पारितोष त्रिपाठी ने अपनी निजी जिंदगी को लेकर किये कई खुलासे

कहते हैं कि जोश और जुनून हो तो हर मंजिल कदमताल करती हुई मिल ही जाती है. पारितोष के लिए भी यही जुनून उनकी सफलता का साथी बन रहा है. गोपालगंज के बेलवा गांव के रहने वाले पारितोष की राहें इस इंडस्ट्री में आसान नहीं थी. इन दिनों पटना में वह शॉर्ट फिल्म ‘खीर-सेवाई’ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2020 9:52 AM

कहते हैं कि जोश और जुनून हो तो हर मंजिल कदमताल करती हुई मिल ही जाती है. पारितोष के लिए भी यही जुनून उनकी सफलता का साथी बन रहा है. गोपालगंज के बेलवा गांव के रहने वाले पारितोष की राहें इस इंडस्ट्री में आसान नहीं थी. इन दिनों पटना में वह शॉर्ट फिल्म ‘खीर-सेवाई’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. पेश है छोटे पर्दे के मशहूर डांस रियलिटी शो ‘सुपर डांसर’ में मामाजी के किरदार को निभाने वाले परितोष त्रिपाठी से जूही स्मिता की हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

गांव से निकल कर माया नगरी तक का सफर कैसा रहा?

यह सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा. मैं बीस साल की उम्र में मुंबई आ गया था. यहां करीब दो सालों तक मेरा स्ट्रगल का दौर चला. हमलोग जहां से आते हैं वहां कोई भी चीजें आसानी से मिलती नहीं है. मेरे मन का काम था, लेकिन मुंबई में रहना, लुक्स पर काम करना इस पर काफी मेहनत की है मैंने. महुआ चैनल पर स्टैंड अप कॉमेडी का एक शो आया था. मैंने उसमें हिस्सा लिया और विनर बन गया. इससे मुझे हिम्मत मिली. फिर क्राइम पेट्रोल में काम किया. उससे भी पहचान मिली. इसके बाद लाइफ ओके चैनल पर महाकुंभ सीरियल में काम करने का मौका मिला. जिसमें सीमा विश्वास, विनीत कुमार के अलावा कई बड़े नामों ने काम किया है.

आपके परिवार में हर कोई टीचिंग प्रोफेशन से जुड़ा है. ऐसे में आप अभिनय के क्षेत्र से कैसे जुड़े?

मेरे पिता इंग्लिश के प्रोफेसर थे और मां हिंदी की टीचर थीं. जिसकी वजह से मेरी भाषा काफी अच्छी हुई. बचपन में कई नाटकों को भी पढ़ा करता था. इसी दौरान मन में विचार आया अभिनय करने का. जिसके बाद मैंने थिएटर करने लगा. इसमें सभी घरवालों की रजामंदी थी. साहित्य और सिनेमा एक दूसरे से जुड़ी हुई है, जिसके समागम से बेहतरीन फिल्में बनती हैं.

थिएटर से लेकर अपने अब तक के अभिनय सफरनामा में आपको कितना स्ट्रगल करना पड़ा?

जब आप मेहनत करके जाते हैं एक मीटिंग में और एक आदमी दरवाजा खोलता है और दो मिनट में डिसाइड कर देता है कि ‘यू आर नॉट फिट’. वह जो ‘नॉट फिट’ नहीं सुनने के लिए ऑडियो से ‘नॉट फिट’ वर्ड कट कर देता था, मुझे सुनना ही नहीं. ना को हां में बदलना ही मेरा काम है. हम बिहारी है तो बस एक बार बुला लो वापस कभी नहीं जायेंगे. अगर कुछ करना है तो ना सुनो भी मत. मन की सुनो वो भी जिद्द वाली.

सुपर डांसर में आपको ‘मामा जी’ का किरदार कैसे मिला?

इसके लिए मैंने ऑडिशन दिया था. मैंने स्टार पर सुनील ग्रोवर का एक शो भी किया था. इस किरदार के लिए ऑडिशन दिया था जो काफी बेकार रहा. वापस जाते वक्त एहसास हुआ कि मुझे शिल्पा शेट्टी के साथ काम करने का मौका मिलने वाला था और मेरा इतना खराब ऑडिशन हुआ. फिर मैंने दुबारा ऑडिशन देने की बात की और खुद से स्क्रिप्‍ट लिखा. बिहारी कैरेक्टर के लिए मैंने अपने मौसा जो कि छपरा के रहने वाले थे उसी अंदाज में तैयार किया. अमोल पालेकर का किरदार, बिहारी टोन और शायरी की वजह से ऑडिशन काफी अच्छा रहा. मुझे एंकर रखा गया था उस वक्त मैंने पिता पर कविता बोल कर सभी को भावुक कर दिया. उस दौरान मुझे पांच सीजन का कांट्रेक्ट मिल गया. हालांकि एक एक्टर के पर्सनल जिंदगी में क्या चल रहा है, यह किसी को पता नहीं चलता है. उस वक्त मेरे पिता आइसीयू में थे.

बॉलीवुड के किस अभिनेता और अभिनेत्री कौन हैं? जिसके साथ आप काम करना चाहेंगे?

मैं शाहरूख खान और रानी मुखर्जी के साथ काम करना चाहता हूं. एक्टिंग के अलावा इंसान का व्यक्तित्व मुझे काफी प्रभावित करता है. शाहरूख खान दिल्ली से निकल कर अपने जुनून की वजह से आज सुपरस्टार बने हैं उनके साथ काम करके काफी कुछ सीखने को मिलेगा. रानी मेरी फेवरेट और एक बेहतरीन अदाकारा है.

बिहार आकर कैसा लगता है?

घर जैसा लगता है. यहां आपको कोई जज नहीं करता है जैसे मैं हिंदी बोलते-बोलते भोजपुरी बोल दूं तो यहां सभी समझ जायेंगे. आपको आपके घर में कोई जज नहीं करता है.

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