actress anchal singh :नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज ये काली काली आंखें सीजन 2 में एक बार फिर पूर्वा के किरदार में अभिनेत्री आंचल सिंह ने अपने अभिनय के लिए वाहवाही बटोर रही हैं.अभिनेत्री इस बात को स्वीकारती हैं कि पूर्वा बहुत ही स्ट्रांग किरदार है. निजी जिंदगी में वह भी बहुत स्ट्रांग है, लेकिन उनकी स्ट्रांग की परिभाषा पूर्वा से मेल नहीं खाती है. वह बताती हैं कि मैं स्ट्रांग हूं,लेकिन मैं दूसरों के सामने अशिष्टता से बात करना तो बहुत बड़ी बात होगी। मैं किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकती हूं. सच कहूं तो मेरे लिए पूर्वा के किरदार को करना आसान नहीं था। ये काली -काली आंखें की शूटिंग के दौरान मेरे निर्देशक सिद्धार्थ सेन गुप्ता मुझसे ऊंची आवाज में बात करने को कहते हैं,क्योंकि पूर्वा का किरदार ही ऐसा था,लेकिन मैं अपनी आवाज चाहकर भी लाउड नहीं कर पा रही थी.अपनी असल जिंदगी में मैं इतनी एग्रेसिव नहीं हूं, तो परदे पर उस गुस्से को लाना मेरे लिए आसान नहीं था (हंसते हुए )सच कहूं तो मैं असल जीवन में पूर्वा नहीं बनना चाहती हूं.
पूर्वा नेगेटिव किरदार नहीं है
पिछले दो सीजन से मैं पूर्वा का किरदार ये काली काली आंखें में निभा रही हूं.अभी तक मैंने जितना उस किरदार को जितना भी समझा है.मैं पूर्वा के किरदार को नेगटिव नहीं मानती हूं. मुझे लगता है कि वह किरदार ग्रे है.वैसे पूर्वा बाहर से मजबूत है, लेकिन जब उसके दिल की बात आती है तो वह बहुत कमजोर है. वह जिंदगी में सिर्फ प्यार तलाश रही है. वह चाहती है कि उसे उसका प्यार मिले. इससे ज्यादा वह कुछ नहीं चाहती है.मैं पूर्वा के किरदार को बहुत रीयलिस्टिक कहूंगी.
अभिनेत्री ने शो छोड़ा तो मेरी एंट्री हुई
ये काली काली आंखें की पहली पसंद मैं नहीं थी. पहले कोई और अभिनेत्री यह किरदार कर रही थी. उसने बीच में अचानक से इस शो को छोड़ दिया सिद्धार्थ सर ने मुझे कॉल किया और कहा कि तुम्हे यह किरदार करना पड़ेगा। मैंने कहा कि मैं इस रोल के लिए तैयार नहीं हूं . उन्होंने कहा कि तुम्हें यह एक चैलेंज की तरह लेना होगा और उन्होंने मुझे ६ दिन का समय दिया। यह छह दिन दिव्येंदु भट्टाचार्य सर के साथ मुझे वर्कशॉप करने को कहा गया . मुझे जहां तक याद आ रहा है कि छह दिन भी पूरे नहीं हुए थे और मुझे शूटिंग पर आने को कह दिया था.मैं बहुत डरी हुई थी कि मैं इस किरदार को कर पाउंगी या नहीं।हां सिद्धार्थ सर की बहुत मदद ली. वेब सीरीज अनदेखी के बाद यह दूसरी बार था. जब मैंने निर्देशक सिद्धार्थ सेनगुप्ता के साथ काम किया था. इस सीरीज की कहानी उन्होंने खुद लिखी है, इसलिए अगर हमें कुछ भी जानना होता था तो हम उनके पास जाते थे.चूंकि अनदेखी मैंने किया हुआ था इसलिए मैं उन्हें इतनी अच्छी तरह से जानती थी कि वह मेरे लिए एक मेंटर बन चुके थे। इसलिए जब भी मैं संदेह में होता तो सर मुझे बहुत अच्छे से समझाते थे.आज मुझे जो तारीफें मिल रही हैं. उनकी की वजह से हैं.
सिद्धार्थ सर ने सोच भी बदली
एक कलाकार की बहुत सारी इनसिक्योरिटीज होती है. कभी-कभी आपको काम मिलता है और कभी-कभी नहीं. आपके पास बहुत सारे कॉम्प्लेक्स इमोशन होते हैं. जिससे आप कई बार बहुत लो फील करने लगते हैं. उस ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए आपको अपने जीवन में एक अच्छे गुरु की आवश्यकता है और सिद्धार्थ सर वह स्थान मेरी जिंदगी में ले लिया है. आज मैं बहुत शांत ,बहुत अधिक सकारात्मक हूं, उन्होंने मुझे जीवन में एक चीज यह भी सिखाई है कि फोकस करना और सीखने की उत्सुकता जीवन में कभी नहीं रुकनी चाहिए. मैं हर अनुभव के साथ सीखना चाहती हूं, मैं कम काम करना चाहती हूं ,लेकिन क्वालिटी वाला काम करना चाहती हूं. मुझे सेट पर अपनी आजादी चाहिए. मैं धीरे और स्थिर होकर आगे बढ़ना चाहती हूं.