आशा भोंसले ने खुद को इंडस्ट्री का आखिरी मुगल बताया…90 वें जन्मदिन पर करेंगी लाइव शो
Asha Bhosle : बॉलीवुड की दिग्गज गायिका आशा भोंसले आगामी 8 सितम्बर को 90 साल की होने जा रही है. अपने जन्मदिन के खास मौके पर वह दुबई में लाइव कांसर्ट करने जा रही हैं. इस सिलसिले में मुंबई में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में आशा भोंसले ने इस कांसर्ट सहित कई पहलुओं पर अपनी बात रखी. बातचीत के प्रमुख अंश
यह कांसर्ट ब्रॉडवे स्टाइल में होगा
इस शो के बारे में जानकारी देते हुए आशा भोंसले ने बताया कि यह सिर्फ कांसर्ट स्टाइल में शो नहीं होगा, बल्कि ब्रॉड वे स्टाइल में यह शो होगा. मेरी जिंदगी के जो अहम पड़ाव हैं, उन्हें भी इस शो में दिखाया जाएगा, तो यह काफी खास होगा.मैं खुद को लकी मानती हूं कि इस उम्र में भी संगीत की सेवा कर रही हूं. मैं आगे भी ये सेवा करते रहना चाहूंगी. जिंदगी बस मौका दें.
लता ताई का भी होगा जिक्र
मेरी जिंदगी में मेरे माता पिता और मेरे भाई और बहनों का बहुत बड़ा योगदान है. मेरे भाई और हम बहनें एक मुट्ठी की तरह है, तो मेरे लाइफ के हर पड़ाव में उनका जिक्र होगा. लता ताई के साथ बचपन से गा रही हूं, तो उनका जिक्र इस ब्रॉडवे में भी होगा.
मैं इंडस्ट्री की आखिरी मुग़ल हूं
मैं इस इंडस्ट्री की आखिरी मुग़ल हूं.सभी मेरे सामने एक – एक करके चले गए. मैं उस दौर की अकेली हूं. मैं पूरी फिल्म इंडस्ट्री के एक्टर्स, डायरेक्टर्स, म्यूजिक ये सब बात करने जाऊं तो दो से तीन दिन चले जाएंगे, क्योंकि निजी जिंदगी से लेकर उनकी प्रोफेशनल लाइफ सभी पर बहुत कुछ जानती हूँ मुझे इतना कुछ पता है.
मेरे रियाज का कोई तय समय नहीं होता है
हर इंसान को देखना चाहिए कि उसमें क्या काबिलियत है..उसे अपने हिसाब से निखारना चाहिए. मैं कभी प्लेबैक सिंगर बनूंगी. ये कभी सोचा नहीं था, लेकिन खुद को बेहतरीन बनाने का मैं एक भी मौका छोड़ती नहीं हूं. यही वजह है कि मैं लगभग हर दिन रियाज करती हूं.मेरे रियाज का कोई समय तय नहीं है. आमतौर पर मैं सुबह सात से नौ रियाज करती हूं, लेकिन कई बार दोपहर में या रात को नींद नहीं आ रही है, तो तानपुरे की आवाज धीमी करके रियाज कर लेती हूं ताकि घर में काम करने वालों की नींद ख़राब ना हो. सुबह पांच बजे उठकर भी रियाज करती हूं, रियाज से पहले चाय बनाती हूं और फिर रियाज करती हूं.
समुन्द्र के थपेड़ों से मेरी जिंदगी रही
अपनी जिंदगी की बात करुं तो जिंदगी कैसी है पहेली हाय कभी तो हँसाए कभी ये रुलाये सही गाना रहेगा.
मेरी जिंदगी समुद्र के थपेड़ों की तरह रही है. इस मुकाम तक पहुँचने के लिए बहुत हिम्मत लगी है. बच्चों को बड़ा किया. उनकी शादियां करवाई.नाती पोतों को भी संभालना. इस दौरान अपने आसपास के लोगों से कैसे बिहेव करना है. ये भी समझा. ये जबान है जो राज करवाता है और बर्तन भी मंजवाता है.मेरी जबान है, जिसने मुझे इतना प्यार दिया है.
पैसा और सुर सभी को समझता है
मेरी पूरी दुनिया में शो किया है. पूरे विश्व में में भारतीय ना हो. ऐसा हो ही नहीं सकता था. मुझे याद है लंदन में मेरा एक शो था. सारे अंग्रेज लोग थे. मुझे आयोजक ने कहा कि आपको अंग्रेजी में शुरूआती स्पीच देनी होगी. मैं थोड़ा घबराई हुई थी.मैं अंग्रेजी में सिर्फ इतना बोल पायी कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती है, लेकिन मैं कोशिश करूंगी. उसके बाद मैं हिंदी में बोलने लगी और फिर हिंदी और मराठी गानों की मांग भीड़ से आने लगी. मैंने पेरिस में भी शो किया है, वहां तो अंग्रेजी भी किसी को नहीं आती थी, लेकिन सभी ने मेरे परफॉरमेंस को ना सिर्फ एन्जॉय किया, बल्कि वन्स मोर भी अपने अंदाज में उन्होने कहा. मुझे लगता है कि पैसा और सुर सभी को समझ आता है.
रिमिक्स कल्चर बुरा लगता है
ये नया ज़माना है. मोबाइल, लैपटॉप हर दिन नया टेक्नोलॉजी आ रहा है तो आज के जनरेशन का म्यूजिक भी वैसा ही रहेगा.पुराने गाने का लिरिक्स हाय हुई डालकर कुछ कर देते है.. सच कहूं तो मुझे बुरा लगता है लेकिन ये भी पता है ऐसा होना ही है. हम कब तक रहेंगे. नयी फसल आएगी ही, लेकिन फसल को भी यह सोचना चाहिए. हिंदुस्तान के रीति रिवाज को भी समझने की जरूरत है और उन्हें अपने म्यूजिक के धरोहर को संभाल कर रखने की जरूरत है.
मैं हर तरह का म्यूजिक सुनती हूं
मैं हर तरह का म्यूजिक सुनना पसंद करती हूं.हिंदी हो,साउथ हो या फिर पश्चिमी संगीत. मैं खुद का गाना नहीं सुनती हूं. हिंदी की बात करें तो पहले हम क्लासिकल गाने सीखते थे. अब लोग घर में बैठे – बैठे धुन बना रहे हैं और गाने सुना रहे है.
गिनीज बुक में अप्लाई कर सकते हैं
आशा भोंसले का दुबई वाला यह कांसर्ट कई मायनों में खास है. 90 की उम्र में सिंगर का लाइव परफॉरमेंस ऐसा उदाहरण शायद ही हो. यही वजह है कि दुबई टूर के आयोजक सलमान अहमद इस शो को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड में भी शामिल करने की सोच रहे हैं .
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