प्लेग और दूसरा विश्व युद्ध देख चुकी हैं आशा भोसले, बताया कैसे थे हालात ?
Asha Bhosle talks about second world war : कोरोना महामारी के बीच लोगों में उम्मीद जगाने की कोशिश करते हुए महान पार्श्वगायिका आशा भोसले ने कहा है कि मनोरंजन जगत इससे उबरने के बाद मजबूती से वापसी करेगा लेकिन इससे पहले लोगों को सामाजिक दूरी बनाने और स्वच्छता संबंधी सरकार के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा.
नयी दिल्ली : कोरोना महामारी के बीच लोगों में उम्मीद जगाने की कोशिश करते हुए महान पार्श्वगायिका आशा भोसले ने कहा है कि मनोरंजन जगत इससे उबरने के बाद मजबूती से वापसी करेगा लेकिन इससे पहले लोगों को सामाजिक दूरी बनाने और स्वच्छता संबंधी सरकार के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा.
आशा ने एक इंटरव्यू में कहा ,‘ हर उद्योग पर इस महामारी का असर पड़ेगा लेकिन मुझे लगता है कि मनोरंजन जगत मजबूती से वापसी करेगा. हम सभी को मनोरंजन प्रिय है और इतने लंबे समय घरों में रहने के बाद हम सिनेमा देखना या संगीत कार्यक्रमों में जाना चाहेंगे. आखिर इंसान सामाजिक प्राणी है.’
कोरोना महामारी के फैलने के साथ ही दुनिया भर में फिल्मों की रिलीज, संगीत कार्यक्रम, कन्सर्ट टल गए हैं या रद्द हो गए हैं. आशा ने अपने जीवन में टीबी, हैजा, प्लेग, सार्स, मर्स जैसी कई महामारियां देखी हैं और मौजूदा दौर ने अतीत की उन कड़वी यादों को ताजा कर दिया.
पिछले छह दशक से अधिक समय से पार्श्वगायन से जुड़ी आशा ने कहा ,‘‘ मैं 86 साल की हूं और कई महामारियां देख चुकी हूं. उस समय तो इतनी चिकित्सा सुविधायें भी नहीं थी. हम घरेलू उपचारों पर निर्भर रहते थे. प्लेग से पूरे के पूरे गांव साफ हो जाते थे. मुझे याद है कि हमारे माता पिता हमें वहां से निकालकर सुरक्षित जगहों पर ले गए थे. यह उस समय सामाजिक दूरी थी.”
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उन्होंने कहा ,‘‘ उस समय सामाजिक दूरी या लॉकडाउन जैसे फैंसी शब्द नहीं थे लेकिन उसी आधार पर हमारा बचाव होता था. मैंने दूसरे विश्व युद्ध का दौर भी देखा है. खाने के सामान की राशनिंग होती थी, हालात खराब थे लेकिन हम खुद को ढालकर रह जाते थे.’
उन्होंने लोगों से सामाजिक दूरी का पालन कड़ाई से करने को कहा. उन्होंने कहा ,‘‘ यह वायरस काफी खतरनाक है और इसमें पृथकवास, सामाजिक दूरी, सफाई बनाये रखना जरूरी है. भारत सरकार ने काफी तेजी से कदम उठाये हैं वरना हमारे यहां आबादी को देखते हुए हालात बदतर हो सकते थे.”
हाल ही में वह संगीत सेतु आभासी कन्सर्ट में दिखी थीं जो पीएम केयर्स फंड में कोष जुटाने के लिये 18 कलाकारों की पहल थी. उन्होंने बताया ,‘‘ यह अनूठा था क्योंकि बिना साजिंदों, स्टूडियो, उपकरणों के परफार्मेंस हुई और सीधे दिल से निकली. जल्दी ही ऐसी एक और पहल का मैं हिस्सा बनूंगी.”
सारी रिकार्डिंग और कन्सर्ट रद्द होने के बाद लॉकडाउन की इस अवधि में वह परिवार के लिये खाना पकाती हैं, खुद के लिये गाती हैं और लंबे समय बाद उन्हें दोस्तों से बातें करने की फुर्सत मिली है. इन दिनों दिनचर्या के बारे में पूछने पर आशा ने कहा ,‘‘ मैं नमक वाले गर्म पानी से दिन में दो बार जल नेति करती हूं. योग और ध्यान भी जरूरी है ताकि दिमाग स्थिर रहे. अब तो कोई रिकार्डिंग या कन्सर्ट नहीं हो रहा लेकिन मैं काफी पॉजिटिव इंसान हूं. हमारी संस्कृति ने हर हालात में रहना सिखाया है. मैं इसमें भी सकारात्मकता देखती हूं कि परिवार के साथ रहने का समय मिला.”
आशा ने कहा ,‘‘ मुझे खाना पकाना पसंद है और मैं उपलब्ध साधनों से ही परिवार के लिये कुछ पकाती हूं. अपने लिये गाती हूं और काफी सालों बाद दोस्तों से बात करने का समय मिला है. ब्रिटेन में मेरे एक प्रिय मित्र को मैंने खो दिया और अब लगता है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं. हर पल यहां जी भर जियो.’