Bhabhiji Ghar Par Hai Saanand Verma, Saxena ji : टीवी का मशहूर कॉमेडी शो ‘भाबीजी घर पर हैं’ के अनोखे लाल सक्सेना यानि सानंद वर्मा (Saanand Verma) की पहचान आज हर घर में है. उनका अलग तरीके से बोलने का अंदाज दर्शकों को खूब भाता है. शो में सक्सेना जी का डॉयलॉग ‘आई लाइक इट’ लोगों के जुबान पर चढ़ा हुआ है. लेकिन क्या आप जानते है सानंद ने प्रूफ रीडर से लेकर चपरासी और थोक विक्रेता का भी काम किया है. तो चलिए आपको बताते है उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…
इन शोज में भी काम कर चुके है सानंद
शो ‘भाबी जी घर पर हैं’ में सक्सेना को लोगों से पीटने औऱ करंट खाने में बहुत मजा आता है. 2015 में उन्होंने ‘भाबीजी…’ की दुनिया में कदम रखे और छा गए. सक्सेना इस शो से पहले कई शोज में काम कर चुके है, लेकिन उन्हें पहचान इसी शो ने दिलाई. सानंद ने सीआईडी’, ‘अदालत’, ‘आरके लक्ष्मण की दुनिया’, ‘तू मेरे अगल बगल है’ जैसे शोज में अहम किरदार निभाया है. इसके अलावा ‘मर्दानी’, ‘पटाखा’ और ‘रेड’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया.
कठिनाइयों में बीता सानंद का बचपन
सानंद वर्मा का बचपन काफी कठिनाइयों में बीता. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से सानंद को महज 8 साल की उम्र में काम करना पड़ा. सानंद अपने पिता के पब्लिशिंग हाउस में काम करने लगे थे. इस पब्लिशिंग हाउस सानंद ने प्रूफ रीडर से लेकर चपरासी और थोक विक्रेता का भी काम किया था.
बचपन से था एक्टर बनने का सपना
एक इंटरव्यू में सानंद वर्मा ने इस बात का जिक्र किया था कि एक्टर बनने के लिए उन्होंने बड़ी कंपनी में अपनी 50 लाख की नौकरी छोड़ दी थी. एक्टर बनने का सपना बचपन से ही था. 1993 में सानंद मुंबई आ गये थे. वहां उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक चैनल से जुड़ा फिर ब्रॉडकॉस्ट की दुनिया में चला गया. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सानंद इस शो के एक एपिसोड के लिए 20 से 25 हज़ार रुपये की फीस लेते हैं.
सानंद पटना के निवासी हैं
एक इंटरव्यू में सानंद ने बताया था, ‘मेरे पिता राजनारायण वर्मा साहित्यकार थे. ऐसे साहित्यकार जिनके पास केवल लेखनी थी, पैसे नहीं थे. मुफलिसी का दौर था. तब हमलोग राजेंद्र नगर में ही रहते थे. मेरा जन्म भी राजेंद्र नगर में ही हुआ. वैसे मेरा मूल निवास मोतिहारी जिला के रामनगर में है. चूंकि पिताजी के पास पैसा नहीं थे तो वह भटकते रहते थे. गरीबी बहुत थी. इसी क्रम में वह पैसे कमाने के उद्देश्य से दिल्ली चले गये. पिताजी का स्वभाव शायद मेरे अंदर भी है. मैं भी दिल्ली से भटकते हुए मुंबई आ गया.’
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Posted By: Divya Keshri