21 Years Of Baghban: हेमा मालिनी से पहले श्रीदेवी को ऑफर हुई थी फिल्म, सलमान खान की वजह से किया था ऑफर रिजेक्ट

साल 2003 में बनी फिल्म बागबान पहले श्रीदेवी को ऑफर हुई थी, लेकिन सलमान खान की वजह से उन्होंने इसे करने से मना कर दिया. फिल्म की कहानी और कास्ट ने इसे एक ऐतिहासिक फिल्म बना दिया है.

By Sahil Sharma | October 3, 2024 4:30 PM

श्रीदेवी ने क्यों रिजेक्ट की फिल्म बागबान 

21 Years Of Baghban: 2003 में रिलीज हुई फिल्म बागबान, एक इमोशनल कहानी है जो आज भी लोगों के दिलों को छूती है. ये फिल्म बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ने वाले बच्चों की कहानी है. लेकिन क्या आपको पता है कि पहले ये रोल श्रीदेवी को ऑफर हुआ था, ना कि हेमा मालिनी को? दरअसल, निर्देशक बी.आर. चोपड़ा ने सबसे पहले श्रीदेवी को इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के अपोजिट काम करने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इस फिल्म को करने से मना कर दिया.

सलमान खान की वजह से किया रिजेक्ट

श्रीदेवी ने इस फिल्म को रिजेक्ट करने की सबसे बड़ी वजह यह बताई कि वह इसे अपनी वापसी के लिए सही फिल्म नहीं मानती थीं. उन्होंने कहा कि वह खुद को इस किरदार में फिट नहीं पातीं, क्योंकि उन्हें सलमान खान की मां का रोल निभाना था. श्रीदेवी और सलमान खान पहले कई फिल्मों में साथ काम कर चुके थे, जैसे कि चंद्रमुखी और चंद का टुकड़ा. इसलिए, वह सलमान की मां का किरदार निभाने में कंफर्टेबल नहीं थीं.

Sridevi

हेमा मालिनी बनीं फिल्म की लीड

श्रीदेवी के बाद यह रोल ऑफर किया गया हेमा मालिनी को, जिन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म में शानदार परफॉरमेंस दी. बागबान में हेमा मालिनी और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने सबको इमोशनल कर दिया था. फिल्म की कहानी में राज और पूजा की शादी को 40 साल हो चुके होते हैं और उनके 4 बेटे होते हैं – अजय, संजय, रोहित, और करण.

21 years of baghban

फिल्म का बॉक्स ऑफिस सफर

बागबान ने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार प्रदर्शन किया था. फिल्म 3 अक्टूबर 2003 को रिलीज़ हुई थी और इसे बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये का बजट लगा था. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 43.11 करोड़ रुपये की कमाई की थी, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ा आंकड़ा था. बागबान की कहानी 1937 की हॉलीवुड फिल्म मेक वय फॉर टुमारो से प्रेरित थी, जो बाद में 1958 की कन्नड़ फिल्म स्कूल मास्टर से भी जुड़ी थी. फिल्म की कहानी भले ही पुरानी हो, लेकिन इसके इमोशंस आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे.

फिल्म के समकालीन एलिमेंट्स

आज भी बागबान को एक क्लासिक फिल्म माना जाता है, क्योंकि यह बच्चों और माता-पिता के रिश्ते की एक सच्ची और इमोशनल तस्वीर पेश करती है. फिल्म के डायलॉग्स और गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं, और इसका संदेश कभी पुराना नहीं होता.

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