नकारात्मक लेकिन लगातार सशक्त किरदार में नजर आ रही हैं Ananya Khare
स्टार भारत पर जल्द ही शुरू होने वाले शो लक्ष्मी घर आयी में अभिनेत्री अनन्या खरे ज्वाला देवी की भूमिका निभाती नजर आएंगी. अनन्या बताती हैं कि फ़िल्म देवदास के बाद उन्हें नकारात्मक किरदारों के ही ऑफर्स आने लगे थे लेकिन वे खुश हैं कि उन्हें नकारात्मक ही सही लेकिन लगातार सशक्त किरदार मिल रहे हैं. वे आगे कहती हैं कि फ़िल्म,कहानियों,नाटक सभी में जब तक खलनायक का किरदार स्ट्रांग नहीं होता है तब तक नायक की सभी खूबियां बाहर नहीं आ पाती हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
स्टार भारत पर जल्द ही शुरू होने वाले शो लक्ष्मी घर आयी में अभिनेत्री अनन्या खरे ज्वाला देवी की भूमिका निभाती नजर आएंगी. अनन्या बताती हैं कि फ़िल्म देवदास के बाद उन्हें नकारात्मक किरदारों के ही ऑफर्स आने लगे थे लेकिन वे खुश हैं कि उन्हें नकारात्मक ही सही लेकिन लगातार सशक्त किरदार मिल रहे हैं. वे आगे कहती हैं कि फ़िल्म,कहानियों,नाटक सभी में जब तक खलनायक का किरदार स्ट्रांग नहीं होता है तब तक नायक की सभी खूबियां बाहर नहीं आ पाती हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
लगातार नकारात्मक किरदार करने से आपको टाइपकास्ट होने का डर नहीं लगता है ?
मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगता है. मुझे अपने कला और क्राफ्ट से इतना ज्यादा प्यार है कि मैं कहीं ना कहीं से कुछ ना कुछ अलग निकाल ही लेती हूं. इसके साथ ही प्रोडक्शन हाउस ,लेखन की टीम भी नहीं चाहती कि पुरानी चीज़ें आए. वे लोग भी नयी चीज़ लोगों को देना चाहते हैं तो हर किरदार में कुछ नयापन होता ही है.
लक्ष्मी घर आयी की शूटिंग मुम्बई में हो रही है या मुम्बई से बाहर ?
अप्रैल में इस शो की शूटिंग शुरू ही हुई थी कि मुम्बई में शूटिंग पर पाबंदी लग गयी।गोवा जाकर शूट करने की सोच रहे थे कि वहां भी पाबंदी हो गयी. हमारा शो ऑन एयर नहीं हुआ था इसलिए हमें लगा कि थोड़ा रुक जाना चाहिए. अभी मुम्बई में एक बार फिर से शूटिंग शुरू हुई है तो हमने फिर से शूट शुरू कर दिया.
कोरोना के इस दौर में शूटिंग शो मस्ट गो ऑन वाला मामला है क्या निजी ज़िंदगी में इससे पहले भी आप इससे गुजरी हैं ?
जब तक मुश्किलें आती नहीं हैं. आप उनको पार करने का स्ट्रेंथ खुद में ढूंढते भी नहीं हो. मैं अपनी निजी जिंदगी की बात करुं तो मेरे परिवार में मेरे पति एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. जो काफी सालों से हैं तकरीबन 2004 से तो उनको देखते हुए शूटिंग को मैनेज करना।मेरे लिए शो मस्ट गो ऑन वाला ही मामला है.
आपको स्ट्रेंथ कहां से मिलती है ?
मैं अपने माता पिता को श्रेय दूंगी. मेरे पिता प्रसिद्ध लेखक विष्णु खरे हैं. वे अब रहें नहीं लेकिन उनकी सीख ने हमेशा ज़िन्दगी को मजबूती से जीने में मदद की है।हमारा मॉडर्न परिवार नहीं रहा है. जीवन के मूल्यों पर हमेशा उन्होंने महत्व दिया. जो मुझे मजबूती देते हैं. इसके अलावा मैं पिछले 17 से 18 सालों से बुद्धिज्म से जुड़ी हूं. इससे भी मुझे अंदरूनी ताकत मिली है. मेरी समझ बढ़ी है.
आप टीवी का हिस्सा कई दशकों से हैं अक्सर कहा जाता है कि अभी टीवी रेग्रेसिव हो गया है ?
जब मैंने टीवी शुरू किया था तो जो फिल्ममेकर्स थे वही टीवी शोज भी बनाते थे. ऋषिकेश मुखर्जी,बासु चटर्जी,जया बच्चन,महेश भट्ट इन लोगों के साथ मैंने टीवी का काम किया है। ये लोग फ़िल्म के बैकग्राउंड से आए थे और वो उस हिसाब से काम करते थे. अभी चीज़ें बदल गयी है. आपके फ़ोन में ही कैमरा आ गया है. हर कोई वीडियो या कंटेंट बना रहा है. लोगों को लगने लगा है कि ये काम आसान है. जिससे बहुत सारे लोग इसमें आ गए हैं. इससे फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. इनकी ट्रेनिंग नहीं होती है जैसे पहले लोगों को सीनियर्स डायरेक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिलता था. आज की पीढ़ी की जो समझ है वो बना रही है. मौजूदा कंटेंट में भी कोई बुराई नहीं बस आप क्या दिखाना चाहते हैं उसमें सच्चाई होनी चाहिए.
क्या कभी लगता है कि कैमरे के पीछे की कोई भूमिका अदा की जाए ?
मुझे लगता है कि मैंने एक्टर के तौर पर ही अभी कुछ किया नहीं है. अभी एक्टर के तौर पर बहुत कुछ करने को है.
आपने बीच में एक्टिंग से ब्रेक लिया था क्या आपको उसका अफसोस है ?
बिल्कुल भी नहीं, अपने पति की वजह से मैं यूएस शिफ्ट हुई थी. फिर मैंने वहां पढ़ाई की और टीचर बनी. मैंने उस फेज को भी बहुत एन्जॉय किया. बहुत कुछ सीखने सीखाने को मिला.