अनुष्का शंकर दिसंबर में आएंगी भारत यात्रा पर, दिल्ली समेत इन तीन शहरों में करेंगी परफॉर्म

अनुष्का शंकर अपने नए संगीत रिलीज़ के सपोर्ट में भारत की यात्रा कर रही हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, “ मैं इतनी दिनों बाद प्रस्तुति देने के लिए भारत लौटने को लेकर बहुत उत्साहित हूं. मुझे लगता है कि मैं अब संगीत और रचनात्मक रूप से एक अलग जगह पर हूं.

By Budhmani Minj | October 28, 2022 5:31 PM

ग्रेमी पुरस्कार के लिए नामांकन हासिल करने वाली संगीतकार और सितारवादक अनुष्का शंकर (Anoushka Shankar) भारत आ रही हैं. वह दिसंबर में तीन शहरों में प्रस्तुतियां देंगी. आयोजकों ने एक विज्ञप्ति में बताया कि शंकर अपनी यात्रा के दौरान 11 दिसंबर को बेंगलुरू के गुड शेफर्ड सभागार में प्रस्तुति देंगी और फिर 16 दिसंबर को उनका मुंबई के षणमुखानंद सभागार में संगीत कार्यक्रम है. वह 18 दिसंबर को दिल्ली के सिरी फोर्ट सभागार में प्रस्तुति देंगी.

भारत लौटने को लेकर बहुत उत्साहित हूं

अनुष्का शंकर अपने नए संगीत रिलीज़ के सपोर्ट में भारत की यात्रा कर रही हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, “ मैं इतनी दिनों बाद प्रस्तुति देने के लिए भारत लौटने को लेकर बहुत उत्साहित हूं. मुझे लगता है कि मैं अब संगीत और रचनात्मक रूप से एक अलग जगह पर हूं और मैं भारत में अपने दर्शकों के साथ इस नए और रोमांचक शो को साझा करने का इंतजार नहीं कर सकती हूं.”

16 दिसंबर को मुंबई में देंगी परफॉरमेंस

वह पिछली बार 2020 में भारत की यात्रा पर आई थी. वह दिग्गज सितारवादक दिवंगत पंडित रवि शंकर की बेटी हैं. उन्होंने कहा, “ मैं इस बार वास्तव में असाधारण संगीतकारों के एक समूह के साथ जुड़कर धन्य हूं और मुझे आशा है कि लोग संगीत का आनंद लेंगे.” वह 16 दिसंबर को मुंबई में अपनी प्रस्तुति के दौरान दिसंबर 2012 में सामूहिक बलात्कार और हत्या की पीड़िता को श्रद्धांजलि देंगी.

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‘इन हर नेम’ के बारे में कही ये बात

वह अपनी एल्बम ‘ट्रेसेज़ ऑफ यू’ के 2013 के गाने ‘इन ज्योतिज़ नेम’ के नए तरीके से बनाए गए संस्करण को भी रिलीज़ करेंगी. ‘इन ज्योतिज़ नेम’ गाने में निकिता गिल द्वारा खासतौर पर लिखी गई कविता शामिल है. शंकर ने कहा कि दिल दहला देने वाले सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के दस साल बाद भी महिलाओं पर हमले, उनकी हत्या, उनकी आज़ादी और सुरक्षित न रहने की कहानियां भरी पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि ‘इन हर नेम’ के जरिए मौजूदा वक्त में दुनिया भर में महिलाओं के अनुभव, सुरक्षा, भय से मुक्ति और पसंद की स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई के दायरे को व्यापक बनाने की कोशिश की गई है.

पीटीआई भाषा से इनपुट

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