद अख्तर

मुंबई: दिग्गज गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने शनिवार को कहा कि लोगों को व्यवस्था के खिलाफ होने पर भी अपनी राय देना बंद नहीं करना चाहिए. सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचारों को लेकर मुखर रहने वाले अख्तर का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक लोकतांत्रिक समाज में रोका नहीं जा सकता है. […]

मुंबई: दिग्गज गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने शनिवार को कहा कि लोगों को व्यवस्था के खिलाफ होने पर भी अपनी राय देना बंद नहीं करना चाहिए. सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचारों को लेकर मुखर रहने वाले अख्तर का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक लोकतांत्रिक समाज में रोका नहीं जा सकता है.

अख्तर ने कहा, यदि आप किसी प्रतिष्ठान या किसी व्यक्ति से कुछ कहते हैं, तो क्या वह उनको पसंद आएगा? मैं ऐसा नहीं सोच सकता कि कोई प्रतिष्ठान अपनी आलोचना होने पर खुशी महसूस करेगा. ‘इंडिया फिल्म प्रोजेक्ट’ में एक सत्र के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक दर्शक के सवाल के जवाब में अख्तर ने कहा, इसलिए इस अधिकार को नहीं छीना जाना चाहिए कि लोग आगे आकर अपनी राय रख रहे हैं और खुद को अभिव्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि आप एक लोकतांत्रिक देश और अन्यायपूर्ण समाज की एक साथ कल्पना नहीं कर सकते, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगायी गई हो. इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

लेखक ने कहा कि उनका मानना है कि भारत में लोगों को सौभाग्यशाली महसूस करना चाहिए कि वे एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करते रहना चाहिए. अख्तर ने कहा, आपको अपने मन की बात कहनी चाहिए और अपने आप को भाग्यशाली समझना चाहिए कि आप भारत जैसे देश में पैदा हुए हैं जहां हमारे पास एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है. हम इससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, आप एशिया के बाकी देशों को देखिए, जहां लोगों के पास वे अधिकार नहीं हैं जो हमारे पास हैं और हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.

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