tahir raj bhasin :ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज ये काली काली आंखें का दूसरा सीजन इन दिनों स्ट्रीम कर रहा है. इस सीरीज में विक्रांत की भूमिका में अभिनेता ताहिर राज भसीन जमकर वाहवाही बटोर रहे हैं. ताहिर अपने कैरियर में पहली बार किसी प्रोजेक्ट के दूसरे सीजन से जुड़े हैं. उन्हें उम्मीद है कि यह शो दर्शकों को आगे भी पसंद आये ताकि इसके और भी सीजन आये.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
एक्टर्स को मोटी चमड़ी का बनना पड़ता है
पहला सीजन सफल होने पर दूसरे सीजन का दबाव बढ़ जाता है. मुझ पर भी प्रेशर है लेकिन अच्छा प्रेशर है.वैसे प्रेशर का मतलब है कि दर्शक बहुत उम्मीद कर रहे हैं और वह इसे देखेंगे.वैसे एक्टर्स को मोटी चमड़ी का बनना पड़ता है. उन्हें यह बात पता होती है कि कुछ लोग इसे पसंद कर सकते हैं, कुछ लोग सोचेंगे कि यह पिछले वाले से बेहतर नहीं है. एक कलाकार को इसके लिए तैयार रहना पड़ता है.
कहानी लिखने में समय गया
पिछले सीजन और इस सीजन के बीच लम्बे अंतराल की वजह कहानी है.मुझे निर्देशक सिद्धार्थ पर बहुत गर्व है क्योंकि उन्होंने इस सीजन को लिखने में समय लिया। यदि आप स्क्रिप्ट में समय लगाते हैं, तो ही एक अच्छी सीरीज बन सकती है. हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि क्या होगा और कलाकार भी इससे गुजरते हैं, हमने रिलीज से पहले सोशल मीडिया जो भी पोस्ट डाला है. लोग हमसे यही पूछते हैं कि दूसरा सीजन कब आ रहा है. यह रील शूट करने जैसा नहीं है। कहानी में थोड़ा समय लगता है और हमें इसका स्तर इस बार और ऊपर रखना था.
पिछले सीजन को नहीं देखा
मेरे लिए सीजन 2 में दिलचस्प बात यह थी कि विक्रांत के किरदार से इस बार बहुत पूछताछ की गई थी. लड़की कहां गई। इसलिए स्क्रिप्ट को पढ़ने के बाद मुझे लगा कि यह दिलचस्प होगा कि सीजन 2 की शूटिंग से पहले मैं सीजन 1 नहीं देखता। यह दो साल पहले की एक याद मेरे लिए भी बन जायेगी,जिससे सीजन 2 की शूटिंग के वक़्त जब ढेर सारे ससवल पूछे जाएंगे तो आपको आधे याद नहीं होंगे , जो किरदार को भी मजबूती देगा.
श्वेता सेट पर मेरी सबसे पसंदीदा है
इस सीरीज के सेट पर सभी के साथ अच्छी बातचीत है,लेकिन श्वेता त्रिपाठी के बारे में मैं यह कहूंगा कि वह इस सेट पर मेरे सबसे पसंदीदा लोगों में से हैं. हम जो काम कर रहे हैं ,उसे वह बेहद पसंद करती है. सेट पर आप उसकी ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं.कई बार वह बस मुस्कुरा देती और सब कुछ सही लगने लगता है.इतनी पाजिटिविटी उसमे है.
कोविड के बाद नजरिया बदला
एक्टर्स और प्रतिस्पर्धी शब्द आपस में जुड़े हुए हैं, जहां तक प्रतिस्पर्धा को लेकर मेरे नजरिये की बात है, तो मेरा मानना है कि दौड़ में घोड़े दौड़ते हैं और हम अभिनेता है.। इस शहर में आप घर पर बैठे होंगे और तीन लोग आपसे बेहतर काम करेंगे और सात लोग ऐसे होंगे जो आपसे बेहतर नहीं कर रहे होंगे। जीवित रहने के लिए आपको जहां हैं,वहीं खुश रहना होगा। खासकर कोविड के बाद मैं जो कर रहा हूं उससे खुश हूं। कोविड ने जिंदगी और काम को लेकर एक अलग ही नजरिया दिया।
कम प्रोजेक्ट्स से ही जुड़ता हूं
मेरे अब तक के कैरियर में मैंने गिने चुने प्रोजेक्ट्स किया है. मैं क्वांटिटी से अधिक क्वालिटी में विश्वास करता हूं, लेकिन उससे जुड़ने का सफर आसान नहीं होता है. उससे पहले आपको कई प्रोजेक्ट्स को ना कहना पड़ता है. यह बहुत कठिन है क्योंकि इसके साथ दबाव भी आता है. क्योंकि दर्शक आपको एक निश्चित समय के बाद देख रहे हैं और वे आपसे कुछ अच्छा देखना चाहते हैं. मैंने हमेशा कुछ ख़ास अभिनेताओं को फिल्म के पोस्टरों पर देखा है चाहे वह हॉलीवुड हो या बॉलीवुड और मुझे पता चल जाता है कि ये फिल्म अच्छी होगी या नहीं. मैं दर्शकों को यही विश्वास देने की उम्मीद करता हूं कि ताहिर है तो फिल्म या ये सीरीज देखने लायक होगी.
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