Loading election data...

जन्मदिन विशेष : सदाबहार मेगास्टार रवि किशन ऐसे बने जीरो से हीरो

आज लाखों लोगों के दिल में बसनेवाले रवि किशन का जन्मदिन है. वे आज भोजपुरी फिल्मों के महानायक हैं. यही नहीं, हिंदी, दक्षिण भाषायी फिल्मों सहित अन्य भाषायी फिल्मों में भी छाये रहते हैं. इतिहास एक दिन में नहीं रचा जाता, बल्कि उसकी रूपरेखा बरसों पहले तैयार हो जाती है. इतिहास गवाह है कि हर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 4:55 PM

आज लाखों लोगों के दिल में बसनेवाले रवि किशन का जन्मदिन है. वे आज भोजपुरी फिल्मों के महानायक हैं. यही नहीं, हिंदी, दक्षिण भाषायी फिल्मों सहित अन्य भाषायी फिल्मों में भी छाये रहते हैं. इतिहास एक दिन में नहीं रचा जाता, बल्कि उसकी रूपरेखा बरसों पहले तैयार हो जाती है. इतिहास गवाह है कि हर सफलता की नींव काफी पहले रख दी जाती है. कुछ ऐसा ही है अभिनेता रवि किशन के साथ.

17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत तहसील के छोटे से गांव वराई विसुई में पंडित श्याम नारायण शुक्ला व श्रीमती जड़ावती देवी के घर बरसों पहले आज ही के दिन, यानी 17 जुलाई को एक किलकारी गूंजी जिनकी गूंज आज दुनिया के कोने-कोने में हर क्षेत्र में सुनायी दे रही है. 17 जुलाई को जन्मे बालक रविंद्र नाथ शुक्ला आज का रवि किशन है, जिनकी उपलब्धि को कुछ शब्दों में या कुछ पन्नों में समेटा नहीं जा सकता.

प्रारंभिक अवस्था
रवि किशन को अभिनय का शौक कब हुआ, उन्हें खुद याद नहीं है़ लेकिन रेडियो में गाने की आवाज इनके पैर को थिरकने पर मजबूर कर देती थी़ कहीं भी शादी हो, अगर बैंड की आवाज उनके कानों में गयी तो वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते थे. यही वजह है जब नवरात्र की शुरुआत हुई तो उन्होंने पहली बार अभिनय की ओर कदम रखा़ गांव के रामलीला में उन्होंने माता सीता की भूमिका से अभिनय की शुरुआत की़ उनके पिताजी पंडित श्यामनारायण शुक्ला को यह कतई पसंद नही था कि उनके बेटे को लोग नचनिया-गवैया कहें, इसीलिए मार भी खानी पड़ी़ पर बालक रविंद्र के सपनों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा़ मां ने रविंद्र के सपनों को पूरा करने का फैसला किया और कुछ पैसे दिये और इस तरह अपने सपनों को साकार करने के लिए रविंद्र नाथ शुक्ला मुंबई पहुंच गये़

मुंबई में संघर्ष का दौर
मां मुम्बा देवी की नगरी काफी इम्तिहान लेती है़ गांव का रविंद्र नाथ शुक्ला यहां आकर रवि किशन तो बन गया, पर मंजिल आसान नहीं थी़ संघर्ष के लिए पैसों की जरूरत थी, इसीलिए उन्होंने सुबह-सुबह पेपर बांटना शुरू कर दिया़ आज जिन अखबारों में उनके बड़े-बड़े फोटो छपते हैं, कभी उन्हीं अखबारों को सुबह-सुबह वह घर-घर पहुंचाया करते थे़ यही नहीं, पेपर बेचने के अलावा उन्होंने वीडियो कैसेट किराये पर देने का काम भी शुरू कर दिया़ इन सबके बीच बांद्रा में उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी.

रंग लायी किस्मत
कहते हैं परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता है़ रवि किशन की मेहनत रंग लायी और उन्हें काम मिलना शुरू हो गया़ पर जिस नाम और पहचान की तलाश में वे मुंबर्इ आये थे, उसकी खोज जारी रही़ इस दौरान उनके जीवन में उनकी धर्मपत्नी प्रीति किशन का आगमन हुआ़ उनकी किस्मत से रवि किशन की मेहनत के गठजोड़ ने रवि किशन को लोकप्रियता देनी शुरू कर दी और जब उनकी बेटी रीवा उनके जीवन में आयी, तो काम और नाम दोनों में काफी इजाफा होना शुरू हुआ़ उसी दौरान कई हिंदी फिल्मों का निर्माण कर चुके निर्देशक मोहनजी प्रसाद ने भोजपुरी फिल्म निर्माण करने का फैसला किया और रवि किशन को अपनी पहली फिल्म ‘सैयां हमार’ में बतौर हीरो लांच किया. इस फिल्म ने न सिर्फ बरसों से शांत पड़े भोजपुरी फिल्म जगत को जिंदा किया, बल्कि इसके साथ ही उदय हुआ भोजपुरी के नये सुपरस्टार रवि किशन का. इस फिल्म के बाद रवि किशन ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज वे 200 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं और देश दुनिया में भोजपुरी के फेस बनकर उभरे हैं.

आज का दौर
आज रवि किशन फिल्म जगत के एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जो एक साथ कई भाषा की फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं. आज उनकी लोकप्रियता न सिर्फ भोजपुरी और हिंदी भाषी दर्शकों के बीच है, बल्कि दक्षिण भारत के दर्शकों में भी वे उसी तरह लोकप्रिय हैं और यही वजह है कि दुनिया के कोने-कोने में उनके लाखों-करोड़ों चाहने वाले हैं.

Next Article

Exit mobile version