मुंबई: मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर भारतीय फिल्मकारों में ऑस्कर को लेकर इतनी चाहत क्यों है और उन्होंने कहा कि किसी फिल्म के लिए दर्शकों से मिलने वाली सराहना ही मायने रखनी चाहिए.चैतन्य तम्हाणे की पहली निर्देशित बहुभाषी फिल्म कोर्ट को अगले साल के 88वें ऑस्कर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म वर्ग में भारत की ओर से आधिकारिक प्रविष्टि मिली है.
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आखिर ऑस्कर की इतनी चाहत क्यों : नसीरुद्दीन शाह
मुंबई: मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर भारतीय फिल्मकारों में ऑस्कर को लेकर इतनी चाहत क्यों है और उन्होंने कहा कि किसी फिल्म के लिए दर्शकों से मिलने वाली सराहना ही मायने रखनी चाहिए.चैतन्य तम्हाणे की पहली निर्देशित बहुभाषी फिल्म कोर्ट को अगले साल के 88वें ऑस्कर पुरस्कार के […]
इस वर्ग में भारत ने कभी भी ऑस्कर नहीं जीता है. अंतिम पांच में पहुंचने वाली आखिरी भारतीय फिल्म आशुतोष गोवारिकर की लगान थी.मदर इंडिया और सलाम बॉम्बे अन्य दो ऐसी भारतीय फिल्में थीं, जो शीर्ष पांच तक पहुंच पायी.कोर्ट के ऑस्कर मिलने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर शाह ने संवाददाताओं से कहा, मैं वाकई में ऑस्कर की परवाह नहीं करता. मुझे नहीं मालूम कि हम लोगों (भारतीय फिल्म नगरी) में ऑस्कर को लेकर इतनी चाहत क्यों है. मैं भी मानता हूं कि कोर्ट एक बेहतरीन फिल्म है. यह हाल के दिनों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है.
शाह ने कहा, मुझे लगता है कि कोर्ट के निर्माताओं के लिए इतना ही काफी होना चाहिए कि फिल्म को पसंद किया गया और हमारे देश में अधिक सराहा गया और यही मायने रखता है.कोर्ट वास्तविक जीवन के एक लोकगायक जीतन मरांडी की कहानी कहती है जो एक बम विस्फोट के बाद आपराधिक मामले में फंस जाता है.
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