छोटे परदे का लोकप्रिय चेहरा रीना कपूर इन दिनों स्टार भारत के शो आशाओं का सवेरा धीरे -धीरे में नजर आ रही हैं. वह बहुत खुश हैं कि वह लीग से हटकर शो का चेहरा है. उनके इस शो, सोशल मीडिया सहित कई मुद्दों पर उर्मिला कोरी से हुईं बातचीत.
आपके शो आशाओं का सवेरा धीरे -धीरे का अब तक का रिस्पांस कैसा मिल रहा है?
जो लोग देख रहे हैं, वो सराह रहे हैं. हमारा शो ऐसे विषय पर है, जिसे आमतौर पर लोग टीवी में छूते नहीं हैं, ऐसे में खुशी बढ़ जाती है कि हमारा शो लोगों को पसंद आ रहा है. यह शो बहुत ही वाज़िब सवाल उठा रहा है कि पति जाने के बाद क्यों पत्नी की ही जिंदगी खत्म हो जाती है. सीरियल में राघव यह सवाल करता है क्या सिर्फ तुमने ही अपना पति खोया है. तुम्हारे जेठ ने अपना भाई, ससुर ने अपना बेटा नहीं खोया है क्या, तो उनके लिए जिंदगी के सारे सेलिब्रेशन वैसे ही हैं. जो चला गया है, वो पूरे परिवार के लिए कुछ था, तो सिर्फ पत्नी से ही क्यों उम्मीद रहती है कि वो सारी खुशियां अपनी जिंदगी से निकाल दे. वाकई यह सवाल सही है. मेरे किरदार भावना की यह जर्नी है. वह अपनी बेटी और अपने लिए जीना चाहती है, भले ही परिवार और समाज बार -बार उसके फैसलों पर सवाल उठाए, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारने वाली है.
निजी ज़िन्दगी में क्या कभी अपनी पसंद या चुनाव को लेकर आपको कोई लड़ाई लड़नी पड़ी है ?
यही पर पढ़ाई काम आती है. अगर आपके परिवार वाले पढ़े हैं, तो चीज़ें आसान हो जाती हैं. मेरे माता -पिता या सास -ससुर वो सभी बहुत ही पढ़े लिखे बैकग्राउंड से आते हैं. जिसकी वजह से घर की महिलाओं के लिए ज़िन्दगी आसान हो जाती है. एक्टिंग में मेरे कैरियर की ही बात करुं, तो पहले मेरे पिता ने फिर मेरे सास- ससुर ने मुझे सपोर्ट किया है. मेरे ससुरजी मेरे शो का एक भी एपिसोड़ कभी मिस नहीं करते हैं. उन्हें मुझे पर गर्व है।(हंसते हुए )मेरी सास भी शो देखती हैं, लेकिन वो राहिल को ज्यादा पसंद करती हैं, क्योंकि वह उन्हें बहुत हैंडसम दिखता है.
मौजूदा दौर में टीवी के पॉपुलर शोज का चेहरा बीस साल की नहीं बल्कि 40 साल की अभिनेत्रियां है, इस बदलाव की वजह क्या मानती है?
ये बदलाव जरूरी था. अब दर्शक पूरी तरह से बदल गए है. ओटीटी युवा पीढ़ी के लिए है. उन्हें टेक्नोलॉजी की जानकारी है. हाउसवाइफ जो हैं, वो अभी भी टेक्नोलॉजी में उतनी महारत नहीं हासिल कर पायी हैं. अभी हमारे जो दर्शक है वह मिडिल एज घरेलू औरतें हैं,तो ऐसे विषय पर फोकस है, जिससे वह जुड़ाव महसूस कर सकें. टीनएज की लव स्टोरी में वो क्या करेंगी. यही वजह है कि ऐसे शोज दर्शक अभी पसंद कर रहे हैं.
आप ओटीटी के लिए ओपन हैं?
मैं ओटीटी पर एक्सपेरिमेंट करना चाहती हूं. मैं स्ट्रांग किरदार करना चाहती हूं, लेकिन मैं ऐसा कोई भी सीन नहीं कर पाऊंगी, जिसमे मैं सहज ना होऊं. ऐसा कुछ ऑफर हुआ, तो जरूर करुंगी.
आप दो दशक से भी ज्यादा समय से अभिनय में सक्रिय हैं, मौजूदा दौर की क्या बातें आपको परेशान करती है?
रील बनाना मुझे एक प्रेशर सा लगता है. सच कहूं तो उससे ज्यादा प्रेशर मैंने लाइफ में और कुछ नहीं लिया है. अच्छी बात ये है कि मैंने खुद को साबित कर दिया है. आज कोई प्रोडक्शन हाउस या चैनल मुझे काम के लिए अप्रोच करता है, तो मेरे फ़ॉलोवर्स देख कर नहीं करता है. युवा एक्टर्स की कास्टिंग का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है. जो बहुत गलत है. एक्टर हो ना हो फॉलोवर कितने हैं, ये मैटर करता है. वैसे मैंने ये भी देखा है कि प्रेशर से ज्यादा ये उनके लिए लत बन चुका है. आज के एक्टर्स इसी को ज्यादा एन्जॉय करते है. मेरी आदत है कि मैं शॉट के दौरान फ़ोन नहीं अपने पास रखती हूं. मैं अपने मेकअप रूम में ही अपना फ़ोन रखती हूं, जब लंच ब्रेक होता है, तो ही चेक करती हूं कि क्या कॉल है क्या मैसेज है, लेकिन आज के एक्टर्स चौबीस घंटे फ़ोन के साथ है. सीन से ज्यादा इस बात पर उनका ध्यान होता है कि रील्स कौन सा अगला सोशल मीडिया पर बनाना है.
सोशल मीडिया पर आप कितना वक़्त देती हैं?
कभी -कभी जोश आ जाता है. तो एक -दो डाल देती हूं, फिर लगता है कि बहुत समय बर्बाद हो गया और फिर दो हफ्तों तक मैं कुछ भी नहीं डालती हूं. जब तक मेरे पास सच में कुछ करने को नहीं होता है, तो ही मैं सोशल मीडिया पर जाती हूं.
आजकल के एक्टर्स का कहना है कि यह फैन्स से जुड़ने का अच्छा मौका है?
सच्चे फैन्स सिर्फ 30 प्रतिशत तक होते है,70 प्रतिशत ऐसे लोग होते है, जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं होता है। वे बस महत्व पाने के लिए कुछ भी कमेंट करते है। वे नहीं सोचते कि इससे किसी को कितना चोट पहुंच सकता है। नेगेटिव कमेंट मुझे भी परेशान करते है। वैसे मैं कभी भी ऐसे पोस्ट नहीं डालती हूं, जिससे मुझे तुरंत लाइक्स या कमेंट मिले। जो मेरी रियल छवि है, मैं उसे ही दिखाती हूं, भले ही लोगों को लगे कि मैं बोरिंग हूं, लेकिन मैं वही हूं। मुझे खुशी वैसे ही रहने में मिलती है। ज्यादातर एक्टर्स अपनी ग्लैमर्स छवि दर्शाते हैं।हमारा लाइफस्टाइल रानी- महारानी जैसा है। कभी यहां घूमने जा रहे हैं,कभी यहां। वो लोग ये भूल जाते हैं कि आमलोगों का इस पर गलत असर पड़ता है।ये सब देखकर लोग एक्टिंग में आना चाहते है। उन्हें एक्टिंग में सबकुछ हरा -हरा नजर आता है।इसके लिए वह अपनी पढ़ाई तो कभी अच्छी नौकरी तक छोड़ देते है। जो सोशल मीडिया पर एक्टर्स दिखा रहे हैं।वो सच नहीं है। यहां भी संघर्ष है।